शिक्षा का महत्व देश को साक्षर बना कर देश को मजबूती देना है न कि शिक्षा का राजनीतिकरण कर देश को खोखला कर साक्षर लोगों को दर दर की ठोकरें खिलाना

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PALAMPUR

PRAVEEN SHARMA

शिक्षा का महत्व देश को साक्षर बना कर देश को मजबूती देना है न कि शिक्षा का राजनीतिकरण कर देश को खोखला कर साक्षर लोगों को दर दर की ठोकरें खिलाना है । उस समय भी सदृढ़ व मजूबत शिक्षा दी जाती थी जब शिक्षक का विद्यार्थी के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क रहता था जबकि उस समय शिक्षा का ढांचा कमजोर था । शिक्षा देने के लिए तीन ही वस्तुएं महत्वपूर्ण मानी जाती थी ” ब्लैक बोर्ड ,विद्यार्थी व शिक्षक” ।आज बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने बेशक शिक्षा का दायरा बढ़ाया होगा परन्तु कहीं न कहीं विद्यार्थी व शिक्षक के रिश्तों में मान सम्मान  को खत्म करने में कोई कसर नही छोड़ी । बीते समय में स्कूलों की संख्या कम रही होगी परंतु फिर भी उस समय के पढ़े लिखे विद्यार्थी देश निर्माता बने । क्योंकि वे गुरु को भगवान तुल्य व माता पिता के बाद गुरु की बात सुनते थे । अनुशासन में रहकर शिक्षित होना देश की मजबूती के लिए बहुत बड़ा कारक है । आज शिक्षक बच्चों को वही शिक्षा देने की कोशिश करते हैं जो देश को मजबूत करे परन्तु कुछ नीतियों के कारण अच्छी शिक्षा प्रभावित होती है । दो किलोमीटर के दायरे में स्कूल खोलना अच्छी सोच है परन्तु इसके भी फायदे कम नुकसान ज्यादा हुए है । ज्यादा स्कूल खोलने से अच्छा होता पहले वहां पर शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित की जाती ।स्कूल तो धड़ाधड़ वोट बैंक के लिए  खुले परन्तु अभी तक स्टाफ की कमी पूरी नही हो पाई तो फिर कैसे अच्छी शिक्षा देने की बात होती है साथ ही शिक्षक आज शिक्षक  कम लगते पर क्लर्क ज्यादा लगते हैं ।क्योंकि शिक्षकों के गैर शिक्षण कार्य से बच्चों की तरफ ध्यान कम हुआ है । आज एक शिक्षक को नकारा कह कर समाज में अपमानित किया जाता है । और यह कहा जाता है कि शिक्षक राजनीतिक दलों के सरक्षण में रहते है । क्यों ऐसी बातें सामने जिस देश मे शिक्षकों की पेंशन पेंशन छीन उनका बुढ़ापा असुरक्षित कर दिया तो फिर शिक्षक को देश निर्माता कहने वाले सोचें कि ऐसा करके देश की उन्नति नही होती बल्कि अवनति जरूर होगी।

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