किस्सा गोस्वामी गणेश दत्त महाविद्यालय का

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ज़िला सोलन का एक छोटा सा क़स्बा सुबाथू (स्पाटू) और गौ स्वामी गणेश दत्त महाविद्यालय

एक भूतपूर्व छात्र ने कुछ यूँ अदा किया अपना फ़र्ज़

पूरा किया वर्षो पुराना अपना वादा

शिमला ब्यूरो (विशेष संवाददाता, विशाल वर्मा)

यह कहानी शुरू होती है ज़िला सोलन के एक छोटे से क़स्बे सुबाथू(स्पाटू) से|जहाँ कई दशकों से स्कूल के बाद महाविद्यालय के लिए दो चयन होते थे, सोलन या सुबाथू।

सोलन महाविद्यालय चूंकि सरकारी था लिहाज़ा सुविधाएं भी ज़्यादा थी और सुबाथू का यह छोटा से संस्थान सनातन धर्म संस्थान का एक अंग था|

सुबाथू के कुछ गुणी जनों ने अपने अथाह प्रयासों से सुबाथू में महाविद्यालय का यह बीज कुछ दशकों पहले बोया था जिसके फल बड़े और स्वादिष्ट निकलते जा रहे हैं|

यहां से निकले छात्रों ने कई स्थानों में अपनी छाप छोड़ी है| इस बीच 90 के दशक में एक छात्र ने मन में कुछ ठान लिया था, यह छात्र था मनीष गुप्ता और पिता स्वर्गीय लाला दर्शन जी इस संस्थान के अभिन्न अंग थे।

मन में एक आस जगी, अपना महाविद्यालय भी काश सरकारी होता तो यहां भी कई सुविधाएं मुहैया करवाई जाती।

ऐसा नहीं है कि यह ख़्वाब बस मनीष ने ही देखा होगा, लम्बे समय से इस संस्थान से जुड़े छात्रों के मन में यही आस थी कि काश अपना महाविद्यालय भी सरकारी हो जाये|।

कई प्रयास हुए मग़र अंजाम तक नहीं पहुँच पाए| इस बीच मनीष गुप्ता का जब महाविद्यालय में दूसरा वर्ष चल रहा था, लाला दर्शन जी चल बसे|
अब सारा ध्यान शिक्षा और घर की ज़िम्मेदारी में बंट गया|

पढ़ाई पूरी हुई और क्यूंकि स्वर्गीय लाला दर्शन जी इस संस्थान से जुड़े थे, संस्थान ने मनीष को यहां कुछ अहम ज़िम्मेदारी देकर अपने अनुभव को महाविद्यालय को बाँटने को कहा|

मानो मनीष और पुराने सब साथी छात्रों की वो आस जो इस कॉलेज को लेकर बँधी थी उसकी चाबी मनीष को मिल गई हो, बस फिर क्या था 2002 के बाद से मनीष और पुराने सब छात्रों और शिक्षकों ने अब अपनी इस इच्छा को मूलरूप देना प्रारंम्भ कर दिया|

 

मनीष गुप्ता के पिता जी क्यूंकि शुरू से ही राजनीती से भी जुड़े रहे लिहाज़ा मनीष गुप्ता और दूसरे छात्र संगठनों ने यह बात उस वक़्त राजनीती के चाणक्य राजीव बिंदल और कर्नल धनी राम शांडिल से भी सांझा की| इस बीच सरकारें बदलीं, हालात बदले, चर्चा चलती रही|

मग़र जीत का सेहरा तो शायद जयराम सरकार और शांत और सौम्य रूप के धनी कसौली विधायक और स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सहजल के नाम लिखा था|

डॉ सहजल का इस निर्वाचन क्षेत्र में बार-बार आना-जाना और लगातार मनीष गुप्ता द्वारा कॉलेज के मुद्दे को रखना उनके ज़हन में घर कर गया|

इन सब कार्यों में समय लगना ज़ाहिर था क्यूंकि कॉलेज आर्मी क्षेत्र से घिरा है और केंद्र सरकार और राज्य सरकार का मिला-जुला प्रयास ही इस कार्य को अंजाम दे सकता था|
मनीष का राजनीतीक अनुभव भी अब लम्बा हो चला था, अपने सूत्रों को सक्रिय कर चुपचाप कॉलेज के साथ किये अपने वादे को पूरा करने में लगा रहा।


लोगों को यह भी लगा कि मंत्री जी ने हामी भर दी फिर भी कार्य नहीं हो रहा था, शायद, मनीष गुप्ता ने फ़ाइल को किसी स्वार्थ के चलते रोक रखा है|
पर वो तो अपना काम दबे क़दमों से कर चुका था, यह बात राजीव सहजल के माध्यम से हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक पहुंची तो उन्होंने कहा की प्रयास तेज़ करदो में सुबाथू आऊंगा तो यह काम होना निश्चित समझें।
मुख्यमंत्री का सुबाथू आना हुआ और उन्होंने सुबाथू महाविद्यालय के सरकारीकरण की सौगात सुबाथू वासियों को दे डाली| मनीष गुप्ता को महाविद्यालय से किया वो वादा अब साकार होने चला है|

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