जीते जी अन्ना को मारा…

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आपदा का राजा तांटक छंद

जीते जी अन्ना को मारा ,
उनका दिल तक तोड़ा है ।
कूड़ा-कचरा मिला जहां भी ,
उससे रिश्ता जोड़ा है ।।

अन्ना की बद्दुआ मिली जब ,
हवा जेल की खा बैठा ।
शीशमहल में चौड़ा होकर ,
फिरता है ऐंठा ऐंठा ।।

नाम आतषू का चलता है ,
सिंहासन हथियाया है ।
दारू गया डकार रात-दिन,
खूब कमीशन खाया है ।

क्या मंत्री क्या संत्री तेरे ,
हरदम पूंछ हिलाते हैँ।
ऐसी डाली है नकेल कुछ ,
गीत इसी के गाते हैँ।।

नौटंकी रच ले जितनी भी ,
वोट नहीं तू पाएगा ।
खूब बांट लीं नित्य रेवड़ी,
जेल हवा फिर खाएगा ।।

स्वरचित,मौलिक 
डा.सत्येन्द्र शर्मा,पालमपुर, हिमाचल ।

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