भावुक मां बोलीं- मेरे लाल ने बढ़ाया मेरा मान

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चंडीगढ़: शनिवार को हरियाणा के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीत लिया। पदक जीतते ही हरियाणा में जश्न शुरू हो गया। वहीं बेटे की सफलता से भावुक हुई बजरंग की मां ओमप्यारी ने कहा कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि मेरा बेटा विदेश से खाली हाथ लौटा हो। आज भी मेरे बेटे ने मेरा मान बढ़ा दिया। बेटे की जीत पर बजरंग के पिता बलवान सिंह पूनिया भी खूब खुश दिखे। उन्होंने कहा कि बजरंग ने कांस्य पदक जीतकर मेरा सपना साकार कर दिया। बजरंग के पदक जीतते ही सोनीपत में प्रशंसकों ने पटाखे फोड़े और मिठाई बांटी। वहीं ओलंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी काफी खुश हैं। बजरंग पूनिया के कांस्य पदक जीतते ही उन्होंने कहा कि मुझे बुहत खुशी हो रही है। सीएम ने बजरंग पूनिया को ढाई करोड़ रुपये का इनाम, सरकारी नौकरी और प्लाट देने का एलान किया। उन्होंने कहा कि भारत ने ओलंपिक में जितने मेडल जीते हैं, उनमें हरियाणा का योगदान काफी ज्यादा है।

बजरंग से पूरा देश पदक की आस लगाए बैठा था। इस उम्मीद के पीछे बजरंग की एक या दो वर्ष की नहीं, बल्कि सालों की कड़ी तपस्या है। बजरंग ने पिछले 10 वर्ष से मिठाई नहीं खाई है। यही नहीं करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से जंकफूड से दूरी बनाई हुई है। जागरूकता के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले बजरंग ने ओलंपिक से कई महीने पहले ही उससे दूरी बना ली थी।

झज्जर के खुडन गांव में जन्म लेने वाले बजरंग के परिवार में खेती से जितना आता था, उससे घर का ही गुजारा हो पाता था। विश्वविद्यालय स्तर पर पहलवानी कर चुके बजरंग के पिता बलवान सिंह ने 2005 में छारा गांव के लाला दीवानचंद अखाड़े में बजरंग का दाखिला कराया था। बजरंग के सपने पूरे करने के लिए पिता ने बस का किराया बचाकर साइकिल से सफर करना शुरू कर दिया था।

कुश्ती के लिए शरीर की मांग और घर की स्थिति दोनों को देखकर बजरंग ने कुश्ती को ही जीवन का हिस्सा बना लिया था। उन्होंने तय किया था कि कुश्ती से ही वे अपनी तकदीर को बदलकर दिखाएंगे। शनिवार को उन्होंने अपनी तकदीर बदल दी।

बजरंग पहले अपने से बड़ी उम्र और ज्यादा वजन के पहलवानों से कुश्ती लड़ते थे और जीतते भी थे। उनके इस संकल्प में भाई हरेंद्र के साथ चचेरे भाई नरेंद्र पूनिया ने भी पूरा सहयोग किया। हरेंद्र ने भाई के खानपान के लिए विदेश की अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी।

 

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