चंडीगढ़: भारत महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में कदम रख दिया है। इस मैच में ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर के गोल से भारत ने आस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी। गुरजीत कौर ने सोमवार को टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया।
अमृतसर के मियादी कलां गांव की रहने वाली 25 साल की गुरजीत के परिवार का हॉकी से कुछ लेना देना नहीं था। उनके पिता सतनाम सिंह के लिए तो बेटी की पढ़ाई ही सबसे पहले थी। गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप ने शुरुआती शिक्षा गांव के पास के निजी स्कूल से ली। इसके बाद वे तरनतारन के कैरों गांव में एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने गई। यही हॉकी के लिए उनका लगाव शुरू हुआ। वे लड़कियों को हॉकी खेलते देख प्रभावित हुई और उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया।
दोनों बहनों ने जल्द ही खेल में महारत हासिल की और छात्रवृत्ति भी पाई। इसने उन्हें मुफ्त स्कूली शिक्षा और बोर्डिंग मिला। इसके बाद गुरजीत कौर ने जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया। 2014 में उन्हें भारतीय कैंप में बुलाया गया। सोमवार को मैच के 22वें मिनट में गुरजीत ने पेनल्टी कार्नर पर यह महत्वपूर्ण गोल किया। इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल भी रही। गोलकीपर सविता ने बेहतरीन खेल दिखाया और बाकी रक्षकों ने उनका अच्छा साथ दिया।
भारतीय हॉकी टीम की जीत पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बधाई दी है। कैप्टन ने ट्वीट किया कि तीन बार के ओलंपिक चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए मुझे हमारी महिला हॉकी टीम पर गर्व है। उन्होंने मैच में एकमात्र गोल करने वाली अमृतसर की गुरजीत कौर को बधाई दी। कैप्टन ने कहा कि हम इतिहास की दहलीज पर हैं।
भारतीय टीम मास्को ओलंपिक 1980 में चौथे स्थान पर रही थी लेकिन केवल छह टीमों ने हिस्सा लिया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गए थे। भारतीय हॉकी टीम अपने पूल में दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड को हराकर चौथे स्थान पर रही थी जबकि आस्ट्रेलिया अपने पूल में शीर्ष पर रहा था। भारतीय पुरुष टीम पहले ही सेमीफाइनल में जगह बना चुकी है।