बड़ी खबर : सिविल हॉस्पिटल के एक डॉक्टर पर रोगियों को लूटने का आरोप, क्या एमएस पालमपुर, डायरेक्टर हेल्थ या सचिव एक्शन लेंगे या यह अवैध धंधा बेरोकटोक यूं ही चलता रहेगा?
सिविल हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा गरीब रोगियों को बुरी तरह लूटा जा रहा है। बताया जाता है कि यह हृदय रोग विशेषज्ञ रिटायर होने के बाद आजकल एक्सटेंशन पर है।
वह अधिकतर दवाइयां और टेस्ट प्राइवेट लैब और अपने चहेते केमिस्ट से लेने के लिए प्रेरित करता है और जरूरत से अधिक दवाइयां लिख देता है
कई मामले ऐसे भी देखने में सामने आए हैं कि जहां पेशेंट को हृदय रोग होता ही नहीं और उसके बावजूद भी हजारों रुपए की हृदय रोग संबंधित दवाइयां उसे लिख दी जाती है और एक स्पेशल दुकान से खरीदने के लिए विवश किया जाता है और दवाइयां खरीदने के बाद उन्हें चेक करवाने के लिए भी कहा जाता है ताकि पता चल जाए की दवाई किस दुकान से खरीदी है।
इस तरह से यह डॉक्टर पहले भी लोगों की कथित शिकायतों के अनुसार करोड़ों रुपया कमीशन के तौर पर कमा चुका है और लाखों रुपए के लेन-देन के संबंध में एक केमिस्ट के साथ हाथापाई होने का वीडियो भी वायरल हो चुका है। बताया जाता है कि हाथ लंबे होने की वजह से यह डॉक्टर हमेशा से बचता रहा है तथा आरोपों से घिरे होने के बावजूद विभागीय एक्सटेंशन लेने में कामयाब रहा है।
पालमपुर उपमंडल के गांव राख के एक पूर्व प्रधान देविंदर कपूर ने बताया कि जब वह आज उक्त हार्ट स्पेशलिस्ट के पास गया तो डॉक्टर ने ढेर सारी हृदय रोग संबंधी दावाईयाँ व लैब टेस्ट हॉस्पिटल के बाहर के केमिस्ट और प्राइवेट लैबोरेटरी से लेने हेतु महंगे दामों पर खरीदने हेतु विवश किया।
जब रोगी ने इसकी शिकायत एसएमओ से की तो उन्होंने कहा कि यह डॉक्टर एक्सटेंशन पर है तथा आप मीडिया में जाओ और लिखित शिकायत दो ताकि एक्शन लिया जा सके। इस डॉक्टर से लोग लंबे समय से परेशान हैं लेकिन पहुंच ऊपर तक होने के कारण उसका आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया।
लोगों ने एमएस पालमपुर, डायरेक्टर हेल्थ व स्वास्थ्य सचिव हिमाचल प्रदेश से आग्रह किया है कि मामले की निष्पक्ष, राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना छानबीन करवाई जाए तथा गरीब , मजबूर और असहाय मरीजों को लूटने से बचाया जाए।
फिलहाल तो सारा सरकारी अमला न जाने कब से होंठ सिले बैठा है और लोगों की तमाम शिकायतें लगता है रद्दी की टोकरी की शोभा बन कर रह गई हैं। यह हमारे सरकारी सिस्टम पर एक बदनुमा दाग है जहां हर स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है और आवाज़ उठाने वालों की आवाज़ बंद करने के हथकंडे अपनाए जाते हैं।
स्पष्टीकरण हेतु डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो सके।