पत्रकार जगत के सम्राट व पत्रकारिता की आन-बान और शान श्री देस राज बंटा का 84वाँ जन्मदिवस हर्षोल्लास से मनाया
7 दशकों की लंबी पत्रकारिता का रचा इतिहास, खूब हुई जय जयकार, कभी भुलाए नहीं जा सकते बंटा जी प्रयास,
पत्रकार जगत के सम्राट श्री देस राज बंटा का 84वाँ जन्मदिवस हर्षोल्लास से मनाया
देस राज बंटा को सम्मानित करें डायनामिक चीफ मिनिस्टर ठाकुर जयराम: राजेश सूर्यवंशी, संस्थापक, HR MEDIA GROUP
शुभचिंतकों ने दीं दीर्घायु व अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाएं
पत्रकारिता के उत्थान में श्री देस राज बंटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता : राजेश सूर्यवंशी, Editor-In-Chief
INDIA REPORTER TODAY
PALAMPUR : B.K. SOOD,
Senior Executive Editor
श्री देशराज बंटा जी हिमाचल प्रदेश पत्रकार जगत की जानी-मानी पत्रकार हस्तियों में से एक हैं। श्री बंटा जी ने
पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ ऐसे मील पत्थर स्थापित किए हैं जिनसे प्रेरित होकर आज भी पत्रकारिता के प्रशिक्षु उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें एक उदाहरण मानकर चलते हैं ।
बंटा जी पत्रकारिता की दुनिया में उस जमाने से हैं जब पालमपुर जैसे शहर में खबरों को भेजने के लिए तार घर में लाइन लगाकर खड़े होना पड़ता था तथा अगर समय पर जालंधर प्रैस में तार या फैक्स पहुंच जाती थी तो दूसरे दिन वह अखबार में छप जाती थी वरना फिर उसके छपने या ना छपने की कोई गारंटी नहीं होती थी। क्योंकि उस समय टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं थी कि आप किसी भी व्यक्ति से कुछ मिनटों में संपर्क स्थापित कर सकें और अपनी बात उनके समक्ष रख सकें। जिस पत्रकार ने दो-तीन घंटे लगाकर एक खबर लिखी हो और फिर वह प्रेस तक न पहुंचे तथा उसे उसके छपने या ना छपने की कोई गारंटी ना हो तो सोचिए उस समय की पत्रकारिता का क्या महत्व होता होगा और पत्रकार खुद को कितना असुरक्षित और असहाय समझते होंगे । आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि जन समस्याओं को उठाना कितना मुश्किल होता होगा।
इस अवसर पर मेहमानों को संबोधित करते हुए राजेश सूर्यवंशी, चीफ, HR मीडिया ग्रुप ने कहा कि परम पूजनीय, परम आदरणीय, पत्रकारिता जगत के चमकते हुए सितारे श्री देस राज बंटा जी ने 1954 से Patriot समाचारपत्र से अपने पत्रकार कैरियर की शुरुआत की थी। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। न जाने कितने हिंदी-अंग्रेज़ी के राष्ट्रीय समाचारपत्रों की शोभा बढ़ाई।
पत्रकारिता के पितामह श्री देस राज बंटा जी ने उस समय पालमपुर में अपनी पत्रकारिता शुरू की थी जब लोगों की इसका मतलब भी पूरी तरह पता नहीं था। उस समय बंटा जी ने हिमाचल प्रदेश के पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करने व कुछ मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की तत्कालीन सरकार से जो लड़ाई लड़ी वह निर्णायक सिद्ध हुई। पत्रकारों को उनके अधिकार मिल गए, सुविधाएं मिल गईं। इसका पूरा श्रेय बंटा जी को ही जाता है।
पत्रकारिता के पितामह श्री देस राज बंटा जी ने उस समय पालमपुर में अपनी पत्रकारिता शुरू की थी जब लोगों की इसका मतलब भी पूरी तरह पता नहीं था। उस समय बंटा जी ने हिमाचल प्रदेश के पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करने और कुछ मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की तत्कालीन सरकार से जो लड़ाई लड़ी वह निर्णायक सिद्ध हुई। पत्रकारों को उनके अधिकार मिल गए, सुविधाएं मिल गईं। इसका पूरा श्रेय बंटा जी को ही जाता है।
सूर्यवंशी ने आगे कहा कि श्री देस राज बंटा ने समाज के प्रति, अपने परिवार के प्रति, पत्रकारिता के उत्थान के लिए जो व्यक्तिगत अथाह प्रयास किये वे अनुकरणीय हैं तथा प्रशंसनीय हैं। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
