पालमपुर में गुंडागर्दी और साजिश का नंगा नाच, तीन अपराधियों को पुलिस ने धर दबोचा, पर्दाफाश: राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अपराधी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर
अभी तो छानबीन का आग़ाज़ है, केस में आगे कई महत्वपूर्ण सुराग मिलने और नए मोड़ आने संभावित हैं
पालमपुर में गुंडागर्दी और साजिश का नंगा नाच, तीन अपराधियों को पुलिस ने धर दबोचा, पर्दाफाश: राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अपराधी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर
पालमपुर के शांतिपूर्ण माहौल में हलचल मचाने वाली एक सनसनीखेज घटना ने शहर के प्रमुख व्यवसायियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त असामाजिक तत्वों की साजिश का पर्दाफाश कर दिया है।
तीन शातिर अपराधियों द्वारा एक प्रतिष्ठित व्यवसायी और उनके परिवार पर जानलेवा हमला करने का प्रयास किया गया, जिसे पालमपुर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 35(3)BNSS के तहत उन्हें बांड डाउन कर गिरफ्त में लिया।
ये हमलावर ठाकुरद्वारा और खलेट के निवासी हैं, जिन्हें पहले भी कई असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है। उनके खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हैं, लेकिन इस बार की घटना ने उनके अपराधी नेटवर्क और राजनीतिक संरक्षण के कारण शहर के कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि इन तीनों गुण्डातत्वों ने एक ही दिन में दो बार पूर्वनियोजित साजिश के तहत व्यवसायी पर हमला करने का प्रयास किया। घटना के तुरंत बाद, व्यवसायी के परिवार ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें जानमाल के खतरे की आशंका जताई गई थी।
फिल्मी अंदाज में हुई गिरफ्तारी, पुलिस का सराहनीय प्रयास
पुलिस की इन्वेस्टिगेशन टीम, जिसका नेतृत्व कर्मठ एसएचओ भूपेंद्र सिंह कर रहे थे, ने गोपाल कृष्ण, मोहिंदर राणा, विजय कुमार और राजकुमार के साथ मिलकर इस मामले की गहन जांच की। सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने महज दो दिन के भीतर अपराधियों का पता लगा लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी का तरीका किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था, जब स्कूटी पर सवार अपराधी पुलिस को चकमा देने के लिए अंधाधुंध भागने लगा। लेकिन पुलिस टीम के सदस्यों ने सूझबूझ दिखाते हुए स्कूटी को जब्त कर लिया, जो बाद में चोरी की निकली। यह वाहन हमीरपुर जिले से चुराया गया था। यह मामला भी दर्ज किया गया है। जांच जारी है।
असली साजिशकर्ता अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर, राजनीतिक संरक्षण का लाभ
हालांकि पुलिस ने छोटी मछलियों को पकड़ने में सफलता हासिल कर ली है, लेकिन इस घटना के असली साजिशकर्ता, जो बड़े पूंजीपति और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त धन्नासेठ हैं, अभी भी फरार हैं।
एफआईआर में दर्ज प्रमुख अभियुक्तों के खिलाफ ठोस सबूत होने के बावजूद, पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने में विफल रही है।
FIR दर्ज होने के 14 दिन बाद भी इन साजिशकर्ताओं का खुलेआम घूमना पुलिस की कार्यशैली और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
इस साजिश के तार शहर के कुछ प्रभावशाली पूंजीपतियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों से जुड़े होने का शक जताया जा रहा है। ये ताकतवर लोग अपनी आपसी दुश्मनी और रंजिश के चलते अपराधियों के माध्यम से प्रतिष्ठित व्यवसायी पर हमला करवाने की साजिश रच रहे थे। पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन शायद राजनीतिक दबाव या अन्य कारणों से वे इन बड़े नामों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में असमर्थ हैं।
