भारत में चुनाव हर 3 साल बाद होने चाहिए क्योंकि Crude oil पिछले 7 सालों के उच्चतम स्तर पर लेकिन लगभग 3 महीनों से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं।

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Bksood chief editor

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अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में क्रूड आयल के दाम आसमान को छू रहे हैं जिसका भारत मैं कोई असर नहीं दिखाई दे रहा क्योंकि भारत में पांच राज्य में चुनाव होने वाले हैं और चुनावों के चलते कच्चे तेल की कीमतों का असर लोगों पर नहीं पढ़ रहा है

ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिलहाल 90 डॉलर प्रति बैरल पर चल रही हैं. यह रेट अक्टूबर 2014 के बाद सबसे ज्यादा है. इसके बावजूद देश में पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर हैं. आज भी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज शनिवार को पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है.

इंटरनेशनल मार्केट में इस समय ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें सात साल के उच्चतम स्तर पर चल रही हैं. ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिलहाल 90 डॉलर प्रति बैरल पर चल रही हैं. यह रेट अक्टूबर 2014 के बाद सबसे ज्यादा है. इसके बावजूद देश में पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर हैं. आईओसीएल ने आज 29 जनवरी शनिवार के लिए पेट्रोल डीजल के नए रेट जारी कर दिए हैं.।

आज भी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पिछले लगभग 3 महीने से वाहन ईंधन की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज शनिवार को पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है. बता दें सरकार द्वारा 4 नवंबर 2021 को कीमतों में बदलाव किया गया था. तब सरकार ने रेट घटाए थे. इसके बाद से ही पेट्रोल डीजल के भाव में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है.

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत में महंगाई बेरोजगारी और अन्य सुविधाओं या समस्याओं का सीधा सा ताल्लुक चुनावों से होता है। यदि देश में चुनाव हो तो देश में कोई भी समस्या नहीं रहती ।यहां तक कि महामारी की समस्या भी समस्या नहीं रहती ।

इसीलिए कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भारत में चुनाव हर 3 साल में करवा दिए जाने चाहिए ताकि विकास तथा प्रगति हर 3 साल बाद अधिक गति पकड़ सके, विकास की रफ्तार द्रुतगति वाली हो जाए। क्योंकि नेताओं अधिकारियों का उत्साह चुनावी वर्ष में बहुत अधिक होता है और राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे की कमियां गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते वरना 5 साल तक किसी भी विपक्षी दल को कोई कमी नहीं दिखाई देती और उनके शासन के दौरान किसी भी स्कैम का खुलासा नहीं होता परंतु चुनावी वर्ष में बड़े-बड़े स्कैम सामने आते हैं साथ ही विपक्षी पार्टियां भी सत्ता पक्ष से अपनी खाल बचाने के लिए 5 साल तक बिल्कुल मौन धारण किए रहते हैं और पांचवा साल शुरू होते ही वह सत्ता पक्ष की खामियां और कमियां गिनाना शुरू कर देते हैं।

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