सीएसआईआर-आईएचबीटीमें ‘विज्ञान यात्रा’ कार्यक्रम का आयोजन

'Vigyan Yatra' organized in CSIR-IHBT

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सीएसआईआर-आईएचबीटीमें ‘विज्ञान यात्रा’ कार्यक्रम का आयोजन

INDIA REPORTER NEWS
PALAMPUR : B.K. SOOD

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान,पालमपुर में 5 दिसम्बर 2020 को छटे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) के अन्तर्गत ‘विज्ञान यात्रा’ कार्यक्रम का एमएस-टीम एवं यू-ट्यूब के माध्यम से आयोजन किया गया।

डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए ‘विज्ञान यात्रा’ के महत्व के बारे में बताया।सीएसआईआर-आईएचबीटी के शोध एवं विकास, उपलब्धियों, परिकल्पना और उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण प्रस्तुत करते हुए, उन्हांने बताया कि संस्थान द्वारा हींगऔर केसर फसलों की खेती का विस्तार,आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा।हींग के पौधों को लाहौल-स्पीति और मंडी जिलों के किसानों को उपलब्ध कराया गया है। जबकि केसर की खेती को किन्नौर, मंडी और चम्बा जिलों में प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सेब के विषाणु रहित पौधों को उत्तर-पूर्व के मिजोरम और अन्य राज्यों में उपलब्ध करवाकर,वहां के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान ने महत्पवूर्ण भूमिका निभाई है।

इसकेअतिरिक्त संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया तथा उनके खेतों में सगंध तेल के निष्कर्षण के लिए प्रदेश में कई आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं।हिमाचल प्रदेश इन प्रयासों से, देशभर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।संस्थान ने पोषण हेतु विटामिन डी से भरपूर सिटा के मशरुम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है।

सामाजिक दायित्व के अन्तर्गत, संस्थान ने रेडी-टू-ईट डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं एनर्जी और प्रोटीन युक्त बार इत्यादि को भारत में आए विभिन्न चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों और कोरोना महामारी में वंचितों में वितरित किया। पुष्प खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने कई किस्मे विकसित कीं, जिनकी खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसारअल्कोहल आधारित हैंडसैनिटाइजर एवं हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके आम लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई है।

अपने संबोधनमें डा. संजय कुमार ने संस्थान द्वारा किए जिज्ञासा कार्यक्रमों, विज्ञान मेले एवं प्रदर्शनियां, वैज्ञानिक-छात्र-अध्यापक संपर्क कार्यक्रमों, वैज्ञानिकों द्वारा स्कूलों में लोकप्रिय वैज्ञानिक संभाषणों द्वारा विज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने, किसानों एवं उद्यमियों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण जैसे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता, प्रो. शशीकुमार धीमान, पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर एवं प्रोफेसर भौतिक विज्ञान, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला ने ‘‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत का योगदान’’ विषय परअपना संभाषण दिया। प्रो. धीमान ने आधुनिक विज्ञान में भारतीय वैदिक विज्ञान की भूमिका एंव ऋषि-मुनियों की वैज्ञानिक सोच, आर्यभट्ट के मोशन ने विगेशन तथा भास्कराचार्य के एस्ट्रोनामी पर किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया।उन्होंने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों को जन-जन तक पंहुचाने के लिए किए गए प्रयासो को भी सराहा। इससे पूर्व विज्ञान भारती के हिमाचल प्रदेश अध्याय के अध्यक्ष डा. अश्विनी राणा ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा. शशीकुमार धीमान का परिचय प्रतिभागियों से करवाया।

इस अवसर पर संस्थान की शोध एवं विकास गतिविधियों तथा भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) की गतिविधियों के वृत चित्र को भी प्रदर्शित किया गया।
इस समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय, स्थानीय महाविद्यालयों, विद्यालयों के अध्यापकों एवं छात्रों के अतिरिक्त संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कर्मियों, चाय उत्पादकों, उद्यमियों, कृषकों, स्थानीय मीडिया प्रतिनिधियों ने एमएस-टीम के माध्यम से समारोह में प्रतिभागिता की।

