बीके सूद मुख्य संपादक
Editorial
आज गांधी जयंती पर मेरा एक प्रश्न ,,कि लोग महात्मा गांधी जी को भगवान तुल्य व्यवहार करने की क्यों अपेक्षा कर रहे थे हर इंसान में गुण व अवगुण होते हैं अगर महात्मा गांधी में कुछ अवगुण थे तो क्या देश के लिए उन्होंने जो त्याग किया वह उसके आगे गौण हो गए हैं ।क्या हमें केवल अवगुणों का ही व्याख्यान करना चाहिए ?उनके द्वारा किए गए त्याग और तपस्या के बारे में नहीं बोलना चाहिए ?
आज कुछ लोग हैं जो जन्म दिवस पर भी तंज कसने से नहीं नहीं चुकते । कहते हैं महात्मा गांधी बहुत साधन संपन्न थे तथा ऐशो आराम का जीवन जीते थे, तो उन्हें किसने मजबूर किया कि वह इतना संघर्ष करें ?देश के लिए जेल जाए ?लाठियां खाएं? वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के साथ कोई गुपचुप समझौता करके वायसरॉय आफ इंडिया या चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बन सकते थे या कोई और अहम पद ग्रहण कर सकते थे ।परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया ।यही बात पंडित जवाहरलाल के बारे में भी है कि वह तो महल नुमा भवन में रहते थे फिर भी देश के लिए उन्होंने जेल में दिन काटे तथा आजादी के संघर्ष में योगदान दिया ।
यह मान भी लिया जाए कि उन्होंने आजादी नहीं दिलवाई परंतु उनका कुछ तो योगदान रहा है ,आज कितने ही रईस और अमीर लोग हैं जो देश के लिए अपनी सुख सुविधा त्याग कर देश के लिए कुछ करें। क्या वह एक घंटे के लिए भी भी जेल जा सकते हैं या लाठियां खा सकते हैं? यह सब छोड़िए क्या वह लोग अपनी AC कारों और बंगलों से बाहर निकल कर 1 दिन के लिए 1 घंटे के लिए सड़क पर देश हित मे धूप में बैठ सकते हैं ,शायद नहीं ।क्योंकि वह साधन संपन्न लोग हैं वह कष्ट क्यों झेलेंगे ।ऐसा नहीं कि आज के जमाने मे साधन संपन्न लोग देश के लिए कुछ नहीं कर रहे ,परंतु जो कुछ इन लोगों ने किया वह बहुत बड़ा त्याग व कुर्बानी है ।
आज भी कुछ अपवाद हैं जो करोड़ों या अरबों पति होने के बावजूद भी जन सेवा में जुट कर नेतागिरी कर रहे हैं या समाज सेवा कर रहे हैं, खुद को कष्ट में डालकर लोगों को सुख पहुंचा रहे हैं, परंतु हमें यह उम्मीद हरगिज़ नहीं करनी चाहिए कि ,जो इतना बड़ा नेता हो या आदमी हो उसमें कोई अवगुण नहीं होंगे ।हमें अपने गिरेबान में झांककर अपने अपनी अंतरात्मा को झकझोर कर यह सोचना चाहिए कि इंसान इंसान है भगवान नहीं ,जिसमें कोई कमी नहीं हो सकती ।
लोग तो भगवान में भी कमी निकाल देते हैं लोगों ने भगवान राम को नहीं छोड़ा भगवान कृष्ण को नहीं छोड़ा हनुमान को नहीं छोड़ा तो इन लोगों की तो बात क्या ।
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि मोदी हो या योगी हो राहुल हो या या माया ममता मुलायम कोई भी सार्वजनिक रूप से महान हस्तियों की आलोचना नहीं करते।
आइए आज प्रण करें कि हम महान नेताओं के चाहे वह कांग्रेस के हो या भाजपा के प्रत्येक के प्रति द्वेषपूर्ण रवैया ना अपना कर उनके अवगुणों को बहाना बना कर उनके त्याग पर उनके गुणों पर ध्यान देंगे।