डॉ. शिव कुमार कहा करते थे – “तुम मुझे यूं भुला न पाओगे” आज उनके 84वें जन्मदिवस पर उनकी ये पंक्तियां बहुत याद आ रही हैं, रुला रही हैं
यादें रह जाती हैं, इन्सान चले जाते हैं...लेकिन कभी मिटते नहीं, वो जो निशान छोड़ जाते हैं
RAJESH SURYAVANSHI…
आज युगपुरुष स्व. डॉ. शिव कुमार के 84वें जन्मदिवस पर आज हम उन्हें याद कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। उन्हें हम सब को रोते-बिलखते छोड़ कर गए आज 6 महीने बीत चुके हैं। 29 नवंबर 2021 को उन्होंने इस नश्वर शरीर को त्याग परम पिता परमात्मा के चरणों में शरण ग्रहण की थी।
आज उनके जन्मदिवस पर हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
डॉ. शिव कुमार जी के उपकारों का बदला कभी चुकाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने तमाम सुविधाओं के अभाव में भी निःस्वार्थ जनसेवा की लौ को कभी बुझने नहीं दिया। यह लौ आज भी यथावत रोशन हो रही है तथा भविष्य में भी यूं ही जगमगाती रहे, ऐसी हमारी कामना है।
डॉ. साहिब जब इस नश्वर संसार से विदा हुये तो उनके बैंक एकाउंट में मात्र थोड़े से पैसे ही बचे थे जिसे देख कर लोग हैरान रह गए। लेकिन जनता के दिलों में समा कर उन्होंने उनकी जो दुआएं कमाईं वही उनकी असली दौलत थी।
उन्होंने करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट जनता को समर्पित किये लेकिन अपने लिए एक पैसा नहीं बचाया। न तो घर को रेनोवेट किया, न कोई प्लाट खरीदा, न कोई बैंक बैलेंस रखा और न ही परिवार के लिए कुछ जमा किया।
लोग कहते हैं कि अगर उनकी जगह कोई और होता तो करोड़ों रुपये की अकूत संपत्ति संग्रह कर सकता था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सब कुछ गरीबों के हितों के लिए कुर्बान कर गए।
जनसेवा शब्द वैसे तो बहुत सहज प्रतीत होता है लेकिन अगर इसके गूढ़ अर्थ पर मनन करें तो यह अत्यंत कठिन कार्य है।
गौरतलब है कि जनसेवा के क्षेत्र में डॉ. शिव ने यों ही अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नहीं की, उन्होंने अपना सारा जीवन, अपना पोलिटिकल कैरियर, अपनी डॉक्टरी प्रैक्टिस, अपने परिवार, अपनी सुख-समृद्धि सब कुछ दांव पर लगा दिया।
मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को आश्रय प्रदान किया जिन्हें अपने निजी संबंधी भी अपनाने से गुरेज करते हैं।
जिन वृद्ध महानुभावों को उनके अपने ही लोग बेकार सामान समझ कर ठुकरा देते हैं, उन्हें सहर्ष गले से लगाया, उनके जीने के रास्तों को आसान बनाया तथा उनके जीवन को एक नई दिशा, एक नई आस और खुशी देकर उनके जीवन को खुशियों से भर डाला।
पूरे हिमाचल प्रदेश में आंखों का जब कहीं ईलाज नहीं होता था तो उन्होंने रोटरी आई फाउंडेशन का गठन करके मेला मल सूद रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा का निर्माण करवाया तथा अन्धेपन से जूझ लाखों लोगों के जीवन में रोशनी भर दी।
पालमपुर में शादी-विवाह तथा अन्य समागमों, कार्यक्रमों के लिए जब कोई स्थान नहीं हुआ करता था तब उन्होनें समाज की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु रोटरी भवन का निर्माण करवाया।
महिलाओं के उत्थान के लिए ITI शुरू करवाई। बच्चों व महिलाओं के लिए अस्पताल बनवाया।
अशिक्षा से जूझ रहे लोगों को सुशिक्षित बनाने हेतु विभिन्न शिक्षण संस्थानों का संचालन किया जहां से शिक्षित होकर आज तक लाखों बच्चे अपना जीवन संवार चुके हैं।
इसके अतिरिक्त उन्होंने रोजगारोन्मुख माध्यमों से अनेक लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
डॉ. शिव ने समाज के लिए क्या-क्या किया, उसका उल्लेख करने में मेरी लेखनी सामर्थ्यवान नहीं। उन्होंने समाज सेवा हेतु किन-किन विषम परिस्थितियों का सामना किया, उन्हें बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
रोटरी के चार्टर्ड प्रेजिडेंट होने के नाते उन्होंने Rotarians के जीवन को नई दिशा दी व विशेष पहचान व रुतबा प्रदान किया जिसे वे कभी भुला नहीं पाएंगे। वह रोटरी संस्था के पितामह थे और रहेंगे। उनकी तुलना किसी से नहीं कि जा सकती। वह अतुलनीय थे और हमेशा रहेंगे। उनके कार्यों की गति को उनके प्रियजन व परिवारजन ही आगे बढ़ा सकते हैं, ईश्वर उन्हें सन्मार्ग व शक्ति प्रदान करें।
हाँ ! आज डॉ. साहिब की अनुपस्थिति से हम सब अत्यन्त व्यथित हैं। हां, हम नियति को तो नहीं टाल सकते पर कुछ भावभरे शब्दों के द्वारा दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देकर उनके आत्मीयजनों के दुःख को शब्दों के द्वारा बाँट ज़रूर सकते हैं।
भगवान राम देवता होकर भी नियति के अन्दर बंधे रहे। उनके वियोग में उनके पिताजी श्री दशरथ की मृत्यु हुई।
फिर हम तो इंसान हैं।
स्वयं को एवं परिवार जनों को संभालें।
ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।
जब हमारे अपने इस धरती से विदा लेते हैं तो दुःख होता है,
मगर सच यह भी है कि ये देह नश्वर है,
हमें यही प्रार्थना करनी चाहिए कि,
जो पुण्यात्मा आज हमारे बीच अनुपस्थित है,
भगवान उन्हें मोक्ष प्रदान करें।
जब हम अपने जीवन में अपने सबसे प्यारे व्यक्ति को खो देते हैं तो समय थमा हुआ सा प्रतीत होता है लेकिन यह जरुरी है कि आप खुद को परिवार को संभालें और बाकी का कार्य हौसलों के साथ शुरू करें , ताकि उनकी आत्मा को सुकून मिले और वह स्वर्ग में शांति से विराजें।
हमारी गहरी संवेदनाएं, हमारे विचार आपके और आपके परिवार के साथ हैं,
प्यारी यादों में और प्रार्थनाओं में हैं,
सबसे यादगार यादें आप की सोच और आपकी सहनशीलता है।
इस पृथ्वी पर हर वक़्त अरबों जीव जन्म लेते हैं और अरबों जीव शरीर त्याग देते हैं, प्रकृति का अकाट्य नियम है कि जो जीव जन्म लेता है उसी वक़्त उसके प्रस्थान का वक़्त भी निश्चित हो जाता है।
अंत में मैं यही भाव व्यक्त करना चाहूंगा कि…….
“इन आँसुओं को बह लेने दीजिये,
दर्द में ये दवा का काम करते हैं,
सीने में सुलग रहे हैं अँगारे जो,
ये उन्हें बुझाने का काम करते हैं,
लेकिन थोड़ा हौसला भी रखें, यही हमारी प्रार्थना है।
ॐ शांति!