68 विधायकों की उड़ गई नींद, कैबिनेट मिनिस्टर गोकुल बुटेल के एक साहसिक कदम से, राजा वीरभद्र सिंह के आईटी सलाहकार बनने पर भी किया था 90,000 की मासिक सैलरी का त्याग
कौन-कौन लेगा गोकुल बुटेल से प्रेरणा?
*Wanted: Fully Constructed Independent House/Flat for Immediate Occupancy*
We are seeking a fully constructed, independent house or flat in the vicinity of Palampur and nearby surroundings. The property should be fully furnished and available for immediate occupancy.
*Location:* Palampur and nearby surroundings
*Requirements:*
– Fully constructed independent house or flat
– Fully furnished
– Immediate occupancy
*Contact Us:*
If you have a property that meets our requirements, please contact us at:
– Phone: 9418130904
– Phone: 8988539600
We look forward to hearing from you soon!
गोकुल बुटेल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (आईटी), ने एक अनोखा और प्रेरक कदम उठाया है जिससे गोकुल एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। 2013 में भी उठाया था ऐसा ही साहसिक कदम।
उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपने 2.5 लाख रुपये के मासिक वेतन को छोड़कर केवल 1 रुपये टोकन मनी लेने का फैसला किया है। यह निर्णय वित्तीय संकट से जूझ रही राज्य सरकार के संसाधन जुटाने के आग्रह पर लिया गया है।
बुटेल की तरह अन्य राजनीतिज्ञों के इस त्याग से समाज के उत्थान और प्रदेश की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार आ सकता है। समाज के कई उच्च पदों पर सुशोभित लोग इस पहल से प्रेरणा लेकर प्रदेश की उन्नति में व्यापक सहयोग दे सकते हैं।
उन्होंने अपने इस निर्णय को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखा था, जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने शनिवार को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
गोकुल बुटेल मुख्यमंत्री के प्रधान आईटी सलाहकार हैं और इससे पहले वह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भी आईटी सलाहकार रह चुके हैं। उन्हें हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी आलाकमान ने वॉर रूम की जिम्मेदारी सौंपी थी, और अभी जम्मू-कश्मीर में वॉर रूम की जिम्मेदारी भी उनके पास है।
बुटेल राहुल गांधी की टीम के सदस्य हैं और राजनीति में इस तरह की मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है। कोई नेता होते हैं जो अपनी कमाई को सामाजिक हितों के लिए छोड़ देते हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आपदा के समय में 51 लाख रुपए की राशि अपने आपदा राहत कोष के लिए दी थी। कोरोना के समय में भी नेताओं ने अपना वेतन छोड़ा था। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए गोकुल बुटेल ने अब अपना वेतन छोड़ दिया है।
यह उल्लेखनीय है कि जब गोकुल बुटेल पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के आईटी सलाहकार थे उसे समय भी उन्होंने 90 हजार रुपए प्रति माह का वेतन छोड़ दिया था।
गोकुल बुटेल का यह कदम न केवल प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। उन्होंने साबित किया है कि नेता भी सामाजिक हितों के लिए अपनी कमाई छोड़ सकते हैं।
अब हिमाचल प्रदेश के 68 विधायकों के लिए यह समय अपनी नैतिकता और जनसेवा की भावना को परखने का है।
प्रदेश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जहां हर व्यक्ति पर सवा लाख का कर्ज है। ऐसे में, प्रदेशवासियों द्वारा विधायकों से उनका वेतन जनहित और प्रदेश हित में त्यागने की अपील की जा रही है।
यह समय राजनीतिक दलों के आपसी मतभेदों को भुला कर एकजुट होने का है।
चुनौतीपूर्ण समय में सरकार की मदद करना जनसेवकों का कर्तव्य है। गोकुल द्वारा उठाया गया यह कदम एक आह्वान है कि विधायक अपने वेतन को त्यागकर प्रदेश की मदद करें।
सोसाइटी फ़ॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने सभी विधायकों, उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों, बड़े-बड़े कारोबारियों से आह्वान किया है कि वे गोकुल बुटेल से प्रेरणा लेकर धन का कुछ त्याग करने की दिलेरी दिखाएं तो कुछ बात बने। अधिकांश राजनीतिज्ञों के पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं, ऐसे में “चिड़ी चोंच भर ले गई, नदी न घटयो नीर” वाली बात है।
यह समय है जब विधायकों को अपने अंतःकरण में झांकना होगा और देखना होगा कि वे प्रदेश और प्रदेशवासियों के प्रति कितने समर्पित हैं। यह उनके लिए अग्निपरीक्षा की घड़ी है, जहां उन्हें अपनी हिम्मत और नैतिकता का परिचय देना होगा तथा स्पष्ट करना होगा कि कौन कितना बड़ा जनसेवक है। जो काम गोकुल बुटेल कर सकते हैं बिना किसी मलाईदार महकमे के, तो बाकी लॉ मेकर और शीर्षस्थ राजनीतिज्ञ क्यों नहीं जिनके पास परोक्ष एवम प्रत्यक्ष रूप से धन-संपत्ति के अंबार लगे हैं। सात पुश्तें भी खाएं तो भी खत्म होने वाला नहीं। बात तो सोच बदलने की है।
आइए देखते हैं कि कौन सा जनसेवक विधायक कितनी हिम्मत दिखाता है और प्रदेश के साथ अपना लगाव दिखाता है। यह समय है जब विधायकों को अपने वेतन को त्यागकर प्रदेश की मदद करनी चाहिए और एक सच्चे जनसेवक की भूमिका निभानी चाहिए।