राज्यसभा और लोकसभा में हंगामे के लिए जिम्मेदार कौन
क्या इस तरह के हंगामे से देश का नुकसान नहीं हो रहा?
राज्यसभा और लोकसभा में हंगामे के लिए जिम्मेदार कौन?
क्या इस तरह के हंगामे से देश का नुकसान नहीं हो रहा?Editorial
राज्यसभा हो या लोक सभा पिछले कई सत्रों से इसमें इतना कार्य नहीं हो रहा जितना सरकार चाहती है।
क्योंकि हर सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। क्या इसमें सरकार और विपक्ष दोनों की मिलीभगत तो नही है कि जब भी सत्र शुरू होने वाला हो, कोई ना कोई ऐसा स्कैम या मुद्दा सामने प्रकट कर दिया जाये है जिससे कि लोकसभा राज्यसभा में कार्य ना चले। ना प्रश्न पूछे जा सके ना उत्तर मांगे जा सके ,मतलब दोनों ही दल अपनी अपनी जिम्मेदारियों से भाग सके।
मतलब सरकार की कार्यप्रणाली या विफलताओं पर पर कोई प्रश्न ना उठा सके। या विपक्ष हंगामे की आड़ में अपनी असफलताओं को छुपा सके। क्या कोई ऐसी मैच फिक्सिंग तो नहीं चल रही है सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में।
क्यों ऐसे पुराने मुद्दे केवल सत्र के आसपास ही उठते हैं, जोकि काफी पुराने होते हैं और उन्हें रिवाइव करके वर्तमान का मुद्दा बना दिया जाता है ।
जैसे कि अभी इस सत्र में फोन टैपिंग का मामला है।
अगर दोनों ही पार्टियां दोनों ही पक्ष अपनी अपनी जिम्मेदारियों को समझें तथा देश में फैल रहे भ्रष्टाचार बेरोजगारी अनियमितताएं महिला सुरक्षा सड़क स्वास्थ्य शिक्षा आदि मुद्दों पर बात करें विपक्ष अपने अच्छे सुझाव दें और सत्तापक्ष उनके सुझावों को गंभीरता से लें तो ऐसा नहीं है कि हमेशा गतिरोध बना रहे क्योंकि यह दोनों सदन देश की आम जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए बने हैं ना कि आपस में लड़ने झगड़ने तथा अपनी निजी हितों को साधने या दुश्मनी निकालने के लिए बने हैं।
सदनों का एकमात्र उद्देश्य अपने वोटरों को अपनी और आकर्षित करना नहीं होना चाहिए ऐसा नहीं लगना चाहिए कि विपक्ष बहुत अच्छी तरह से अपनी भूमिका निभा रहा है और यह भी नहीं लगना चाहिए कि सत्ता पक्ष को काम नहीं करने दिया जा रहा ।सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों को अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिए तथा देश की समस्याओं का हल इन दोनों सदनों में बैठकर निकालना चाहिए ना कि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर जनता का ध्यान भटकाना चाहिए ताकि लोग अपनी असली समस्या और असली मुद्दों से अपना ध्यान भटकाए रखें।
यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही घातक तथा खतरनाक हो सकता है