




पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,
उनके मुुुक़द्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते। “
*🙏डॉ. शिव कुमार आज भी कर रहे हैं लोगों के दिलों पर राज़,…महसूल होते हैं कहीं आस-पास*
*🌹सुपुत्र राघव शर्मा और जीवनसंगिनी डॉ विजय शर्मा आगे बढ़ा रहे डॉ साहिब की विरासत*
राजेश जी !
आपने बिलकुल सही लिखा कि डाक्टर साहब जी चाहते तो पालमपुर में चिकित्सा जगत में अपना एक अलग ही साम्राज्य स्थापित कर सकते थे लेकिन आपका ये लिखना भी ठीक है कि भगवान ने उनको जनता की सेवा के लिए एक ” सेवा दूत ” के रूप में पृथ्वी पर अवतरित किया था ( मैं तो कहूंगा किया है ) क्योंकि उनकी सेवाएं तो कभी खतम होने वाली नहीं हैं वो अमर हैं , राजेश जी ! यहां ये लिखना भी जरूरी है कि डाक्टर साहब जी के पिता स्वर्गीय अमरनाथ जी ने जहां शिक्षा की मिशाल से कांगड़ा को ही नहीं पूरे हिमाचल को रोशन किया वहीं इन्ही के सपूत डाक्टर शिव जी ने चिकित्सा क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई जो आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है, उनका रोगी से बात करने का सलीका आधी बीमारी को तो दवाई देने से पहले ही ठीक कर देता था और फिर दवाई अपना असर क्यों न दिखाए उनके हाथों में एक सफा भी था , इस सफा का वरदान इस हाथों में गुण होने का वरदान भी भगवान किसी लाखों में एक को ही देता है , राजेश जी! उस वक्त एक रिवाज ही कहो या व्यवस्था या मजबूरी कह लो जो मरीज चलने फिरने में असमर्थ होता था उसको घर पर जा कर देखना पड़ता था तो इतनी सारी व्यस्तताओं के बाबजूद वो समय भी निकालना पड़ता था , टैक्सी सर्विस का नाम ही नहीं था कई मरीजों को दूर-दराज से लोग पालकी में उठा कर भी लाते थे तो लोगों की इस कठिनाई को देखते हुए डाक्टर साहब ने उस समय अपने घर घुगगर में माता इंद्रावती जी के नाम पर प्राइवेट नर्सिंग होम की शुरुआत की जो कि इलाके के लिए ऐसी पहली और उच्च स्तर की सेवा थी और लोगों के लिए अपने नजदीक एक नई बात थी ।
अब आपके द्वारा जब ये सूचना , ये जानकारी मिलती है कि डाक्टर साहब जी की धर्मपत्नी डाक्टर विजय जी ने , बेटे राघव जी ने और बेटी मोना जी ने इन सेवाओं को अनवरत जारी रखने के प्रण के साथ इसमें हमेशा सहयोग की लड़ी जारी रखी है तो ये बहुत ही अच्छी और सुखद बात है.
तभी तो कहते हैं कि…
जब तक सूरज चांद रहेगा डाक्टर शिव जी का नाम रहेगा।।









