ROTARY EYE HOSPITAL MARANDA की जान हैं डाॅ. एस.के. शर्मा

Dr. S.K. Sharma - Pride of MMS ROTARY EYE HOSPITAL MARANDA (PALAMPUR)

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आई हाॅस्पिटल की जान हैं डाॅ. एस.के. शर्मा

INDIA REPORTER TODAY.COM
PALAMPUR : RAJESH SURYAVANSHI

नेत्र चिकित्सा जगत के चमकते सितारे, सीनियर मोस्ट आई सर्जन, MELA MAL SOOD ROTARY EYE HOSPITAL MARANDA (PALAMPUR) के अनमोल रत्न, डाॅ. एस.के. शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लाखों लोगों की दुआएं व शुभ कामनाएं उनके साथ हैं।
रोटरी आई हाॅस्पिटल को ज़ीरो से हीरो बनाने का पूरा श्रेय डाॅ. शिव कुमार शर्मा यानि एस.के. शर्मा व उनकी कर्मठ टीम को जाता है। उन्होंने दिन देखा न रात, आंधी देखी न तूफ़ान, अनवरत् बिना थके अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते गए। 35 वर्ष पूर्व और आज की स्थित में ज़मीन आसमान का अन्तर है। एक नवजात शिशु को अपने हाथों से पाल-पोस कर उन्होंने इतना बड़ा कर दिया है कि वह अब अपनी यौवनावस्था में जन-जन की आंखों का तारा बन गया है। डाॅ. एस.के. शर्मा-डायरैक्टर, आई हाॅस्पिटल ने निदेशक के पद् की गरिमा का सम्मान करते हुए इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए अस्पताल की तरक्की में अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया। उन पर ये पंक्तियां चरितार्थ होती हैं:-

यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल, एक जुनून सा दिल में जगाता पड़ता है, पूछा चिड़िया से… कैसे बना आशियाना? बोली…भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार, तिनका-तिनका उठाना पड़ता है।’’

डाॅ. शर्मा हमेषा अपने अज़ीज़ों से कहा करते हैं- अपने लक्ष्य को ऊंचा रखो और तब तक मत रूको जब तक आप इसे हासिल नहीं कर लेते। वह कहते हैं कि जिनमें अकेले चलने का हौंसला होता है उनके पीछे एक दिन काफ़िला होता है। और उन्होंने इस बात को सिद्ध करके भी दिखा दिया। छोटे से भवन से अस्पताल आरम्भ करके आज उसे बहुमंज़िला बना दिया। उन्हीं के अनथक परिणामों के फलस्वरूप आज इस नेत्र अस्पताल की गणना उत्तरी भारत के श्रेष्ठ अस्पतालों में की जाने लगी है। आंखों के अधिकतर रोगों का सफल उपचार इस अस्पताल में किया जा रहा है। लाखों लोगों की आंखों में प्रकाष जगमगाने लगा है। उनके डायग्नोज़ की बड़े-बड़े डाॅक्टर भी प्रशंसा करते नहीं थकते। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्हें कई साल कड़ी मेहनत करनी पड़ी। इसी उपलब्धि की वजह से ही उन्हें डायरैक्टर का पद् सौंपा गया जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी और कर्मठता से निभाया है। अस्पताल को ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिए कई बार उन्होंने अपने निजी जीवन को भी आहत किया, उपेक्षा की।

यदि जीवन में कभी कोई विरोधाभास हो तो वह सभी का हौंसला बढ़ाते हुए कहते हैं- ‘‘अगर आप सही हो तो कुछ भी साबित करने की कोशिश मत करो, बस सही बने रहो, गवाही वक्त खुद दे देगा।’’ यही भावनाएं उन्होंने अपने स्टाफ़ में भी कूट-कूट कर भरी हैं। यही कारण है कि आज भी उनका स्टाफ़ उनके कंधे से कंधा मिला कर चलता है, उनकी सराहना करता है। हर विशम परिस्थिति में उनके साथ खड़ा रहता है। एक समय था जब लोगों को आंखों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रदेश से बाहर धक्के खाने पड़ते थे लेकिन आज स्थिति इसके विपरीत है। यहां चुटकियों में रोगियों की समस्याओं का समाधान होता है।

डाॅ. शर्मा को अपने प्रयत्न उस समय अत्यधिक सार्थक प्रतीत होते हंैं जब वह देखते हैं कि देश के कई नामचीन अस्पतालों से रोगी रैफ़र होकर उनके पास उपचार करवाने के लिए आते हैं तथा स्वयं को संतुष्ट पाते हैं व डाॅ. षर्मा व उनकी टीम का गुणगान करते हुए अस्पताल से रूख़्सत होते हैं।
वह यहां सर्वश्रेष्ठ हैं लेकिन वह सफलता का श्रेय पूरी टीम को देते हैं। यदि वह चाहते तो रोटरी आई हाॅस्पिटल के समानान्तर अपना एक निजी अस्पताल सफलता पूर्वक चला सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर कभी आंच नहीं आने दी और अपना पूरा जीवन इस अस्पताल की तरक्की में झोंक दिया। वह इस अस्पताल का अटूट स्तम्भ हैं I

आज अस्पताल आत्मनिर्भर बन चुका है। इस लक्ष्य को हासिल करने हेतु वह रोटरी आई फ़ाउंडेशन के कुछ कर्मठ सदस्यों की भी प्रशसा करते हैं जिन्होंने जीवन की विपरीत परिस्थितियों में उनका पूरा साथ दिया। यह देखकर आश्चर्य होता है कि मारण्डा जैसे छोटे से स्थान पर छोटे से अस्पताल को इतना विशाल रूप देना क्या कभी सम्भव प्रतीत होता था। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि-

‘‘इरादे नेक हों तो सपने साकार होते हैं, अगर सच्ची लगन हो तो रास्ते आसां होते हैं।’’
डाॅ. शर्मा के बिना इस अस्पताल के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ईष्वर उन्हें दीर्घायु दें तथा वह सदा स्वस्थ व स्फूर्ति से भरे रहें।!

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