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INDIA REPORTER NEWS
LAHOUL SPITI : BANYAL
आज ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ सब कमेटियों की समीक्षा बैठक में उपायुक्त लाहौल -स्पीति पंकज रॉय ने जानकारी दी I लाहौल-स्पीति की क़बायली कला-संस्कृति व घाटी में मनाए जाने वाले उत्सवों कोविश्व के समक्ष ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ के माध्यम प्रस्तुत किया जा रहा है। इस बैठक में फ़रवरी व मार्च माह की गतिविधियों के कैलेंडर पर चर्चा हुई I फ़रवरी माह का कैलेंडर जारी किया गया।
न्यूनतम बजट में भी, लोगों के सहयोग से बहुत ही शानदार कार्यक्रम किये जा रहे हैं। फ़रवरी माह में 3 फ़रवरी को सांस्कृतिक संध्या , 4 को तीरंदाजी केलांग में , 5,6फरवरी जाहलमा, 7,8 को युरनाथ, त्रिलोकनाथ में,9,10 को गोंदला,12 को सारंग, 13,14 को शांशा,15,16 को गोची केलांग, 19,20,21 को हिमसंवाद केलांग, प्यूकर, 22,23 को पूजा -अर्चना शिशुर गोम्पा, 26,27 को योर उत्सव, 27 को लामोई, तिलिंग ओर खाले में, 1 व 2 मार्च को बिलिंग, गोंदला में 3 मार्च को ड्रेंगर, 4 को गुर लामोई व 5 को फ़ेची लामोई के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
पंकज रॉय ने कहा कि देश दुनिया को दिखाने के लिये मीडिया व सोशल मोडिया के माध्यम से स्नो-फेस्टिवल में परंपरागत खेलों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। शीत मरुस्थल लाहुल घाटी में पहली बार स्नो फेस्टिवल मनाया जा रहा है।
‘ फ़ेस्टिवल’ शुभारम्भ तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कण्डेयइ ने किया था। आजकल हर घाटी व गांव में ‘स्नो फेस्टिवल’ की धूमधाम चली है। ग्रामीण अपनी -अपनी संस्कृति अनुसार इन उत्सवों का आयोजन कर रहे हैं। अटल टनल रोहतांग ने जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की लाहुल घाटी व चंबा जिला की किलाड़ घाटी के लिए समृद्धि व खुशियों के द्वार खोल दिए हैं। लोगों के लिए अटल टनल रोहतांग वरदान सावित हुई है।
लाहुल घाटी के फागली, हालडा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, लामोही जैसे प्रमुख त्यौहार हैं। यह सभी त्यौहार सर्दियों में ही मनाए जाते हैं और हर जगह इनके मनाने का रिवाज अलग -अलग है। पहली बार इस महा उत्सव के माध्यम से लाहौल की समस्त घटियों की सांस्कृतिक विधाओं को एक दूसरे एकीकृत हो रही हैं। तीर अंदाजी, बर्फ़ पर रस्साकस्सी, आदि आकर्षक व रौचक खेलों के रूप में सामने आ रहे हैं I
लाहुल स्पीति पंकज राय ने कहा कि हर साल घाटी के लोग सर्दियों में विभिन्न त्यौहार आयोजित करते है I लेकिन इस साल लाहुल -स्पीति प्रशासन इन सब त्योहारों को एक मंच पर ला रहा है। यह स्नो फ़ेस्टिवल लगभग लगभग दो महीने चलेगा I मार्च के अन्तिम सप्ताह में इसका समापन होगा। हर गांव में पहले जैसे ही उनकी संस्कृति के मूल स्वरूप में ही इन त्योहारों को मनाया जाएगा।
भविष्य में हर त्योहार को पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा। पूरी घाटी की सड़कों को यातायात सुविधा से पूरे सर्दी में जोड़े रखने की योजना बनाई जाएगी। सिस्सु से हर घाटी के लिए ‘राइड विथ प्राइड’ की भांति टैक्सी सेवा चलाने का भी प्रयास किया जाएगा I पर्यटकों को इनके इच्छनुसार गांवों के कार्यक्रम में शामिल करने की व्यवस्था होगी।उन्होंने कहा कि शीत मरुस्थल में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से ही स्नो फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। स्नो फ़ेस्टिवल के माध्यम से यहाँ के पारंपरिक कलाओं, वेष -भूषा व खानपान को बढ़ाबा मिलेगा।
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