मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कोविड काल में सरकार व आमजन के प्रहरी बने ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के कर्मचारियों ने लगाई गुहार, स्वीकृत एंव सृजित पदों पर अनुकम्पा के आधार पर समायोजित एंव नियमित करने का किया अनुरोध

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RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief
HR MEDIA GROUP

हिमाचल प्रदेष के समस्त जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के कर्मचारियों द्वारा मुख्य मन्त्री हिमाचल प्रदेष को जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण में वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों को स्वीकृत एंव सृजित पदों पर अनुकम्पा के आधार पर समायोजित एंव नियमित करने के हेतू एक ज्ञापन सौंपा गया।

यह कर्मचारी बर्ष 2016 से कार्यरत हैं। भारत सरकार द्वारा बर्ष 2005 में आपदाओं से निपटने तथा उनसे होने वाले नुकसान को कम करने की दृष्टि से आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 पारित किया गया।

इस अधिनियम के आधार पर भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण तथा जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण का गठन किया गया।

हिमाचल प्रदेष सरकार ने उक्त अधिनियम की धारा 25 की अनुपालना में सभी जिलों में जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को अधिसूचित किया तथा इसी अधिनियम की धारा 29 के तहत वर्ष 2016 में सभी जिलों के आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण में कर्मचारियों की नियुक्ति की।

तब से अब तक हिमाचल प्रदेश ने आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में कई आयाम हासिल किए हैं जिसमें इन कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे क्षमता निर्माण एंव शमन के कार्यक्रमों को जमीनी रूप पर आपदा प्रबन्धन के कर्मचारियो द्वारा लागू किया जा रहा है ।

कोरोना की महामारी से निपटने में भी इन्ही कर्मचारियों ने अग्रिम भूमिका निभाई है तथा इस दौरान जनता को दी जाने वाली सरकारी सहायता, कोविड टीकाकरण एंव जनता की सुविधा के लिए ई पास आदि के आबंटन का समन्वयन भी आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के कर्मचारियों द्वारा ही किया गया।

2016 के उपरान्त प्रदेश में घटित सभी आपदाओं जैसे कोटरोपी, वोह, किन्नौर के भू स्खलन, लाहौल स्पिति की बर्फबारी आदि के दौरान चलाए जाने वाले वचाव अभियानों का समन्वसयन भी आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा ही किया गया।

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