डेरा सच्चा सौदा की संगत की उमड़ती भीड़ ने ध्वस्त किये सभी रिकॉर्ड, भलाई के कार्यों को दिया अंजाम, 1948 में हुई थी डेरा सच्चा सौदा की स्थापना
डेरा सच्चा सौदा की संगत की उमड़ती भीड़ ने ध्वस्त किये सभी रिकॉर्ड
धर्मशाला (रजित चित्रा)
29 अप्रैल 1948 को बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने मानवता की भलाई हेतु डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी।
डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। आप जी ने लोगों को गुरु मंत्र दे कर मानवता भलाई कार्यो पर चलने का रास्ता बताया। इनके पश्चात दूसरी पातशाही परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों सत्संग किये और लाखों लोगों को गुरु मंत्र देकर इंसानियत की राह पर चलाया और अब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु 138 मानवता भलाई कार्यो में जुटे हुए हैं।
जिनमें 29 अप्रैल 2007 को पूज्य गुरु जी ने रूहानी जाम की शुरूआत कर मर रही इंसानियत को जिंदा करने का बीड़ा उठाया। 138 मानवता भलाई कार्यो में रक्तदान, शरीर दान, गुर्दा दान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, गरीब कन्याओं की शादी करवाना, राशन वितरण, नेत्रदान, लोगों का नशा छुड़वाना, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का निशुल्क इलाज करवाना, निशक्त जनों को सहारा देने के लिए ट्राई साइकिल देना सहित अनेक कार्य शामिल है।
नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही पूरा भरा पंडाल
मानवता भलाई के 138 कार्यों को दी नई रफ्तार
धर्मशाला (सच कहूँ न्यूज)। डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना माह की खुशी के पहाड़ों की रानी धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में आयोजित पावन भंडारे की नामचर्चा में रविवार को हिमाचल प्रदेश से भारी तादाद में साध-संगत उमड़ पड़ी। साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामचर्चा शुरू होने से पहले ही पंडाल पूरी तरह से भर गया और साध-संगत का आना लगातार जारी रहा। वहीं साध-संगत पावन भंडारे में शिरकत करने के लिए हिमाचली वेशभूषा और पारंपरिक वाद्यों पर नृत्य करते हुए पहुंची। 45 मैंबर सदस्यों ने बताया कि पावन भंडारे पर धर्मशाला के इतिहास का सबसे बड़ा जनसमूह पहुंचा।
डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना माह की खुशी के पहाड़ों की रानी धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में आयोजित पावन भंडारे की नामचर्चा में रविवार को हिमाचल प्रदेश से भारी तादाद में साध-संगत उमड़ पड़ी।
साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामचर्चा शुरू होने से पहले ही पंडाल पूरी तरह से भर गया और साध-संगत का आना लगातार जारी रहा।
वहीं साध-संगत पावन भंडारे में शिरकत करने के लिए हिमाचली वेशभूषा और पारंपरिक वाद्यों पर नृत्य करते हुए पहुंची। 45 मैंबर सदस्यों ने बताया कि पावन भंडारे पर धर्मशाला के इतिहास का सबसे बड़ा जनसमूह पहुंचा।