वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री देस राज बंटा जी ने मोह लिया शनि सेवा सदन का मन, दीन-दुखियों की सहायतार्थ दिया 11000 रुपये का दान
पालमपुर के वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सम्पादक सर्वश्री देस राज बंटा जी ने शनि सेवा सदन पालमपुर को दीन-दुःखियों के कल्याणार्थ 11000 रु. की धनराशि दानस्वरूप भेंट की गई।
श्री बंटा जी ने फ़ोन पर श्री राजेश सूर्यवंशी को सूचित किया था कि वह शनि सेवा सदन को 11000 रु. दान करना चाहते हैं।
शनि सेवा सदन के प्रमुख श्री परविंदर भाटिया व उनके सहयोगी श्री राजेश सूर्यवंशी जब बंटा जी के निवास स्थान”आशीर्वाद'” पहुंचे तो उन्होंने शनि सेवा सदन को सम्मानपूर्वक घर में स्थान दिया, सेवा भाव और ‘नर सेवा-नारायण सेवा ‘ का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए धनराशि का पैकेट परविंदर भाटिया जी को सौंपा व अत्यधिक प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए स्वयं को सौभाग्यशाली समझा।
उल्लेखनीय है कि श्री देस राज बंटा ने पिछले वर्ष भी 11 हज़ार रुपए की धनराशि शनि सेवा सदन की सेवा में अर्पित की थी। वह हर ज़रूरत मंद की यथोचित सहायता करना अपना परम धर्म समझते हैं। कभी किसी को अपने दर से खाली वापिस नहीं भेजते। ऐसे ही धर्म-कर्म के गुण उनकी धर्मपत्नी में भी विद्यमान थे। वह भी अत्यंत मृदुल स्वभाव की हँसमुख व पावन प्रवृत्ति की महिला थीं। उनके असहनीय वियोग के बावजूद श्री बंटा जी ने परोपकार का रास्ता अपनाए रखा जिसे उन्होंने आज तक अपनी धर्मपत्नी की याद में बरकरार रखा हुआ है।
श्री बंटा जी ने कहा कि मैं कितना भाग्यशाली हूं कि मुझे मेरे बच्चों का हर परिस्थिति में पूर्ण सहयोग, आदर व भरपूर प्यार मिलता है जिसके लिए मैं भगवान का बहुत धन्यवादी व कृतज्ञ हूं।
“रहिमन वे नर मर चुके, जो कछु मांगन जाहिं।
उनसे पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं”
उन्होंने अपने उच्च विचार प्रकट करते हुए कहा कि दान देने से इंसान के अंदर का लालच खत्म हो जाता है। उचित व्यक्ति को दान देना एक बहुत ही पुण्य का काम होता हैं इससे मन को शन्ति और आंतरिक ख़ुशी मिलती हैं। दान करने वाला अपने पूरे जीवन सुखी और समृद्ध रहता हैं।
इस अवसर पर श्री परविंदर भाटिया ने कहा कि धन्य हैं परम पूजनीय श्री देस राज बंटा जी जो 85 वर्ष की आयु में भी बिना किसी आय के साधन के परोपकार का क्रम आज भी जारी रखे हुए हैं। उनकी निःस्वार्थ सेवा अनुकरणीय है। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिये। ऐसे व्यक्ति समाज के लिये एक मिसाल हैं जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। अपना जीवन सदा पूर्णतया स्वच्छता, अनुशासन, सलीके व शानोशौकत से जीना बंटा जी का शौक रहा है जो आज भी यथावत कायम है।
उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन मुश्किलों का डट कर मुकाबला करते हुए उन्हें हरा कर ही दम लिया तथा धड़ाधड़ सफलता की मंज़िलों को छूते चले गए।
देश व प्रदेश के मुख्यमंत्रियों व केंद्रीय मंत्रियों के बीच उनकी विशेष धाक रही है, ज़बरदस्त दबदबा रहा है। उनके घर पर आए दिन बड़े-बड़े दिग्गज मंत्रियों की बैठकों का दौर चला करता था। बड़े-बड़े उच्चाधिकारी बंटा जी का हार्दिक सम्मान करते थे व आज भी करते हैं। उन्होंने हमेशा अलनी दमदार लेखनी का लोहा मनवाया। इतनी महान शख्सियत होने पर भी घमंड उन्हें छू भी नहीं पाया।
बंटा जी का पत्रकारिता का इतिहास अत्यन्त गरिमापूर्ण व स्वर्णिम रहा है। उन्होंने पूरे प्रदेश के पत्रकारों के हितों के लिए पुरज़ोर आवाज़ उठाई और सरकारों को पत्रकारों की मांगें मानने हेतु मजबूर कर दिया।
इतना बड़ा रुतबा होने के बावजूद उनके जीवन में हमेशा सादगी और शालीनता का समावेश रहा है। उन्होंने स्वच्छता और अनुशासन से कभी समझौता नहीं किया। आज भी उनकी कलम समाज की भलाई के लिए ही उठती है। देश व प्रदेश के उत्थान के लिए चलती है। बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठाना उनके पत्रकारिता कैरियर की विशेष खूबी रही है।
शनि सेवा सदन सदा बंटा जी का आभारी रहेगा। भाटिया जी ने बंटा जी को विश्वास दिलाया कि उनकी पाई-पाई ज़रूरतमंदों की सेवा हेतु खर्च की जाएगी। उन्होंने बंटा जी की सपरिवार दीर्घायु व बेहतर स्वास्थ्य की भगवान शनि देव से प्रार्थना की।
श्री परविंदर भाटिया जी ने बड़े गर्व से कहा कि आज बहुत ही सौभाग्यशाली दिन है जो श्री देस राज बंटा जी जैसी महान शख्सियत से मिलने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ।
भाटिया जी ने अपना बड़प्पन दिखाते हुए श्री बंटा जी के पांव छूकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
यह बात सुन कर शनि सेवा सदन की टीम से आंसू छलक आये जब बंटा जी ने कहा कि ….
“जब तक मैं जीवित हूं, इसी तरह दीन-दुःखियों की निःस्वार्थ सेवा करता रहूंगा तथा जब मैं इस नश्वर संसार से विदाई ले लूंगा उसके बाद भी मेरे बच्चे दान-धर्म के इस क्रम को सदा जारी रखेंगे, ये मेरा आपसे वादा रहा।”
यह सुन कर शनि सेवा सदन प्रमुख परविंदर भाटिया जी भाव-विभोर हो उठे तथा उन्होंने यहॉ तक कह डाला कि भगवान मेरी उम्र भी बंटा जी को लगा दें। इस संसार में ऐसे विरले सौभाग्यशाली महानुभाव ही लोग होते हैं जिनके दुख-दर्द कोई अपने ऊपर लेकर अपनी उम्र उन्हें लगाने की भगवान से दुआ करता है।
हमारी परम पिता परमात्मा से यही दुआ है कि वह श्री देस राज बंटा जी व उनके परिवार के सभी सदस्यों को स्वस्थ रखें, खुश रखें व दीर्घायु प्रदान करें ताकि परोपकार का यह क्रम निर्बाध रूप से यूं ही चलता रहे।