Dr. Sanjay Kumar डायरेक्टर CSIR-IHBT का उपलब्धियों भरा अविस्मरणीय रहा 8 वर्ष का कार्यकाल, डॉ प्रबोध त्रिवेदी ने संभाला निदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार

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RAJESH SURYAVANSHI
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डॉक्टर साहब! हम तुमको न भूल पाएंगे….

डॉ संजय कुमार जी ने 33 वर्ष सीएसआईआर आईएचबीटी पालमपुर में सेवा की ।

उनमें से लगभग 8 वर्ष तक वह डायरेक्टर के पद पर तैनात रहे। उन्होंने जिस कर्तव्यनिष्ठा से सीएसआईआर को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया वह अपने आप में एक मिसाल है । उनके इस बेमिसाल कार्यकाल को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनकी सेवाओं को सदा याद रखा जाएगा।

डॉ संजय कुमार जैसे कर्म योगी, सहयोगी, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और मृदुल मृदुल स्वभाव के स्वामी विरले ही होते हैं।

असंभव शब्द उनके शब्दकोश में ही नहीं था। वह कभी सीधे तौर पर किसी को किसी समस्या के समाधान के लिए मना नहीं करते थे बल्कि नए रास्ते खोजते थे दिल से ताकि हर समस्या का समाधान हो सके।

जब कोविड काल चरम सीमा पर था तो डॉक्टर संजय कुमार ने बड़ी की समझदारी और सहजता से स्थिति को संभाला और सफल सिद्ध हुए।

 

डॉक्टर संजय जी ने आज सीएसआईआर आईएचबीटी परिसर में आयोजित प्रीतिभोज के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि वह जीवन में कभी हार न मानने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण कार्यकाल पूरी जिम्मेदारी से निभाया और आगे भी वह अपने कदम रोकने वाले नहीं ।

उन्होंने कहा कि मैं किसी न किसी रूप में सीएसआईआर के साथ जोड़कर अपनी सेवाओं को बखूबी जारी रखेंगे जिससे देश, प्रदेश, इस्टीट्यूट व समाज का अधिक से अधिक भला हो सके।

डॉ संजय कुमार जी के स्वर्णिम भविष्य के लिए हम परमपिता परमात्मा से विनय करते तथा यही प्रार्थना करते हैं कि उनकी दीर्घायु हो तथा वह पूर्णतया स्वस्थ रहें।

डॉ प्रबोध त्रिवेदी ने सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाला

डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली द्वारा एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है।

वर्तमान में, डॉ. त्रिवेदी, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी), लखनऊ, उत्तर प्रदेश में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।


डॉ. संजय कुमार, सीएसआईआर-आईएचबीटी से निदेशक के रूप में 28 फरवरी, 2023 को सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका कुल कार्यकाल 33 से अधिक वर्षों तक रहा, जिसमें से लगभग आठ वर्षों तक डॉ. कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी के पद पर रहे।

डॉ. संजय कुमार ने अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया और इस संस्थान को उपलब्धि की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

उनका समर्पण, कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और उद्योगों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में सहायक रही है। प्लांट बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री में वैज्ञानिक योगदान के अलावा, डॉ कुमार ने देश में पहली बार हींग और मोंक फल और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में केसर, दालचीनी, मुलेठी, स्टीविया, सेब और ट्यूलिप वैकल्पिक फसलें पेश करके कृषक समुदायों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में स्वर्ण क्रांति की शुरुआत हुई, तथा प्रदेश सुगंधित गेंदा से आवश्यक तेल के उत्पादन में शीर्ष राज्य बनकर उभरा। इनमें से कुछ प्रयासों को तो प्रदेश एवं भारत सरकार के सर्वोच्च कार्यालय में उल्लेखनीय सराहना मिली, जिसमें भारत के माननीय प्रधान मंत्री भी शामिल हैं।


सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने के दौरान, डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने डॉ. संजय कुमार द्वारा किए गए अभूतपूर्व योगदान की सराहना की और संस्थान में चल रही गतिविधियों को उन्हें बिना रुकावट आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर संस्थान के विभिन्न विभागों के प्रमुखों और अन्य वरिष्ठ स्टाफ सदस्यों ने डॉ. कुमार द्वारा संस्थान को प्रदान की गई विभिन्न वैज्ञानिक और प्रशासन संबंधी सेवाओं में उनके समर्पण और योगदान की प्रशंसा की।

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