न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करना समय की मांग
देश में अदालतों तथा न्यायाधीशों की कमी से लोगों को न्याय के लिए दशकों इंतजार करना पड़ता है।
Editorial
BK Sood chief editor
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लोग कोर्ट का सहारा मामले सुलझाने के लिए लेते हैं या उलझाने के लिए?, राहत, न्याय पाने के लिए लेते हैं या लटकाने के लिए?
कोर्ट में देख लेने की सबसे अधिक धमकी वही देता है जिसे मालूम हो कि वह गलत है.
क्योंकि उसे पता होता है कि कोर्ट मे अगर मामला गया तो वह मामले को शायद 20- 30 साल तक को लटका ही लेगा।
क्या राजनीतिक पार्टियों का यह एजेंडा नहीं होना चाहिए कि हम नया व्यवस्था को सुदृढ़ करेंगे ,
उन्हें और अधिक शक्तियां और संसाधन देंगे, ताकि लोगों का न्याय व्यवस्था से विश्वास ना उठे। न्याय शीघ्र मिले और यह तभी सम्भव होगा अगर न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ और होने संसाधित किया जाएगा, वरना एक जज के पास हर रोज 20 -30 नए केस आएँगे तो वह कैसे न्याय कर पाएगा। क्योंकि न्याय करने के लिए बहुत संयम धैर्य और समय की आवश्यकता होती है।
हमारे देश में अदालतों में संसाधनों और स्टाफ की इतनी ज्यादा कमी है कि किसी भी सामान्य केस जो दो-तीन महीने में सुलझ सकता है ,न्याय आ सकता है ,उसे दशकों लग जाते हैं। यहां पर न्यायधीश भी क्या करें, ना तो उनके पास पर्याप्त स्टाफ है ना ही इतने अधिक जज और अदालतें हैं कि न्याय प्रणाली सामान्य गति से कार्य कर सकें ।
न्याय, कानून और सजा का तो, लोगों को मन में जैसे खौफ ही नहीं है।
क्योंकि उन्हें मालूम है कि न्यायालय में मामला लटकाने से परेशान सत्य ही परेशान होगा, झूठ को कोई फर्क नहीं पड़ेगा ।वह तो( झूठ) सत्य को परेशान देखकर खुश ही होगा।
क्या हमारे वोटर लोग केवल बिजली पानी फ्री में पाकर ही खुश होते रहेंगे ?जबकि बिजली पानी और रोटी कपड़ा तथा मकान यह उनके मूलभूत मौलिक अधिकार हैं ना कि राजनीतिक पार्टियों की सौगात या एहसान।
अगर हम अपने मौलिक अधिकारों को एहसान मान कर ऐसे ही सरकारें चुनते रहेंगे, तो शायद ही आने वाले के कई दशकों तक भारत में लोकतंत्र सुदृढ़ होगा ,या सही मायनो में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम होगी।
हमारे देश के लोकतंत्र में जिन चीजों का राजनीतिक पार्टियां वादा करती हैं वह जनता के मूलभूत अधिकार है ना कि किसी सरकार की सौगात या एहसान।
विदेशी लोग अक्सर कहते हैं कि भारत देश में ना जाने कब लोकतंत्र आएगा और लोकतंत्र सुदृढ़ होगा और ऐसा कहने वालों में वह NRI ज्यादातर होते हैं जो भारत को भी अच्छी तरह से जानते हैं भारत में रहकर विदेशों में गए हैं तथा विदेशों में रहकर वहां की सरकारों की कार्यप्रणाली भी जानते हैं।
परंतु मेरा मानना है कि जब तक वोटर सुदृढ़ नहीं होगा वोटर अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल नहीं करेगा तब तक देश में कुछ चमत्कार होगा ऐसी उम्मीद करना बेमानी है ।
कितने दुख की बात है कि आजादी के 70 वर्ष के बाद भी किसी राजनैतिक पार्टी को अगर यह वादा करना पड़े की हम आपको शौचालय की सुविधा देंगे, हम आपको बिजली देंगे, हम आपको पानी देंगे ,हम आपको खाने के लिए राशन देंगे, आप हमें अपना कीमती वोट हमे दें ताकि इन चार वादों में से एक वादा पूरा कर के हम अपनी अगली सात पीढ़ियों तक अपनी हर ऐशो आराम की सुविधाओं का जुगाड़ कर सकें।
कब हमारे देश में वास्तविक लोकतंत्र आएगा जब हम पार्टी हित को छोड़कर देश हित की बात करेंगे, वोटर लोग पार्टी भक्ति छोड़कर देश भक्ति को आधार मानकर अच्छे लोगों को चुनकर संसद विधानसभा भेजेंगे।
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