पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी कॉलेज का ताज़ातरीन घपलेबाजी का मामला, हिमाचल में भी ऐसा हो सकता है, कभी किसी ने सोचा नहीं था

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Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
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RAJESH SURYAVANSHI
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क्या हिमाचल के कॉलेजेस में स्कूलों में अनुशासन जरूरी नहीं।
अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा था कि किसी स्कूल के बच्चे यह नहीं बता पाए की वह किस देश में रहते हैं और यह प्रश्न किसी अध्यापक ने नहीं पूछा किसी अभिभावक ने नहीं पूछा बल्कि प्रदेश के एक MLA ने पूछा था । यह वाक्या चंबा जिला के ट्राईबल बेल्ट की है क्या ट्राईबल बेल्ट के अध्यापक बच्चों को इतना भी नहीं बता पाए कि वह किस देश में रहते हैं ।
इस तरह के मैसेज बिहार आदि राज्यों से आया करते थे कि वहां पर अनुशासनहीनता बहुत अधिक है नकल पर लगाम नही है इसीलिए वहां पर लैंड फॉर जॉब जैसे स्कैम हुए । परंतु हिमाचल में ऐसा कल्चर नहीं था। हिमाचल के अध्यापक और विद्यार्थी दोनों हैं अनुशासन प्रिय माने जाते थे परंतु लगता है अब परिदृश्य बदल हो चुका है ।
पहले स्कूल या कॉलेज में स्टाफ के लिए बायोमेट्रिक मशीन नहीं होती थी हाजिरी रजिस्टर पर लगाई जाती थी कुछ अध्यापकों प्राध्यापकों के लिए हाजिर केवल एक समय यानी सुबह ही लगाना जरूरी था परंतु अध्यापकों और प्राध्यापकों में फिर भी इतनी अनुशासनहीनता नहीं थी कि वह रजिस्टर पर हाजिरी लगाकर स्कूल कॉलेज से गायब हो जाए क्योंकि सुबह हाजिरी लगाने के बाद उन्हें देखने या पूछने वाला कोई नहीं होता था कुछ लोग अवश्य अनुशासनहीनता करते थे इसलिए सरकार ने बायोमैट्रिक सिस्टम लागू किया अध्यापक लोग सुबह 10:00 बजे आएंगे और शाम को छुट्टी होने के बाद ही स्कूल से निकल पाएंगे क्योंकि दोनों ही समय अंगूठा लगाना आवश्यक होता है लेकिन लोगों ने उसका भी तोड़ निकाल लिया सुना है कुछ कॉलेजेस में काफी अनुशासनहीनता चल रही है लोग सुबह आकर बायोमेट्रिक में अपना अंगूठा दिखाते हैं तथा उसके बाद आराम से गायब हो जाते हैं और शाम को फिर से आकर अंगूठा दिखा जाते हैं ।
कमाल की बात यह है कि यह सारी बातें कॉलेज प्रशासन की संज्ञान में होती है फिर भी वह कुंभकरण की नींद सोया रहता है। मौन धारण किए हुए रहता है। स्टाफ के कुछ लोगों में ऐसे अनुशासनहीनता को लेकर काफी रोष व्याप्त रहता है। जो लोक अनुशासन में रहते हैं उनमें रोज व्याप्त होना स्वभाविक है क्योंकि अपनी ड्यूटी को सही ढंग से करने वाले दूसरों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि वह भी अपनी ड्यूटी का सही ढंग से पालन करें बच्चों को ढंग से बढ़ाएं पूरा दिन कॉलेज में रहे लेकिन सिस्टम में गधे और घोड़े सब बराबर हो जाते हैं जो एक घंटा या आधा घंटा के लिए आते हैं और जो सारा दिन कॉलेज में मगज खपाई करते हैं वह सब गधे घोड़े बराबर हो जाते हैं बराबर हो जाए तो भी ठीक है परंतु उन लोगों की वैल्यू ज्यादा बन जाती है जो अनुशासन हीन होते हैं और या तो बिजनेस में संलिप्त रहते हैं या फिर अपने कोठियां बनाने में मस्त रहते हैं।

पालमपुर। विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी डिग्री कॉलेज में भी एक मामला चर्चा के विषय बना हुआ है।
कई कॉलेजज प्रशासन पर यह आरोप लगा रहे हैं कि कॉलेज प्रशासन कुछ लोगों के साथ तो बहुत सख्ती से पेश आता है तथा कुछ लोग केवल आधा घंटा सुबह और आधा घंटा शाम ही कॉलेज आते हैं उनका वह कुछ नहीं बिगाड़ सकते। ना जाने किन कारणों से आज कॉलेज प्रशासन मौन रहता है क्या कॉलेज प्रशासन पर कोई राजनीतिक दबाव होता है या इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता होगा। या फिर यह प्रशासन इन लोगों के साथ मिलकर कोई अपना हित साध रहा होता है ।
कुछ विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कॉलेज के विद्यार्थी भी बहुत परेशान हैं क्योंकि उन्हें कॉलेज में पढ़ाया ही नहीं जा रहा वह घर पर जो पढ़ाई करते हैं उसी के सहारे उनका रिजल्ट आएगा सरकारी कॉलेजों में अक्सर गरीब रथ परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं वह कुछ मामलों में कई कई किलोमीटर बसों में धक्के खा कर अपने कॉलेज पहुंचते हैं और आगे अध्यापक लोग अपनी मनमर्जी से पढ़ाते हैं।
पहले गुरुओं को भारतीय समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता था और उनका आचरण भी उसी के अनुरूप होता था परंतु अब ना जाने किन कारणों से गुरु में आचार व्यवहार और संस्कार सब की कमी आ गई है ना जाने किस तरह से कुछ लोग करोड़ों की संपत्ति बना रहे हैं और पढ़ाई के समय स्कूल कॉलेज से गायब रहकर अपना निजी कार्य निर्माण कार्य देखते रहते हैं।
अगर पूरी जांच कराई जाए तो पता चल जाएगा कि कोई कैसे छोटी सी सर्विस के दौरान करोड़ों की संपत्ति बना सकता है जबकि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी की आय और वेतन बहुत कम होता है और उनकी संपत्ति उससे कई गुना अधिक कैसे होती है। ऐसा नहीं है कि उनके विभागों के इस विषय में पता नहीं होता फिर भी मैं विभाग आंखें मूंदे रहते हैं और कोई कार्यवाही नहीं होती।

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