चंडीगढ़: सरकारी चिकित्सकों ने ‘गैर-प्रैक्टिस भत्ता’ पर राज्य सरकार की चुप्पी को लेकर 12 जुलाई से 14 जुलाई तक काम पर अनुपस्थित रहने का शनिवार को फैसला किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा अपने मुद्दे का समाधान नहीं किये जाने पर 19 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक पंजाब के छठे वित्त आयोग की उस सिफारिश का विरोध कर रहे हैं जिसके जरिए गैर-प्रैक्टिस भत्ता को मूल वेतन से असंबद्ध कर दिया गया है। वे भत्ते को 25 प्रतिशत से घटा कर 20 प्रतिशत करने की वेतन आयोग की सिफारिश का भी विरोध कर रहे हैं।
स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा सेवाओं का 12 से 14 जुलाई तक बहिष्कार करने का फैसला संयुक्त सरकारी चिकित्सक समन्वय समिति (जेजीडीसीसी) ने लिया है। इसमें पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के सदस्य भी शामिल हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. गगनदीप सिंह ने शनिवार को कहा कि उनकी मांगों के प्रति राज्य सरकार की चुप्पी ने उन्हें हड़ताल की घोषणा के लिए मजबूर किया। हड़ताल से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सहित स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। इसके अलावा पशु चिकित्सा सेवाएं भी बंद रहेंगी। हालांकि, आपातकाली सेवाएं और कोविड से जुड़ी सेवाएं जारी रहेंगी।
गौरतलब है कि गैर-प्रैक्टिस भत्ता उन चिकित्सकों को दिया जाता है जो केंद्र या राज्य सरकार के स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में काम कर रहे हैं। एक मेडिकल अधिकारी जो घर से प्रैक्टिस नहीं करना चाहता है, वह इस तरह के भत्ते की मांग कर सकता है। इस भत्ते को महंगाई भत्ता या आवास भत्ता के समान माना जाता है। इसकी राशि का हिसाब मूल वेतन और ‘ग्रेड पे’ के आधार पर लगाया जाता है।