असली षड्यंत्र कारियों द्वारा घटना घटने से घंटों पहले ही फैलाई गई अफवाहें: साजिश की गहराई
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि घटना घटित होने से लगभग 10 घंटे पहले ही इस साजिश की जानकारी कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा शहर में फैला दी गई थी। उन्होंने यह अफवाह फैलाई कि फलां व्यवसायी के साथ कोई बड़ी वारदात हुई है। यह घटना अपने आप में सवाल खड़ा करती है कि आखिर इन लोगों को इस साजिश की जानकारी कैसे थी, और उन्होंने इतनी सटीक भविष्यवाणी कैसे की? कुछ लोगों की रिकॉर्डिंग इस तथ्य को साबित करती है लेकिन पुलिस ने अपनी शक की सूई अभी तक उनकी ओर नहीं घुमाई है जोकि हैरानी की बात है
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि शहर के भीतर एक गहरा और संगठित अपराधी नेटवर्क सक्रिय है, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
पुलिस को इस दिशा में त्वरित और गहन जांच करनी चाहिए। उन्हें उन तमाम लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए जिन्होंने इस साजिश की जानकारी को पहले ही फैला दिया था। यदि इन अफवाह फैलाने वालों को पकड़ा जाता है, तो इससे पूरे नेटवर्क और असली साजिशकर्ताओं का पर्दाफाश हो सकता है। उन सभी असामाजिक तत्वों की recordings सुरक्षित हैं जो न्यायालय की कार्यवाही में किसी भी अवसर पर काम आएंगी।
पालमपुर में बढ़ती गुंडागर्दी: क्या पुलिस और प्रशासन लाचार हैं?
यह घटना पालमपुर में गुंडागर्दी के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है, जहां बड़े पूंजीपति और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इन लोगों के आगे पुलिस और प्रशासन भी असहाय नजर आते हैं।
छोटी मछलियों को तो पुलिस पकड़ने में सफल रही है, लेकिन असली अपराधी—जो राजनीतिक पहुंच और पैसे के दम पर कानून से खेलते हैं—अब भी आज़ाद घूम रहे हैं।
अफसोस की बात यह है कि पालमपुर अब एक संगठित अपराध और राजनीतिक षड्यंत्र का गढ़ बनता जा रहा है। बड़े पूंजीपति अपनी निजी दुश्मनी को निपटाने के लिए असामाजिक तत्वों का सहारा ले रहे हैं, और पुलिस, जो समाज की रक्षक मानी जाती है, इन बड़े मगरमच्छों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में असमर्थ दिखती है।
न्याय की उम्मीद: क्या पुलिस बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसेगी?
हालांकि पुलिस ने कई ठोस सबूत इकट्ठा किए हैं, लेकिन FIR में दर्ज प्रमुख अभियुक्तों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है।
एफआईआर में जिस कथित अपराधी का नाम सन्देहस्वरूप लिखवाया गया है उसके खिलाफ पहले भी एक मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है, जहां प्रमुख अभियुक्त पर फर्जी दस्तखत कर करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप है। इस व्यक्ति ने जालसाजी कर 5 करोड़ रुपये का हाइडल प्रोजेक्ट अपनी फ्रॉड सिग्नेचर करके बेच दिया था। फ़र्ज़ी हस्ताक्षरों की पुष्टि भारत की तीन बड़ी प्रयोगशालाओं द्वारा की गई है जोकि फ़र्ज़ी पाए गए हैं। अब इस अरबपति कथित अभियुक्त के खिलाफ फैसला आने का इंतजार है। मामला अंतिम चरण में है।
बताया जाता है कि एफआईआर में नामित अरबपति आरोपी के घनिष्ठ संबंध पूर्व में उस राजनीतिज्ञ के साथ भी रहे हैं जिसने साजिश खेलकर सुक्खू सरकार का तख्ता पलट करने का अपराध किया था।
शहर के लोग अब यह सवाल कर रहे हैं कि क्या पुलिस बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसने में सफल होगी या फिर यह मामला भी छोटी मछलियों तक सीमित करके दबा दिया जाएगा? जनता की मांग है कि पुलिस इस मामले की तह तक जाकर असली साजिशकर्ताओं को सलाखों के पीछे डाले।
अंत में, सवाल यह है कि क्या पालमपुर के ये ताकतवर लोग अपनी ताकत के दम पर कानून से बच निकलेंगे, या फिर बुराई का अंत होकर इनका चेहरा उजागर होगा?
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