हनुमान जयन्ति कैसे मनाएं, पढ़िए पूजा व व्रत की पूरी विधि

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आज देशभर में हनुमान जयंती मनाई जा रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि मं​गलवार के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था.

रुद्रावतार हनुमान जी माता अंजना एवं पिता केसरी के तेजस्वी, बलशाली, बुद्धिमान एवं चतुर पुत्र थे. उन्होंने प्रभु श्रीराम की सेवा एवं भक्ति में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.

वह भगवान श्रीराम के संकटमोचन बने. राम काज के लिए वे सदैव तत्पर रहे. इस बार हनुमान जयंती के अवसर पर आप बजरंगबली की पूजा करें, जिससे वे आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति करें.

आइए जानते हैं हनुमान जयंती के मुहूर्त, शुभ योग, मंत्र, आरती, व्रत एवं पूजा विधि के बारे में…
रवि योग में हनुमान जयंती
इस साल हनुमान जयंती रवि योग में है. इस दिन प्रात: 05:55 बजे से ही रवि योग लग गया है. यह योग सुबह 08:40 बजे तक रहेगा. सुबह 08:40 बजे तक हस्त नक्षत्र है, उसके बाद से चित्रा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा.

ऐसे में यदि अपको हनुमान जयंती की पूजा करनी है, तो सुबह 08:40 बजे से पूर्व कर लें. रवि योग में किया गया कार्य सफलता, यश एवं कीर्ति देने वाला है. इस दिन अभिजित मुहूर्त 11:55 एएम से दोपहर 12:47 पीएम तक है।
हनुमान जी की पूजा मंत्र एवं आरती
हनुमान जी की पूजा का सबसे आसान तरीका है, हनुमान चालीसा का पाठ करना. हालांकि आप पूजन सामग्री अर्पित करते समय आप नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

ओम हं हनुमते नम:

मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

पूजा के समापन के समय घी के दीपक से हनुमान जी की आरती करते हैं. इस दौरान आरती कीजै हनुमान लला की…पढ़ते हैं.

हनुमान जयंती व्रत एवं पूजा विधि
1. स्नान के बाद लाल रंग का कपड़ा पहनें और पूजा के लिए लाल रंग के ही आसन का चुनाव करें.

2. अब आप एक चौकी पर प्रभु राम, माता सीता एवं हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. इसके पश्चात व्रत एवं पूजा का संकल्प लें.

3. सबसे पहले प्रभु राम एवं माता सीता की पूजा विधि पूर्वक करें. उसके बाद हनुमान जी को लाल पुष्प, लाल लंगोट, जनेऊ, लाल चंदन, सिंदूर, फल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, वस्त्र, चमेली का तेल, बूंदी के लड्डू आदि अर्पित करते हुए पूजा करें।
4. अब आप सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें. इस दिन आप सुंदरकांड का पाठ करें, तो बहुत ही अच्छा होगा. हनुमान जी की जन्म कथा पढ़ें या सुनें.

5. पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती कपूर या घी के दीपक से करें. विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए तिल के तेल का उपयोग कर सकते हैं.

6. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. मंगल ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं।

7. दिनभर फलाहार करते हुए व्रत रखें. शाम को संध्या आरती करें. रात्रि जागरण करें. अगले दिन सुबह स्नान के बाद फिर पूजन करें.

8. सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

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