Delhi: 80 करोड़ की मशीनों का 2 साल तक किराया देगी MCD

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दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता वाले नगर निगम (MCD) पर कूड़े का ढेर कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन किराए पर लेकर बेवजह करोड़ों रुपये खर्च करने का आरोप लगाया है. एएपी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने बताया कि भलस्वा, गाजीपुर और ओखला में कचरा डम्पिंग ग्राउंड हैं. इस कूड़े के ढेर को जल्द से जल्द कैसे कम किया जा सके, इस संबंध में दिल्ली सरकार ने एक समिति बनाई थी. दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी के अधीन यह समिति बनाई गई थी.दिल्ली सरकार कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए ईस्ट एमसीडी को 65 करोड़ देती है और ईस्ट एमसीडी 40 करोड़ रुपये देता है. इसी तरह नॉर्थ एमसीडी को 35 करोड़ और साउथ एमसीडी को 25 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. ये दोनों एमसीडी क्रमशः 30 और 15 करोड़ रुपये देते हैं. दिल्ली सरकार की बड़ी हिस्सेदारी से तीनों लैंडफिल साइट पर जो कूड़े के पहाड़ हैं, उसको कम करने की कोशिश जारी है.

 

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के दिए हुए और टैक्स से जुटाए करोड़ों रुपये की लूट एमसीडी में हो रही है. उन्होंने कहा कि छह महीने पहले हमने ट्रॉमल मशीन के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. ट्रॉमल मशीन से कूड़े की ऊंचाई को कम किया जा रहा है. हमारी वह प्रेस कॉन्फ्रेंस एक ऑडिट के आधार पर थी. वह ऑडिट रिपोर्ट भी एमसीडी की ही ऑडिट रिपोर्ट है और उसे एमसीडी के मुख्य ऑडिटर ने बनाई थी.

 

रिपोर्ट का हवाला देते हुए एएपी के प्रवक्ता ने कहा कि एमसीडी ने ट्रॉमल मशीन किराए पर ली है. ऑडिट रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि इन ट्रॉमल मशीन का बाजार में दाम करीब 17 लाख 70 हजार रुपये है. इस ट्रॉमल मशीन को एमसीडी ने 6 लाख 30 हजार प्रतिमाह के किराए पर लिया हुआ है. तीन महीने के किराए में एक ट्रॉमल मशीन की पूरी की पूरी कीमत वसूल हो जाती है.

 

एमसीडी ने 23 ट्रॉमल मशीनें किराए पर ली हैं जो पिछले डेढ़ साल से इन कूड़े के पहाड़ पर काम कर रही हैं. अगर हम 17 लाख 70 हजार रुपये के हिसाब से इन 23 ट्रॉमल मशीनों की कुल कीमत लगाएं तो यह 4 करोड़ रुपये थी जिनके लिए एमसीडी ने अभी तक 26 करोड़ रुपये का भुगतान किराए के तौर पर कर दिया है.

 

बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई कीमतें

 

सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि ट्रॉमल मशीनों को लेकर एमसीडी के ही चीफ ऑडिटर ने एक रिपोर्ट बनाई, जिसमें लिखा है कि किसी मशीन को किराए पर लेने से पहले कुछ गणना की जाती है, वह भी एमसीडी की ओर से गलत की गई है. मशीनों की कीमत 64 लाख 90 हजार रुपये दिखाई गई है जबकि उनके ऑडिटर ने कहा है कि इन मशीनों की असली कीमत 17 लाख 70 हजार रुपये है.

 

अन्य चीजों के दाम भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए हैं जिससे यह प्रमाणित किया जा सके कि इन मशीनों की खरीद महंगी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि एमसीडी के ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन मशीनों की खरीद में फायदा था. एमसीडी की ओर से लिखा गया है कि ये मशीनें केवल एक साल चलती हैं जबकि ऑडिटर के मुताबिक ये सात से आठ साल तक चलती हैं. एमसीडी ने 22 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार किया है. एमसीडी ने चार करोड़ रुपये का माल 26 करोड़ रुपये में किराए पर लिया.

 

स्टैंडिंग कमेटी में भी उठा ये मुद्दा

 

एएपी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि स्टैंडिंग कमेटी के साथ ही सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया. इसके बावजूद एमसीडी ने अपने इस प्रोजेक्ट का कांट्रैक्ट खत्म नहीं किया. उन्होंने स्टैंडिंग कमिटी का एजेंडा दिखाते हुए आरोप पर आरोप जड़े और कहा कि अब ये एक नया कांट्रैक्ट लेकर आए हैं. आज एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होने वाली है.

 

इस एजेंडे के अनुसार, अब इन्होंने नया तरीका खोजा है जिसके अनुसार अब ये 306 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से इस कूड़े की प्रोसेसिंग के लिए इन ट्रॉमल मशीनों को भुगतान करेंगे. इसके लिए 79 मशीनें किराए पर लेनी होंगी. इन्हीं की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि एक मशीन एक महीने तक प्रतिदिन 8 घंटे चलेगी तो 6000 मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस करेगी. अगर हम इस हिसाब से इसकी गणना करें तो एक मशीन का एक महीने का किराया करीब 18 लाख 36 हजार रुपये पहुंचता है जो वर्तमान दर से भी अधिक है.

 

बीजेपी नेताओं की हैं सारी मशीनें

 

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि कि कोई सामान्य व्यक्ति चाहकर भी ट्रॉमल मशीन एमसीडी को किराए पर नहीं दे सकता क्योंकि सभी मशीनें बीजेपी नेताओं की हैं. उनके द्वारा नई-नई कंपनियां खड़ी की गई हैं और उनकी मशीनें यहां किराए पर लगाई गई हैं. उन्होंने दावा किया कि हमने एक साधारण सी गणना दो साल के लिए की है. ये जो 79 मशीनें अलग-अलग किराए पर ले रहे हैं, उन मशीनों की कीमत मात्र 80 करोड़ रुपये है और सिर्फ दो साल के अंदर इन मशीनों का किराया जो इन्होंने स्टैंडिंग कमेटी में तय किया है, वह 348 करोड़ रुपये पहुंच रहा.

 

ये 80 करोड़ रुपये कीमत की 79 मशीनों का किराया दो साल में 348 करोड़ रुपये देंगे. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये 348 करोड़ रुपये का आंकड़ा सिर्फ नॉर्थ एमसीडी का है. अगर हम उसके अंदर साउथ एमसीडी और ईस्ट एमसीडी को भी मिलाकर देखेंगे तो यह कम से कम एक हजार करोड़ का घोटाला होगा.

 

उन्होंने बताया कि इस समिति में तीनों एमसीडी के कमिश्नर शामिल थे. दिल्ली सरकार कूड़े के ढेर को कम करने के लिए सबसे ज्यादा पैसा देती है

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