अमृतसर में हिन्दुओं का गोल्डन टेम्पल: श्री दुर्गियाना तीर्थ
जी हां, अमृतसर में एक गोल्डन टेम्पल नही अपितु 2 गोल्डन टेम्पल हैं। एक हिन्दुओं का और दूसरा सिक्खों के।
हिन्दू लोग जाते हैं पंजाब, अमृतसर तो सिखों के गोल्डन टेम्पल तो जाते है, परन्तु उन्हें नही ज्ञात कि अमृतसर में ही श्री दुर्गियाना तीर्थ के रूप में हिंदुओं का भी गोल्डन टेम्पल है। जिसके बाहर 24 अवतारों की आकृतियां भी सुंदरता से उकेरी गई हैं।
सरोवर के बीचो बीच बनाया गया यह मंदिर अपनी भव्यता स्वयं बताता है। 30 क्विटल मछलियां आज तक निकाली जा चुकी हैं सरोवर से जो व्यास नदी (विपाशा नदी पुराणों में वर्णित) में छोड़ दी जाती हैं।
बात उन दिनों की है जब अंग्रेजो के कुचक्रों के तहत मास्टर तारा सिंह द्वारा सिक्खों में खालिस्तान के बीज बोए जा रहे थे।
सभी गुरुद्वारों का केन्द्रीयकरण करने की नीयत से गुरुद्वारों पर कब्जा करने की योजना बनाई गई थी।
उससे पहले तक सभी गुरुद्वारों में हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां और महंत भी होते थे जो कि गुरु नानक के बड़े सुपुत्र श्रीचंद जी द्वारा शैव मत आधारित उदासीन सम्प्रदाय से नियुक्त किये जाते थे।
पर जब द्वेष, वैमनस्य बढ़ने लगा तो सवर्ण मन्दिर से एक दिन हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं निकाल कर सड़क पर फेंक दी गईं।
वहां से फिर एक लाला जी गुजर रहे थे जिन्होंने सकल्प लिया कि एक नवीन सवर्ण मन्दिर की स्थापना की जाएगी और तुरन्त एक ट्रक बुलाकर सभी प्रतिमाओं को विधिवत दुर्गियाना तीर्थ मन्दिर में स्थापित किया गया।
अमृतसर रेलवे स्टेशन के समीप ही लोहगढ़ गेट के पास स्थित माता दुर्गा को समर्पित है यह दुर्गियाना मंदिर।
मंदिर को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है; “लक्ष्मी नारायण मंदिर”, “दुर्गा तीर्थ” और “शीतला मंदिर”।
वास्तव में सबसे पहले मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में ही हो गया था जिसे फिर से सन् 1921 में हरसाई मल कपूर द्वारा स्वर्ण मंदिर की वास्तुशैली की तर्ज़ पर निर्मित किया गया, और इसका उद्घाटन अखिल भारत हिन्दू महासभा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष महान समाज सुधारक व राजनेता “महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी” द्वारा किया गया।
सरोवर के बोचोबीच संगमरमर से बने इस मंदिर तक पहुँचने के लिए एक पुल बनाया गया है। मंदिर में काँगड़ा शैली की चित्रकला और शीशे का अद्भुत कार्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है जिसमे मन्दिर के बाहरी स्वरुओ में स्वर्ण कार्य पर भगवान विष्णु के 24 अवतारों को उकेरा गया है।
दुर्गियाना तीर्थ को लव-कुश मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है और यहां एक वृक्ष भी है जिससे भगवान बजरंग बली को लव-कुश द्वारा बांधा गया था।
यहाँ माँ दुर्गा के अलावा कई अन्य देवी देवताओं को भी पूजा जाता है, जिनमें प्रमुख देवी देवता हैं; माँ लक्ष्मी, भगवान श्रीकृष्ण जी और भगवान विष्णु जी है।
तो इस बार आप सब जब अमृतसर जाएं तो दुर्गियाना तीर्थ भी अवश्य जाएं।
पंजाब सरकार की हिन्दू विरोधी अनीति और मानसिकता के चलते पंजाब के पर्यटन व दर्शनीय स्थल के अंतर्गत इस मंदिर का प्रचार प्रसार नही किया जाता।