सत्य साईं बाबा के लिखित निर्देश पर लिखा अद्भुत ग्रंथ प्रसिद्ध साहित्यकार ईं.सुदर्शन भाटिया ने

प्रदेश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार ई. सुदर्शन भाटिया (80) ने 700 से अधिक पुस्तकों की रचना की है

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सत्य साईं बाबा के लिखित निर्देश पर लिखा अद्भुत ग्रंथ प्रसिद्ध साहित्यकार ईं. सुदर्शन भाटिया ने

INDIA REPORTER TODAY
PALAMPUR : RAJESH SURYAVANSHI

प्रदेश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार ई. सुदर्शन भाटिया (80) ने 700 से अधिक पुस्तकों की रचना की है, यह तो जग-विदित है। सब जानते हैं कि उनका लेखन सरल, सुबोध तथा हर वर्ग के लिए अत्यन्त उपयोगी है। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जोकि विदेशों में रह रहे भारतीय पाठक भी यहां के बड़े-बड़े पुस्तकालयों में पढ़ा करते हैं। उनका एक और पक्ष भी है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। सेवानिवृत अधिशाषी अभियन्ता अपने को नास्तिक नहीं मानते, जबकि उन्होंने धार्मिक ग्रन्थों के अतिरिक्त हर प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, पुरातन साहित्य पर बहुत कुछ लिखा है। जिस युग में, जो उन्हें धर्म-कर्म से जुड़ा मैटीरियल नहीं लगा, उस पर भी कलम चलाई।

2012 में उन्होंने प्रशांति (पुट्टापर्ती) वाले सत्य साईं बाबा के विषय में जब विस्तार से जाना तो वह सत्याक्षेत्र साईं-भ्रांता थुरल से जुड़ गए। उन्हीं दिनों वह एक लम्बा पत्र भी लिख कर ले गए। भले ही स्वामी जी 2011 से अपने शरीर को त्याग चुके थे किन्तु उनकी लीलाएं, चमत्कार, भक्तों से साक्षात्कार, पत्र पाना, उत्तर देना, विभूति, कुमकुम देकर उनके रूके व बिगड़े काम सुधारना जारी था। तीन दिनों बाद ही स्वामी जी का सुदर्शन भाटिया को, उन्हीं के हाथों लिखा पत्र प्राप्त हो गया। उसमेें स्वामी जी ने जो आत्मीयता दर्शायी उससे लगता था कि इस डिवोटी के उनके साथ पूर्व जन्म के सम्बन्ध रहे हैं।

प्रदेश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार ई. सुदर्शन भाटिया (80) ने 700 से अधिक पुस्तकों की रचना की है, यह तो जग-विदित है। सब जानते हैं कि उनका लेखन सरल, सुबोध तथा हर वर्ग के लिए अत्यन्त उपयोगी है। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जोकि विदेषों में रह रहे भारतीय पाठक भी यहां के बड़े-बड़े पुस्तकालयों में पढ़ा करते हैं।

उनका एक और पक्ष भी है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। सेवानिवृत अधिशाषी अभियन्ता अपने को नास्तिक नहीं मानते, जबकि उन्होंने धार्मिक ग्रन्थों के अतिरिक्त हर प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, पुरातन साहित्य पर बहुत कुछ लिखा है। जिस युग में, जो उन्हें धर्म-कर्म से जुड़ा मैटीरियल नहीं लगा, उस पर भी कलम चलाई।

2012 में उन्होंने प्रषांति (पुट्टापर्ती) वाले सत्य साईं बाबा के विषय में जब विस्तार से जाना तो वह सत्याक्षेत्र साईं-भ्रांता थुरल से जुड़ गए। उन्हीं दिनों वह एक लम्बा पत्र भी लिख कर ले गए। भले ही स्वामी जी 2011 से अपने शरीर को त्याग चुके थे किन्तु उनकी लीलाएं, चमत्कार, भक्तों से साक्षात्कार, पत्र पाना, उत्तर देना, विभूति, कुमकुम देकर उनके रूके व बिगड़े काम सुधारना जारी था।

तीन दिनों बाद ही स्वामी जी का सुदर्शन भाटिया को, उन्हीं के हाथों लिखा पत्र प्राप्त हो गया। उसमेें स्वामी जी ने जो आत्मीयता दर्शIयी उससे लगता था कि इस डिवोटी के उनके साथ पूर्व जन्म के सम्बन्ध रहे हैं।

कोई 15-16 दिनों तक सुदर्शन भाटिया ने सत्याक्षेत्र में एक साधारण पुजारी के रूप में रहते हुए सभी धार्मिक नियमों का पालन किया ।

उन्हें स्वामी जी ने जो इन दिनों अनुष्ठान दिया उस पर लीन रहे । प्रात:चार बजे उठना, स्नान करना, मंदिर में शुभ परभातम से लेकर दिन भर हवन-कीर्तन में रहना तथा कुर्ता – पाजामा (जैसेकि चित्र में दिखाया है, अनुशासित होकर पूरा दिन व्यतीत करते रहे । स्वामी जी की बॉडी फॉर्मेशन के लिए तो वह ब्राह्मणों/पुजारियों के साथ स्वामी भक्ति में लीन रहते रहे, साथ ही साथ सत्याक्षेत्र के पुराने तथा नए भक्तों के अनुभव प्रात करते रहे। स्वामी जी के 21 मई 2019 के यज्ञ का बड़े भक्ति-भाव से पालन किया ।

सुदर्शन भाटिया का कहना है कि स्वामी जी के आशीर्वाद से एक बड़ा ग्रंथ ” सत्य साई स्वामी – प्रशान्ति से सत्ताक्षेत्र तैयार हो गया जिसकी भूमि प्रसिद्ध, मूर्धन्य सहित्यकार डॉ.सुशील कुमार फुल्ल ने लिखी। पुस्तक दिल्ली से प्रकाशित हो कर आ गई। स्वामी जी की आज्ञा मिलने पर इसे बाज़ार में उतारा जाएगा।
आप उनके पूजा-यज्ञ-हवन, ग्रह पूजन, गीता अध्ययन आदि के चित्र देखें तो लगता है कि वह पूरी तरह से स्वामी जी को समर्पित हैं तथा ट्रस्ट के बतौर ट्रस्टी भी कार्य कर रहे हैं।

हिमाचल रिपोर्टर ने उनके व्यक्तित्व को काफी नजदीक से देखा तथा उनकी साहित्य व सत्यसाईं जी की साधना की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते उन्हें हमारा साधुवाद!

 

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