बड़े घोटाले का पर्दाफ़ाश होते ही फैल गई सनसनी, मुख्यमंत्री जी, दिनदहाड़े यह क्या गोलमाल हो रहा है ? भाई साहब, यह पब्लिक है, यह सब जानती है..कौन कितने पानी में है, पहचानती है…
हंगामा है क्यों बरपा.....!
मुख्यमंत्री महोदय, यह दिनदहाड़े क्या गोलमाल हो रहा है CSKHPKV में ?
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, #cskhpkvpalampur में सहायक वैज्ञानिक पदों को भरने के लिए कुलपति की जल्दबाजी के पीछे छुपे हैं कौन से राज़?
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के वर्तमान कुलपति का कार्यकाल मात्र दो- तीन महीने का ही रह गया है जबकि वह विश्वविद्यालय के सहायक वैज्ञानिक पदों को भरने के लिए इंटरव्यू करने जा रहे हैं । आखिर ऐसा कौन सा गुप्त राज़ छिपा है आनन-फानन में की जा रही इन नियुक्तियों के पीछे….यह तो कुलपति महोदय ही बता सकते हैं। मेरे हलक से तो यह बात नीचे नहीं उतर रही।
हिमाचल की अग्रणी एन्टी करप्शन NGO, मिशन अगेंस्ट करप्शन, ने भी इस मामले का कड़ा संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खु से मामले में अपना फ़ौरी हस्तक्षेप करने की मांग की है। कहीं ऐसा न हो कि चुप्पी साधने के कारण सारा ठीकरा विपक्ष मुख्यमंत्री के सिर पर ही न फोड़ दे, इस बात का पूरा इमकान है जनाब।
बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल के अंतिम समय में इन पदों को भरना विश्वविद्यालय के हित में नहीं है ।
वह अपने अनुयायियों को खुश करना चाहते हैं और इतनी जल्दबाजी में किया गया यह चयन अनुचित हो सकता है।
मिशन अगेंस्ट करप्शन सोसाइटी को जब कुछ शिकायतें मिलीं तो छानबीन के दौरान पाया गया कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल के दौरान सहायक वैज्ञानिकों की भर्ती में कई अनियमितताएं हुई है जिसके परिणामस्वरूप माननीय उच्च न्यायालय में कई अदालती मामले दायर किए गए हैं।
डॉ. पुनीत कौर का नेट सर्टिफिकेट फर्जी होने की पूर्व लिखित सूचना मिलने के बाद भी उसे सहायक वैज्ञानिक के रूप में चुना गया।
शिकायत के आधार पर आई.सी.ए.आर., न्यू दिल्ली ने उनका प्रमाण पत्र वापस ले लिया और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे विश्वविद्यालय के खजाने और छवि को नुकसान हुआ।
इसलिए इन पदों के इंटरव्यू को तुरन्त रोका जाये और अगले कुलपति को इन पदों के इंटरव्यू कराने का निर्णय दिया जाए। आशा है मुुुख्यमंत्री महोदय तत्काल समय नष्ट किये बिना कार्यवाही अमल में लाएंगे अन्यथा मामला गंभीर रूप धारण कर सकता है जिसकी ज़िम्मेदारी किस किस के सिर होगी, इसका अंदाज़ा बखूबी लगाया जा सकता है। हमने तो अपना फर्ज पूरा कर दिया बाकी वर्तमान सरकार जाने।