इन दिनों ओलिंपिक के सहारे खेलों की चर्चा है। कोरोना की निराशाभरी लहर के बीच इंदौर के लिए भी खेल मैदान से उम्मीदों की नई रोशनी नजर आई है। खेल कौशल के जरिए देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाले शहर के दो होनहारों की ‘ जिंदगी” अब पटरी पर लौटेगी। रेलवे ने जहां अपनी कार्य क्षमता को बेहतर करने के नाम पर हजारों पद खत्म करने का फैसला किया है, वहीं इंदौर के दो खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा के कारण अपनी सेवा में जोड़ने का फैसला किया गया है।
पश्चिम रेलवे ने शहर की अंतरराष्ट्रीय गोताखोर भाविका पिंगले और राष्ट्रीय पहलवान सन्नी जाधव को टिकट कलेक्टर (टीसी) पद पर नियुक्ति दी है। दोनों ने अपना पदभार भी ग्रहण कर लिया है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए दोनों ने कठोर परिश्रम किया और इसका श्रेय कोच के साथ-साथ स्वजन को दिया।
शौकिया तैराक से बन गई पेशेवर खिलाड़ी
22 साल की भाविका वर्ष 2010 में लक्ष्मणसिंह चौहान तरणताल में शौकिया तौर पर तैराकी सीखने गईं थी। यहीं विश्वामित्र अवार्डी कोच रमेश व्यास ने भाविका के स्वजन को सलाह दी कि आपकी बेटी में बेहतर गोताखोर बनने के गुण हैं। फिर स्वजन ने भाविका को नेहरू पार्क अभ्यास के लिए भेजना शुरू कर दिया। भाविका ने पहले ही साल कोल्हापुर में राष्ट्रीय सबजूनियर स्पर्धा में शीर्ष छह में स्थान बनाकर अपनी प्रतिभा को साबित की। इसके बाद भाविका ने पीछे पलटकर नहीं देखा।
उपलब्धि : राष्ट्रीय स्पर्धा (वर्ष 2011, इंदौर) में दो स्वर्ण व एक कांस्य पदक। विभिन्ना् ग्रुपों की राष्ट्रीय स्पर्धा में अब तक 24 स्वर्ण, 15 रजत, चार कांस्य पदक। वर्ष 2014 में मप्र सरकार द्वारा एकलव्य अवार्ड मिला। दक्षिण एशियाई स्पर्धा (वर्ष 2016, कोलंबो) में दो रजत पदक।
लक्ष्य : भाविका का कहना है कि वह कोरोना की लहर खत्म होने के बाद फिर से प्रशिक्षण में जुटेगी। अगला लक्ष्य रेलवे का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश और देश का नाम रोशन करना है। वह अपनी इस सफलता का श्रेय कोच रमेश व्यास के अलावा पिता गिरीश और माता चंचला पिंगले को देती हैं।
पिता की मौत के बाद काफी संघर्ष किया
बाणगंगा इलाके की तंग बस्ती में रहने वाले 22 वर्षीय सन्नी जाधव 12 वर्ष की मेहनत का फल मिलने से खुश हैं। पिता राजू जाधव भी राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे। 10 साल की उम्र से सन्नी मल्हाराश्रम कुश्ती सेंटर में एनआइएस कोच वेदप्रकाश जावला से ग्रीकोरोमन शैली के गुर सीखने लगे। वर्ष 2016 में पिता का देहांत होने से परिवार की जिम्मेदारी कमजोर कंधों पर आ गई। गाड़ियां धोकर और हम्माली करते हुए परिवार का पेट पाला। मगर पिता का सपना पूरा करने के लिए अखाड़ा नहीं छोड़ा।
उपलब्धि : वर्ष 2013 से लगातार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मप्र का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2018 (चित्तौड़गढ़) में राष्ट्रीय सीनियर स्पर्धा में चांदी जीती। फिर वर्ष 2019 में अभा विश्वविद्यालयीन खेल, वर्ष 2020 में खेलो इंडिया तथा वर्ष 2021 में जालंधर में राष्ट्रीय स्पर्धा में रजत पदक जीता। पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में भी शामिल किया गया, जो फिलहाल कोरोना के कारण स्थगित हैं।
लक्ष्य :सन्नी इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय कोच वेदप्रकाश जावला के अलावा माता राधा जाधव को भी देते हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उनके लक्ष्य को बाधित नहीं होने दिया। अब वे रेलवे की ओर से प्रदेश व देश का नाम चमकाने के लिए काफी उत्सुक हैं।
2020-21 के टेलेंट कोटे से जीएम आलोक कंसल, पश्चिम रेलवे स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार लाल, सचिव संदीप राजवंशी की सक्रियता से पश्चिम रेलवे में कुल सात खिलाड़ियों को पश्चिम रेलवे भर्ती किया गया है। उम्मीद है कि अब ये खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेलवे का नाम रोशन करेंगे। जल्द ही और खिलाड़ियों की भर्ती भी होगी। -पप्पू यादव (ओलिंपियन और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, खेल, पश्चिम रेलवे)