सूर्यवंशी ने सभी अतिथियों का आभार जताया व बंटा जी की लम्बी उम्र व बेहतर स्वास्थ्य की ईश्वर से प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि जैसे बंटा जी ने पहले अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया वैसे ही आगे भी करते रहने की शक्ति प्रदान करने हेतु उन्होंने ईश्वर से कामना की।
यह एक बहुत ही सादा व आकर्षक कार्यक्रम था जिसमें कुछ प्रतिष्ठित पत्रकरों सहित पालमपुर, जोगिंद्रनगर, धर्मशाला व अन्य क्षेत्रों से कई गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया। वरिष्ठ पत्रकार श्री रविन्द्र सूद और प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री संजीव बाघला ने बंटा जी को हिमाचली टोपी व शाल देकर सम्मानित किया।
श्रीमती ब्रिजला सूद ने भी देश राज बंटा की शान में कुछ भावुक पंक्तियां सुनाईं तथा उनकी स्वर्गीय धर्मपत्नी जी को याद किया जिससे कुछ क्षण के लिए माहौल कुछ ग़मगीन सा हो गया।
इस शुभ मौके पर श्रीमती ब्रिजला सूद, श्री रमेश बंटा, श्री प्रिंस बंटा, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ विनय महाजन, श्रीमती कविता बंटा, श्री केदारनाथ सूद, प्रिंसिपल Mother’s Touch स्कूल श्रीमती ब्रिंदुला करोल, श्री बी.के. सूद, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर HR MEDIA GROUP, श्री प्रदीप करोल, एडवोकेट प्रदीप डोगरा, श्रीमती सपना बंटा; प्रिंसिपल BEd कॉलेज धर्मशाला, इंजीनियर संजीव शर्मा-चीफ इंजीनियर PWD धर्मशाला, एडवोकेट रविन्द्र सूद, प्रधान प्रेस क्लब संजीव बाघला, श्री कुलदीप राणा पत्रकार, श्रीमती अलका बाघला, श्रीमती स्मृति सूर्यवंशी, एंजेल सायरा, रिदम, देवांग, आदित्य सलूजा। श्रीमती कल्पना बंटा व CEO श्री राजेश कंवर की शुभकामनाएं भी माहौल को महका रही थीं। बहुत ही खुशनुमा पल थे ये।
उल्लेखनीय है कि कोई घटना या दुर्घटना अगर किसी इलाके में घटित हो जाती थी तो उसके छपने में 2 दिन का वक्त लग जाता था ,और उस घटना का विवरण संबंधित विभाग के अधिकारियों तक पहुंचाने में कितना समय लगता होगा। अखबार की कटिंग लेकर उस विभागीय अधिकारी तक जाना पड़ता था। उन दिनों के पत्रकार केवल मात्र पत्रकारिता ही कर पाते थे, पत्रकारिता निभाने में ही इतना समय चला जाता था कि व्यापार या धंधे पर ध्यान देने का समय बहुत कम मिलता था। पत्रकार बंधु रात को 12:12 बजे तक बैठकर न्यूज़ लिखते थे तथा उन्हें सुबह तार घर में जाकर उसे फैक्स करवाना होता था और फैक्स करने में भी बहुत लंबी लाइन लगी होती थी कई बार घंटों तक लाइनों में खड़े रहना पड़ता था।
सोचिए इतनी मेहनत करने के बाद भी लोगों की समस्याओं को उजागर करना सरकार की कमियों को दर्शाना तथा उन्हें संबंधित मंत्रालयों या मंत्रियों तक पहुंचाना , उस पर कार्यवाही करवाना कितना कठिन कार्य रहता होगा । इन लोगों ने कितनी मेहनत की होगी पत्रकारिता के धर्म को निभाने के लिए! क्योंकि पत्रकारिता एक धर्म था, देश सेवा थी, ना कि आज की भांति एक मोटा धंधा या बिजनेस था ।
उस युग में पत्रकारों का मानदेय भी इतना कम होता था कि उनके उस मानदेय से स्कूटर के खर्चे भी बड़ी मुश्किल से निकल पाते थे। लेकिन उन्हें पत्रकारिता निभाने का एक जुनून होता था वे इसे देश सेवा समझते थे इसीलिए वह लोगों की समस्याओं को सुलझाने में उसे उजागर करने में तथा देश सेवा में अपनी आहुति डालने में लगे रहते थे।
कार्यक्रम के अंत में बंटा जी ने सभी पत्रकारों को विशेष गिफ्ट देकर रुख्सत किया। कुल मिलाकर यह एक अविस्मरणीय समारोह था।
देशराज पंडा जी ने पत्रकारिता में जो अहम भूमिका निभाई है वह भुलाई नहीं जा सकती उन्होंने जनसमस्याओं को इतनी गंभीरता और संजीदगी से उठाया कि किसी भी समस्या को वह उसके अंतिम अंजाम तक पहुंचाकर ही छोड़ते थे उनके कारण के जन समस्याएं ऐसी थी जो हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गई लोगों को सुविधाएं मिले और लोगों की समस्याओं का समाधान भी होगा दरअसल वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में बड़ी संजीदगी से कार्य करते थे तथा पत्रकारिता के प्रति उनमें जुनून था