फिर आया तूफान! पूर्व वाईस चांसलर पर लगे गंभीर आरोपों पर जांच शुरू होने से पहले ही एक और आंधी ने घेर लिया HPKV को, कार्यवाहक वाईस चांसलर की कार्यप्रणाली और आचार-व्यवहार पर उठे गंभीर सवाल

"कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा"

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इंडिया रिपोर्टर टुडे संपादक के नाम एक पत्र मिला । पत्र कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और वैज्ञानिकों की तरफ से कथित रूप से हालात की गंभीरता पर नज़र दौड़ाने हेतु लिखा गया था जिसे नज़रअंदाज़ करना उचित नहीं। ऐसा पत्र में संबोधन किया गया है ।

‘न काहू से दोस्ती,

न काहू से बैर’

इस पत्र में कार्यवाहक कुलपति डॉ डी. के. वत्स की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कुछ महत्वपूर्ण संवेदनशील बिंदुओं को उजागर किया है जैसेकि …..

विश्वविद्यालय कुलपति का पद एक संवैधानिक पद है। यदि कार्यवाहक कुलपति पद के समकक्ष नहीं है तो कार्यवाहक कुलपति नियमित कुलपति की कुर्सी पर आसीन नहीं हो सकते, हालांकि रोजमर्रा के कार्य देखने के लिए कुलपति कार्यालय में जाकर कुलपति की कुर्सी पर बैठते हुए, अलग से बैठकर, रोजमर्रा के कार्य को देख सकते हैं।

वर्तमान में डॉक्टर डीके वत्स स्वयं कार्यवाहक अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय के पद पर आसीन हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि अधिष्ठाता भी कार्यवाहक के रूप में ही हैं। इस तरह से वर्तमान में भी डॉक्टर डीके वत्स कुलपति के पद के समकक्ष नहीं हैं।

हिमाचल के राज्यपाल महोदय ने डॉक्टर डीके वत्स को अतिरिक्त कार्यभार संभालने के दिशा-निर्देश दिए हैं जोकि महामहिम राज्यपाल द्वारा भेजे गए पत्र पर साफ-साफ लिखा गया है, न कि उन्हें Appoint किया गया है।

इसके बावजूद भी डॉ. डी.के वत्स के नियमित कुलपति की कुर्सी पर विराजमान होकर आनन्दित व गौरवान्वित होकर फूले नहीं समा रहे हैं।

यही नहीं, वह वाईस चांसलर के वाहन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, और ध्यान रहे कि वाहन में कुलपति का ध्वज प्रतीक भी लगा हुआ है जो कि सिर्फ नियमित कुलपति के वाहन पर ही लग सकता है। ऐसा पत्र में लिखा गया है।

इतना ही नहीं, पत्र में यह भी लिखा गया है कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संघ द्वारा राज्यपाल महोदय को एक पत्र लिखा गया था जिसमें यह ज़िक्र किया गया था की तत्कालीन कुलपति डॉ. एचके चौधरी जोकि नियमित कुलपति थे, उन पर यह आरोप लगाया गया था कि वह अपने कार्यकाल के अंतिम पड़ाव पर संवैधानिक फैसला ले रहे हैं और कुछ नियुक्तियां करने की तैयारी भी कर रहे हैं ।

अध्यापक संघ ने आरोप लगाते हुए राज्यपाल महोदय से गुहार लगाई थी कि कार्यकाल के अंतिम पड़ाव पर डॉ. चौधरी जोकि एक नियमित कुलपति थे उन पर अंकुश लगाया जाए कि इस वक्त वह किसी प्रकार के संवैधानिक फैसले और नियुक्तियां ना करें। अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसे में एक कार्यवाहक कुलपति विज्ञापित किए गए पदों की स्क्रीनिंग के आदेश कैसे जारी कर सकता है?

यही नहीं, लिखित शिकायत के मुताबिक कार्यवाहक कुलपति ने कुछ स्थानांतरण भी किए हैं जोकि पॉलिसी मैटर है।

जहां अंतिम पड़ाव पर एक नियमित कुलपति के ऊपर अंकुश लगाने की बात की गई थी वहीं दूसरी तरफ एक कार्यवाहक कुलपति संवैधानिक फैसला और नियुक्ति प्रक्रिया कैसे आरंभ कर सकते हैं।

इंडिया रिपोर्टर लगाए गए आरोपों की पुष्टि कतई नहीं करता है कि ऐसा प्रावधान है अथवा नहीं, सिर्फ लिखे गए पत्र पर उठाए गए संवेदनशील केंद्र बिंदुओं, मुद्दों और कथित आरोपों-प्रत्यारोपों पर संवैधानिक रूप से विचार करने एवं ध्यान देने का प्रयास कर रहा है। ध्यान देने योग्य है कि *बिना आग के कभी धुआं नहीं उठता* वाली बात पर अगर अमल किया जाए तो विषय तो छानबीन वाला बनता ही है।

इसीलिए संवैधानिक पद की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जांच की भी जानी चाहिए वरना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का तो कोई औचित्य ही नहीं रहा। बस, चंद सिक्कों की ख़ातिर अपने उद्देश्य से भटक कर आंखें बंद करके बैठना और टैक्स पेयर्स के गाढ़े खून-पसीने की कमाई को लुटते हुए देखना हमारी पत्रकारिता में न कभी शामिल था और न ही होगा। यह हमारे मीडिया नेटवर्क पालमपुर रिपोर्टर हिमाचल रिपोर्टर और इंडिया रिपोर्टर का 33 वर्ष पुराना स्वर्णिम इतिहास रहा है। 

*न झुकेंगे, न टूटेंगे और न ही ग़लत बात के आगे कभी हारेंगे, भले ही उसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।*

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।।”

जहां तक हमारी जानकारी है कार्यवाहक पदाधिकारी मात्र सरकार एवं न्यायालय के दिशा-निर्देशों को पालन करने के लिए अधिकृत है ताकि सरकार एवं न्यायालय के आदेशों की अवहेलना न हो।

डॉ डीके वत्स कार्यवाहक वाइस चांसलर को पिछले कल सभी तथ्यों से अवगत करवाया गया तथा उन्हें आज 11:00 बजे सुबह तक अनिवार्य रूप से अपनी सफाई पेश करने हेतु ग़ुज़ारिश की गई थी। निर्धारित समय पर उत्तर न मिलने के बावजूद उसके बाद उन्हें अतिरिक्त समय भी दिया गया स्पष्टीकरण हेतु लेकिन वह अपनी सफाई प्रस्तुत करने अथवा कोई भी टिप्पणी करने में असफल रहे। 1 बज कर 40 मिनट तक उत्तर की प्रतीक्षा करने के पश्चात ही समाचार प्रकाशित करने का अंतिम निर्णय लिया गया। मुझे दुख है कि पर्याप्त समय देने के बावजूद सरकार व जनहित में वह अपना पक्ष रखने में कामयाब नहीं हुए।

वर्तमान परिस्थितियों इस बात का आभास करवा रही हैं कि पत्र में जो भी टीका- टिप्पणियां की गई हैं और जो भी आरोप लगाए गए हैं उन्हें कार्यवाहक वाइस चांसलर ने मूक रूप से स्वीकार कर लिया है इसलिए उन्होंने किसी भी आरोप का कोई उत्तर देना उचित नहीं समझा

राजेश सूर्यवंशी,
एडिटर-इन-चीफ

Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
DENTAL RADIANCE
DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALAMPUR TOUCHING SKY
Dr. Vivek Sharma, PRINCIPAL
GGDSD COLLEGE RAJPUR, PALAMPUR

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