वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर की जिम्मेवारी राज्यों के कंधों पर डालना क्या मोदी सरकार का सही निर्णय?
राज्यों को ग्लोबल टेंडर के अधिकार देना क्या किसी राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है?
वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर की जिम्मेवारी राज्यों के कंधों पर डालना क्या मोदी सरकार का सही निर्णय? आज अभी सुप्रीम कोर्ट में भी उठ रहे हैं सवाल
वीके सूद मुख्य संपादक
मोदी जी इस वक्त जो सुप्रीम कोर्ट कह रहा है वह मैंने लगभग महीना पहले ही कह दिया था।
अभी सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीन के टेंडर अलग-अलग राज्यों को देने पर सवाल खड़े हो रहे हैं यही सवाल मैंने लगभग एक महीना पहले किया था की अलग-अलग राज्यों को क्यों अधिकार दिए जा रहे हैं? जबकि यह ग्लोबल टेंडर केंद्रीय सरकार द्वारा एक ही शॉट में पूरा कर लेना चाहिए था😪 यही मैं एक महीना पहले ही कह चुका हूं कि यह एक सिंगल टेंडर होना चाहिए था 😪और केंद्र सरकार को सभी राज्यों को उसकी जनसंख्या के आधार पर वैक्सीन देनी चाहिए थी। जरूरी नहीं कि सबको मुफ्त खोरी में वैक्सीन दो ,जो इनकम टैक्स देते हैं( जैसे मैं ), या जिनकी इनकम अच्छी है,जो लोग वैक्सीन की कीमत दे सकता हो उन लोगों से कीमत लो। एक परिवार में अगर 4 सदस्य हैं तो किसी भी परिवार को 2,000 देने में कोई परेशानी नहीं होगी ।परन्तु वैक्सीन तो दीजिए🙏
इस महामारी में तो राजनीतिक छोड़ सकते थे ।
सभी राज्यों को टेंडर फाइनल करने में ही कई महीने लग जाएंगे जबकि केंद्र सरकार अगर एक सिंगल ग्लोबल टेंडर करती तो शायद आज को टेंडर फाइनल हो गए होते और आप किस रेट पर वैक्सीन ले रहे हो किसी ने कोई कोई प्रश्न नहीं उठाना था।
परंतु अब अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रेट आएंगे किसी के टेंडर 4 महीने तक भी फाइनल नहीं हो पाएंगे ।क्या तब तक महामारी को अपना तांडव दिखाने दिया जाए ?
मुझे पता है कुछ आपके कुछ आंख के अंधो को काफी तकलीफ होगी ,क्योंकि वे सिर्फ आंखें बंद करके ही देखते हैं।
यह जनता के हक में था देश के हित में था कि एक सिंगल टेंडर करके बहुत सारी वैक्सिंग मंगवा ली जाती ह।
और वैक्सीन के पेटेंट को भारत की दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किया जाता ताकि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ जाता ।
परंतु देशहित के ऊपर राजनीति हावी हो गई ।हम भी आप के समर्थक हैं परंतु आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि आप वैक्सीन पर भी राज्यों को तमाशा करने की इजाजत देंगे।
और राज्य किसी भी तरह से अपनी छवि को दक्षिण के अलग-अलग रेटों पर खरीद कर धुमिल नहीं करना चाहेंगे। अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग रेट पर CAG की कड़ी नजर रहेगी तथा उस पर ऑब्जेक्शन लगना लगभग तय है।😪
दूसरों को निकम्मा साबित कर के स्वयं की महत्ता बढ़ाने के लिए और यह एहसास दिलवाने के लिए की मेरे बिना कुछ नहीं हो सकता यह चाणक्य नीति में शामिल है।😪