फौजी : प्रख्यात कवयित्री सुरेश लता अवस्थी की मार्मिक रचना, भावविभोर हो जाएंगे आप फौजी और उसके परिवार की मनोस्थिति देख कर

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SURESH LATA AWASTHI

CHOWKI, PALAMPUR

Mob : 82787 39443

 

फौजी

कब क्या हो, कौन जाने

संगीनों के साए में, बारूद के ढेर पर,

सरहद पे खड़ा सीना ताने,

खड़ा है फौजी घर से दूर,

मिलने से मजबूर,

हृदय वेदना कौन पहचाने,

अपने लाल की सलामती माँगती सांसे,

हृदय क्रन्दन करता होगा बच्चो का,

निहारा खिलोनों का बोरा

पापा कब आओगे,

शहर कब घुमाओगे।

वतन का रक्षक,

तेरी पीड़ा कोई न जाने,

बूढ़ी माँ का चेहरा,

बाप की सूनी आँखें,

जब याद करता होगा,

प्रतीक्षारत पत्नी के पत्र ,

तैरते होंगे आँखों के सामने,

बन कर जैसे चलचित्र।

हमें सिनेमा दिखाओगे,

बड़ी अम्मा बीमार है,

चलने से लाचार है,

आपका इन्ताजार करती है।

नाम लेते ही आँसू भरती है,

हवाओं से भेजे ये संदेश

जाना मेरे लाल के देश,

कहना तू ये दो माँओं का लाल है,

तुझ पर देश का भार है,

इसकी रक्षा का दारोमदार है,

तू देश का प्रहरी है, वतन पर विपदा घनेरी है, सदा अपना फर्ज निभाना, देश को शत्रुओं से बचाना,

जान भले ही चली जाए मातृभूमि पर आँच न आए।

पढ़ कर संदेश जननी का,

उठा भक्त मातृभूमि का ,

माँ तू चिन्ता ना करना,

बस मेरी सलामती की दुआ करना,

मातृभूमि मुझे बुला रही है,

बच्चों की चिन्ता उसे सता रही है,

वतन की मिट्टी का मुझ पर कर्ज है,

जान देकर रक्षा करना मेरा फर्ज है,

मैं वापस आऊँगा,

तेरे चरणों की रज माथे पर लगाऊँगा,

न आया तो अपनी बहु को समझा देना,

मेरा पत्र दिखा देना,

तुम पत्नी हो शहीद की,

देश पर मिटने वाले वीर की,

बच्चों का ध्यान रखना,

माँ के दूध की लाज रखना,

अपने आंसू रोक लेना,

माँ की आँखें पोंछ देना,

शहीद की कुर्बानी रंग लाएगी,

बच्चों को राह दिखाएगी,

क्योंकि जीना उसी का है जीना,

जो दूसरों के लिए जिए,

जो वतन के लिए मरे।।

जय हिन्द की सेना!!

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