कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर वेशकीमती अरबों रुपए की भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण का हिमाचल प्रदेश कृषि शिक्षक संघ (हपौटा) द्वारा पुनः प्रबल विरोध
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का भविष्य खतरे में
कृषि विश्वविद्यालय की भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण का हिमाचल प्रदेश कृषि शिक्षक संघ (हपौटा) द्वारा पुनः प्रबल विरोध
डॉ. जनार्दन सिंह, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपौटा) ने बताया कि मीडिया रिपोर्टों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के माध्यम से विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के संज्ञान में जनवरी के प्रथम सप्ताह में आया था कि विश्वविद्यालय की लगभग 112 हेक्टेयर भूमि पर्यटन केंद्र/गांव के लिए प्रस्तावित की गई है।
सर्वोच्च पर्वतीय हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की इस भूमि को पर्यटन ग्राम/केंद्र की स्थापना के लिए देना सरासर गलत निर्णय है जिसका हपौटा ने जनवरी में ही खुलकर विरोध किया था ।
यह मामला अभी तक ठन्डे बस्ते में था लेकिन फिर मीडिया से पता चला है कि सरकार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य प्रशानिक अधिकारिओं पर दबाव डालकर भूमि हस्तांतरण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) ले लिया है ।
यह चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के साथ सरासर गलत एवं शौतेला व्यव्हार है । इस निर्णय का कृषि शिक्षक संघ विरोध करता है । यह पूरे हिमाचल प्रदेश और ख़ासकर पालमपुर के लोगों के अत्यन्त शर्म की बात है।
विश्वविद्यालय की पहले ही काफी जमीन विक्रम बत्रा कॉलेज, विज्ञान संग्रहालय और हेलिपैड के लिए सरकार द्वारा ले ली गयी है । अब विश्वविद्यालय के पास जमीन केवल मौजूदा चार कॉलेजों कृषि महाविद्यालय, पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय और आधार भूत विज्ञान महाविद्यालय को चलाने के लिए ही बची थी उसमें से भी लगभग 112 हेक्टेयर भूमि पर्यटन केंद्र/गांव के लिए ली जा रही है ।
नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के साथ, स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों का प्रवेश साल दर साल बढ़ रहा है और मौजूदा प्रायोगिक क्षेत्र विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्र प्रयोगों के लिए कम पड़ रहा है। छात्रों के क्षेत्र प्रयोग की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने और विश्वविद्यालय की डेयरी फार्मिंग को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय की मान्यता के लिए न्यूनतम आवश्यकता के अनुसार, सुअर पालन और बकरी फार्म शुरू करने के लिए शीघ्र ही नया बुनियादी ढांचा जोड़ा जाना है। छात्रावास आवास की कमी के कारण कई स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों, विशेषकर लड़कियों को विश्वविद्यालय से बाहर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अत: छात्रों के लिए छात्रावास के निर्माण हेतु अधिक क्षेत्र की आवश्यकता है। इसके अलावा, नई शिक्षा नीति के तहत नए कॉलेज और नए कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं ।
यदि विश्वविद्यालय के पास मौजूदा क्षेत्र कम हो गया, तो उत्तर पश्चिमी हिमालय के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश भीं ख़त्म हो जाएगी । यह प्रदेश के लिए बहुत शर्म की बात होगी ।
उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के शिक्षक संघ फिर से माननीय मुख्यमंत्री जी से निर्णय की समीक्षा करने और पर्यटन गांव/केंद्र के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय की भूमि के हस्तांतरण के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करता है ताकि शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियां सुचारू रूप से चलता रहे ।
हिमाचल प्रदेश कृषि शिक्षक संघ (हपौटा)