मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खु 30 साल तक निःस्वार्थ घोर तपस्या करने के बाद रचेंगे 15 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का इतिहास, हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाएंगे
राजेश सूर्यवंशी की कलम से…
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह एक नया इतिहास बनाएंगे…
15 साल तक अपनी हकूमत चलाएंगे… हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाएंगे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रचा नया इतिहास
13वें मुख्यमंत्री बन कर, 14वें और 15वें मुख्यमंत्री बन कर बनाएंगे हिमाचल को आत्मनिर्भर, फिर नहीं जाना पड़ेगा बच्चों को माता-पिता को अकेला छोड़कर बाहर
आज तक हिमाचल प्रदेश के 12 मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन किसी ने अपनी जेब से, अपनी नेक कमाई से एक फूटी कौड़ी तक जनता की भलाई के लिए खर्च नहीं की जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ठाकुर ने अपनी नेक कमाई में से कोरोना काल में 11 लाख रुपये तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को देकर मानवता के प्रति अपना धर्म निभाया था।
नर सेवा नारायण सेवा की लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए उनकी पूज्य माता जी ने अपनी जमापूंजी में से 51,000 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में आपदा प्रभावित परिवारों को दिए। उन्होनें स्वयं हिमाचल के प्राकृतिक आपदा प्रभावितों की मदद के लिए अपनी जीवन भर की पूंजी 51 लाख रुपये सरकारी खजाने में दान कर दी ताकि दुखियों का भला हो सके।
जबकि यह कटु सत्य है कि अधिकांश लोग राजनीति में पद ओर धन-दौलत कमाने की लालसा मन में लेकर आते हैं और रातोंरात करोड़पति बन जाते हैं। यह बाग़ियों ने सिद्ध कर दिया। लेकिन उन धन और सत्ता के लोभियों की तुलना यदि सुखविंदर जी से करें तो ज़मीन-आसमान का अंतर देखने को मिलेगा।
सुखविंदर सुक्खू किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि से संबंध नहीं रखते। वह एक साधारण परिवार से राजनीति में आकर सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं और उनकी ईमानदारी और जनता के प्रति प्रेम देखकर जनता उन्हें मम से कम तीन बार मुख्यमंत्री बनते हुए देखना चाहती है ताकि प्रदेश और प्रदेशवासियों का भला हो सके।
अपने जीवन में उन्होंने कई अग्निपरिक्षाओं का सफलतापूर्वक डट कर सामना किया। अपनी ही सरकार में 20 साल विधायक रहे लेकिन सब्र का घूंट पी कर, दुखी मन से सब कुछ सहते रहे। सब्र का बांध कभी टूटने नहीं दिया। वरिष्ठ नेता होने के बावजूद कोई भी पद न मिलने के बावजूद अपनी मां समान पार्टी से गद्दारी नहीं की। अपना स्वार्थ साधने की मंशा से सरकार गिराने की बात कभी सपने में भी नहीं सोची। उनके गरीब माता-पिता ने उनमें संस्कार ही कूट-कूट कर भरे हैं।
परिस्थितियां गवाह हैं कि वह अपने या अपने परिवार के लिए बंगला, गाड़ी, धन संपत्ति कमाने नहीं आए बल्कि जनसेवा का बीड़ा उठाने की भावना से आए हैं। वह देश की राजनीति में एक मिसाल बन कर उभरे हैं। अपनी काबिलियत के बल पर छोटे से कार्यकाल में प्रदेश के लिए कई उच्चकोटि के पुरस्कार जीतने में सफल रहै हैं।
अग्निपरिक्षाओं ने कभी उनका दामन नहीं छोड़ा। केंद्र सरकार द्वारा आपदा से प्रदेश को उबारने हेतु पर्याप्त धन न मिलने के बावजूद उन्होंने प्रदेश को रिकॉर्ड समय में मुसीबत से बाहर निकालने की अग्निपरीक्षा पास की। हिमाचल प्रदेश में जब प्राकृतिक आपदा ने त्राहि त्राहि मचाई तो केवल मुख्यमंत्री सुखविंदर सूखने ही जनता का दर्द समझा केंद्र सरकार ने मदद के हाथ पीछे खींच लिए। अर्बन की मालिक कंगना रनौत जो कि भाजपा से मंडी लोकसभा सीट पर अपनी जीत की दावेदारी जता रही है उन्होंने एक पैसे की मदद नहीं की और मजबूर लोगों को उनके हालात पर छोड़कर मुंबई चली गई। हालांकि इंडिया रिपोर्टर टुडे ने उनसे गुजारिश की थी कि वह अपनी अरबों की संपत्ति में से कुछ धन प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए दें लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। अनसुना कर दिया।
अब गद्दारों और प्रतिपक्ष द्वारा पैदा की गई अग्निपरीक्षा नें भी वह सफल होकर निकले हैं। सीमित साधनों के बावजूद चुनावी वादों को पूरा करते हुए प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लोगों की दुआएं और ईश्वर का आशीर्वाद उनके साथ है।
अब हम आपको मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के जीवन से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातोँ से रूबरू करवाएंगे।
वह 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। नगर निगम शिमला के दो बार चुने हुए पार्षद बने। फिर साल 2003, 2007, 2017 और अब 2022 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए। 2008 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने। 2013 से 10 जनवरी 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट वितरण कमेटी के सदस्य बने।
अपने राजनीतिक जीवन में 30 साल तक अग्नि परीक्षाओं से गुजरते हुए उनमें सफल होते हुए आज वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं उनके मन में प्रदेश और प्रदेशवासियों के लिए कुछ खास कर गुजरने की ललक है वह चाहते हैं कि हिमाचल प्रदेश उन्नति की राह पर अग्रसर हो प्रदेश और प्रदेशवासी आत्मनिर्भर बने उन्हें नौकरी करने के लिए प्रदेश से बाहर न जाना पड़े माता-पिता और बच्चे सब मिलकर एक साथ एक ही छत के नीचे रह सके तभी हमारा प्रदेश आत्मनिर्भर कहलाएगा और वेग दिशा में दिन-रात पर्यटन कर रहे हैं जनता का भी यही मानना है कि उन्होंने 30 साल तक अग्नि परीक्षा दी है और अब कम से कम 15 साल तक वह उन्हें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी पर विराजमान देखना चाहते हैं। जनता ईश्वर से प्रार्थना कर रही है कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु प्रदान करें।