सीएसआईआर.आईएचबीटी में ष्विज्ञान यात्रा कार्यक्रम का आयोजन

सीएसआईआर.हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में 5 दिसम्बर 2020 को छटे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव ;आईआईएसएफ 2020 के अन्तर्गत ष्विज्ञान यात्रा कार्यक्रम का एमएस.टीम एवं यू.ट्यूब के माध्यम से आयोजन किया गया।
डॉ संजय कुमार  निदेशक  सीएसआईआर.आईएचबीटी पालमपुर ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए ष्विज्ञान यात्रा के महत्व के बारे में बताया। सीएसआईआर.आईएचबीटी के शोध एवं विकासए उपलब्धियों परिकल्पना और उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण प्रस्तुत करते हुएए उन्हांने बताया कि संस्थान द्वारा हींग और केसर फसलों की खेती का विस्तार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा। हींग के पौधों को लाहौल.स्पीति और मंडी जिलों के किसानों को उपलब्ध कराया गया है। जबकि केसर की खेती को किन्नौर मंडी और चम्बा जिलों में प्रोत्साहित किया जा रहा है। सेब के विषाणु रहित पौधों को उत्तर.पूर्व के मिजोरम और अन्य राज्यों में उपलब्ध करवा करए वहां के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान ने महत्पवूर्ण भूमिका निभाई है।
इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया तथा उनके खेतों में सगंध तेल के निष्कर्षण के लिए प्रदेश में कई आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। हिमाचल प्रदेश इन प्रयासों सेए देश भर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। संस्थान ने पोषण हेतु विटामिन डी से भरपूर सिटाके मशरुमए आयरनए प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है। सामाजिक दायित्व के अन्तर्गतए संस्थान ने रेडी.टू.ईट डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं एनर्जी और प्रोटीन युक्त बार इत्यादि को भारत में आए विभिन्न चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों और कोरोना महामारी में वंचितों में वितरित किया। पुष्पखेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने कई किस्मे विकसित कींएजिनकी खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों के अनुसार अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर एवं हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके आम लोगों को कोविड.19 से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई है।
अपने संबोधन में डाण् संजय कुमार ने संस्थान द्वारा किए जिज्ञासा कार्यक्रमोंए विज्ञान मेले एवं प्रदर्शनियांए वैज्ञानिक.छात्र.अध्यापक संपर्क कार्यक्रमोंए वैज्ञानिकों द्वारा स्कूलों में लोकप्रिय वैज्ञानिक संभाषणों द्वारा विज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करनेए किसानों एवं उद्यमियों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण जैसे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।
इस अवसर पर मुख्यवक्ताए प्रो शशी कुमार धीमा नए पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालयए हमीरपुर एवं प्रोफेसर भौतिक विज्ञानए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालयए शिमला ने ष्ष्विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत का योगदानष्ष् विषय पर अपना संभाषण दिया। प्रोण् धीमान ने आधुनिक विज्ञान में भारतीय वैदिक विज्ञान की भूमिका एंव ऋषि.मुनियों की वैज्ञानिक सोचए आर्यभट्ट के मोशन नेविगेशन तथा भास्कराचार्य के एस्ट्रोनामी पर किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों को जन.जन तक पंहुचाने के लिए किए गए प्रयासो को भी सराहा। इससे पूर्व विज्ञान भारती के हिमाचल प्रदेश अध्याय के अध्यक्ष डाण् अश्विनी राणा ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाण् शशी कुमार धीमान का परिचय प्रतिभागियों से करवाया।
इस अवसर पर संस्थान की शोध एवं विकास गतिविधियों तथा भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव ;आईआईएसएफ 2020द्ध की गतिविधियों के वृतचित्र को भी प्रदर्शित किया गया।
इस समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालयए स्थानीय महाविद्यालयोंए विद्यालयों के अध्यापकों एवं छात्रों के अतिरिक्त संस्थान के वैज्ञानिकोंए शोधार्थियों एवं कर्मियोंए चाय उत्पादकोंए उद्यमियों कृषकों स्थानीय मीडिया प्रतिनिधियों ने एमएस.टीम के माध्यम से समारोह में प्रतिभागिता की।

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