कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी बुरा असर पड़ा है। अभी तक केंद्र सरकार इससे इनकार कर रही थी लेकिन सोमवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
आईसीएमआर के अनुसार कोविड व लॉकडाउन के चलते 40 फीसदी गैर संक्रामक रोगी इलाज के लिए अस्पताल नहीं पहुंचे हैं। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन को लेकर आईसीएमआर ने सोमवार को एक बयान भी जारी किया।
ओडिशा के खुर्दा जिल में हुए अध्ययन में पता चला है कि कोरोना से 69 फीसदी गैर संक्रामक रोगियों की चिकित्सीय जांच पर असर पड़ा है। अस्पतालों में एक दिन में होने वाली चिकित्सीय प्रक्रिया में भी 67 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। 60 फीसदी मरीज ही अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे।
मई व जून माह में हुए इस अध्ययन में बताया गया कि करीब 59% मरीजों को डॉक्टर का अपॉइंटमेंट भी नहीं मिल सका, क्योंकि कोरोना के चलते ज्यादातर अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रही हैं।
59 फीसदी को नहीं मिला डॉक्टर से समय
कोरोना संक्रामक रोग है लेकिन इस महामारी से पहले भारत गैर संक्रामक रोगियों का भार देख रहा है। इनमें हार्ट के अलावा लिवर, किडनी, बेन इत्यादि से जुड़े मामले हैं। वैज्ञानिकों ने सरकार को सलाह दी है कि होम बेस्ड स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की जरूरत है।
इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज हुए परेशान
अध्ययन में बताया कि मधुमेह व दिल की बीमारियों से जुड़े मरीजों को सबसे ज्यादा तकलीफ हुई है। इन मरीजों को फॉलोअप के लिए चिकित्सीय परामर्श नहीं मिल पाया। जबकि 40% मरीजों को दवाएं तक नहीं मिल पाईं। इनके अलावा कैंसर व गंभीर श्वसन रोगी भी उपचार के लिए परेशान हुए हैं।