IPH षड्यंत्र ! मुख्यमंत्री से कड़ा एक्शन लेने की अपील, जलशक्ति विभाग के अधिकारियों पर कसा जाए शिकंजा जिनकी मिलीभगत से दोषियों ने तोड़ डाली दीवान चंद कुहल, किया सरकार का लाखों का नुकसान, राजनीतिक शरण प्राप्त हैं अभियुक्त, जुलाई महीने से किया जा रहा था जीवनदायिनी कुहल तोड़ने का काम मगर जलशक्ति विभाग के अधिकारी खामोशी से सब कुछ देखते रहे, आखिर क्यों?
प्रोफाइल मामले को राजनीतिक हस्तक्षेप से दबाने की की जा रही कोशिश
D M C आयुर्वेदिक हॉस्पिटल, पालमपुर
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मुख्यमंत्री जी, पूंजीपति अर्चित समेत IPH अधिकारी भी सरकारी नुकसान में संलिप्त, बाड़ ही खेत को खा रहा है, जलशक्ति विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया पूंजीपति द्वारा दीवान चंद कुहल तोड़ने का अपराध,
अब अधिकारी ख़ुद पूरा करें 3 लाख में 25 लाख का नुकसान
बड़े दुख व हैरानी की बात है कि जिन अधिकारियों को भारी-भरकम तनख्वाहें देकर सरकारी संपत्ति की सुरक्षा करने के लिए रखा गया है वे खुद संदिग्ध अपराधियों की मदद करके सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचा कर अपनी जेबें गर्म करने और अपराधियों को संरक्षण देने में लगे हुए हैं।
वास्तव में बड़े गुपचुप तरीके से थुरल जलशक्ति विभाग के अंतर्गत प्राचीन कुहल दीवान चंद कुहल का लगभग 90 मीटर का हिस्सा कथित अपराधियों ने अपनी ज़मीन के लिए रास्ता निकालने तथा ज़मीन की कीमत बढ़ाने हेतु इसका फ्रंट मुख्य सड़क तक लाने की बदनीयत से पक्की कुहल पर 4 जेसीबी चलवा दीं जोकि अब पुलिस कस्टडी में हैं।
मज़े की बात है कि लोगों के जीवन, सेहत और मौलिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए लगभग 5 दोषी ज़मीन मालिकों ने जुलाई महीने में ही कुहल को तोड़ने के कांड को अंजाम देना शुरू कर दिया और 4 जेसीबी काम पर लगवा दीं।
पहले तो लोग समझते रहे कि यह कार्य शायद जलशक्ति विभाग करवा रहा है लेकिन लगभग 2 माह बाद जब तक लोगों को यह हाई प्रोफाइल मामला सामने आया तो देर हो चुकी थी।
इस कांड में राजनीतिक हस्तक्षेप अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं। इसी वजह से कुहल को तोड़ने से पहले ही अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत के तहत कुहल में पाइपें बिछा दीं ताकि लोगों को धोखा देने में कामयाब रहें और अपराधियों के साथ मिलकर अपनी जेबें भी गर्म कर सकें तथा राजनीतिज्ञों को भी खुश कर सकें।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि प्राचीन जीवनदायिनी दीवान चंद कुहल हजारों लोगों को पेयजल प्रदान करती है तथा हजारों एकड़ भूमि को सींचती है लेकिन अभियुक्त होने ना तो आम जनता के बारे में सोच और ना ही सरकार के बारे में और कर डाली विनाश लीला।
बताया जा रहा है कि पालमपुर के गुण्डागर्दी मामले में संलिप्त अर्चित जोकि राजनीतिक शरण प्राप्त है, भी सरकारी कुहल की विनाशलीला में संलिप्त है।
जल शक्ति विभाग के अधिकारी इसलिए भी संदेह के घेरे में है क्योंकि बताया जा रहा है कि कुुुुुहल का नुकसान 25-30 लख रुपए हुआ है जबकि संबंधित अधिकारी मात्र दो-तीन लाख रुपए का नुकसान बता कर अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं सरकार को चाहिए कि जिस अधिकारी ने नुकसान का आंकलन करके रिपोर्ट पुलिस को सौंपी है उसी से कूहल का निर्माण कार्य करवाया जाए फिर देखते हैं कि 3 लाख में 25 लाख के नुकसान की भरपाई कैसे होती है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखों से लोगों ने आग्रह किया है कि इस मामले की गहराई से छानबीन करवाई जाए ताकि जो भी दोषी पाए जाते हैं उन सब के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए ।
मुख्यमंत्री महोदय तो सरकार की संपत्ति को बचाने और बढ़ाने में दिन-रात लगे हुए हैं जबकि जल शक्ति विभाग के कुछ अधिकारी सरकार की संपत्ति को डुबोने में लगे हुए हैं।
मुख्य खुलासा आरटीआई से होगा, जवाब आने तक के इंतज़ार कीजिए।
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