कानपुर जा रही बरात में दूल्हे को पैंट उतारकर हाथ में पकड़कर चलना पड़ा। सेहरा खराब न हो जाए, इस लिए उसे टोकरी में रखकर परिजनों ने बाढ़ का पानी पार किया। तब बरात सकुशल गंतव्य की ओर रवाना हो सकी।
मऊदरवाजा थाने के गांव पंखिया नगला (पंखियन की मढ़ैया) के यासीन खां ने बेटे मोहसिन का निकाह जनपद उन्नाव के शुक्लागंज में तय किया गया। काजी ने निकाह के लिए सोमवार की तारीख तय की।
लेकिन न तो दूल्हे को पता था और न दुल्हन को कि इस तारीख को दोनों के परिजनों को किस दौर से गुजरना होगा। इन दिनों गांव में गंगा की बाढ़ का पानी भरा है। उसके एक किमी दूर तक दो-दो फीट पानी है।
मोहसिन की बरात की रवानगी हुई तो बहनोई न तो शेरवानी और न ही सेहरा पहनाने की रश्म अदा कर सके। दूल्हे को पैदल ही हाथ में पैंट थाम कर बाढ़ का पानी पार करना पड़ा।
बराती व परिजन भी कुछ इसी तरह बाढ़ के पानी में चलकर गांव बिलावलपुर तक पैदल ही गए। वहीं पैंट और सेहरा पहना गया। यहां तक दूल्हे का सेहरा एक टोकरी में रखकर परिवार के लोग लेकर आए। इसके बाद बरात कारों से रवाना हुई।