भेड़ पालक सरकार के उदासीन रवैए के कारण व्यवसाय छोड़ने पर मजबूर : जनक
भेड़ पालक सरकार के उदासीन रवैए के कारण व्यवसाय छोड़ने पर मजबूर : जनक
इनके प्रोड्यूस पैदा होता है उनकी खरीददारी करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस ना प्रबंध है ना प्रावधान है
धर्मशाला , भाजपा विधायक डॉ जनक राज ने कहा मुझे शून्य काल में एक महत्त्वपूर्ण विषय को उठाने का मौका दिया अध्यक्ष महोदय मैं गद्दी जनजाति समुदाय से संबंध रखता हूं और हमारे समुदाय के हजारों लोग अपने परंपरागत भेड़ पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं और वर्तमान परिस्थितियों में यह व्यवसाय और इसे करने वाले लोग सरकार के उदासीन रवैए के कारण व्यवसाय को छोड़ने पर मजबूर है। भेड़ पालकों को अनेकों समस्याएं अपने व्यवसाय के दौरान आती हैं पलायन के दौरान प्रतिवर्ष अनेकों घटनाएं पशुओं की चोरी की होती हैं जिस पर लीपा पोती करके मैटर को दबा दिया जाता है पिछले वर्ष की बात है मेरे अपने परिवार के सदस्य मेरे चाचा जी थे उनके 12 भेड़ों को दारचा में चुरा लिया गया, मेरे आग्रह करने के बावजूद उन पर कोई कारवाई नहीं हुई साथ में चार गाओं का सिकुड़ता आकार एक तो चारगांव के क्षेत्र में लोगों ने अवैध कब्जे किए हैं। जंगलों में साथ ही साथ आबादी बसने के कारण चारागाह का क्षेत्रफल कम हो रहा है पलाइन मार्गों पर आबादी बढ़ रही है और जो इस व्यवसाय से जो प्रोड्यूस पैदा होता है उनकी खरीददारी करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस ना प्रबंध है ना प्रावधान है, वन रक्षा के प्रतिबंध भी इस व्यवसाय में आड़े आ रहे हैं और अभी कुछ दिन पहले का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ हमारे क्षेत्र के कुछ भेड़ पालक वो रोते हुए सरकार से ये गुहार लगा रहे थे कि बारिश ना होने की वजह से भेड़ों को ना घास उपलब्ध है और हमारी बहुत समस्याए और साथ ही साथ जब प्लान के दौरान महामारी फैलती है। फुट माउथ बीमारी तो समय पर उनको उपचार नहीं मिल पाता, दवाइयों के लिए उनको दरदर भटकना पड़ता है, तो मैं सरकार से आग्रह करना चाहूंगा कि यह लोग सरकार से कोई रोजगार नहीं मांग रहे हैं केवल यह आश्वासन सरकार से मांगते हैं कि हमारे रोजगार के दौरान काम करने की जो समस्याएं आ रही हैं उस पर सरकार विचार करें और कोई नीति बनाए।