तारीख़ पर तारीख़ : दर-दर की ठोकरें खा रहे बीमार-लाचार TGT अध्यापकों की धुंधली पड़ती जा रही हैं न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीदें, मिल रही है तारीख पर तारीख, अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने लगाई हाई कोर्ट से न्याय की गुहार,

TGT अध्यापकों की दुखभरी दास्तान, मिल तारीख पर तारीख, न्याय का नहीं नामोनिशान

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हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ राज्य प्रवक्ता प्रवीण शर्मा ने हाई कोर्ट से निवेदन करते हुए कहा कि 2008 में नियुक्त टीजीटी अध्यापकों को न्याय दिया जाए क्योंकि कुछ टीजीटी मर चुके हैं और कुछ टीजीटी बुढ़ापे में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं ।

अध्यापक संघ ने कहा कि हर फरियादी कोर्ट की शरण मे जाता है क्योंकि यहां उसे न्याय की उम्मीद होती है ।

एल पी ए 54 का फैसला दो साल पहले हाई कोर्ट की अंतिम बेंच दे चुकी है पर अभी तक उस फैसले को सरकार लागू नही कर पाई । अभी भी यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है ।

तारीख पर तारीख मिलती रही । पुराने जज गए नए आ गए । पर 1500 पीडित लोगों को न्याय नही मिला । शायद इन 1500 लोगों में कोई भी सरकार का रिश्तेदार नही रहा होगा । 2008 में 6 साल बाद स्कूलों में भर्तियां हुई उस समय धूमल जी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे । 2003 के बाद बैच वाइज भर्तियां हुई । रोजगार कार्यालय के बाहर लिख दिया कि 8220 रुपये मिलेंगें । बेरोजगार क्या करता । अति दूरदराज इलाको में भेजा गया । महीने की सिर्फ एक छुट्टी । किसी भी प्रकार का मेडिकल भता नही और न ही दूरदराज इलाके का लाभ दिया गया । फिर भी हमारे अध्यापक साथियों ने उन स्कूलों में अच्छा कार्य किया ।

अध्यापक संघ ने कहा कि जिन्हें भी 8220 रुपये में बैच वाइज दूरदराज इलाको में भेजा गया वे 6 साल बाद कोर्ट द्वारा अपने घर पहुंचे । और यह पीड़ित लोग हार्ट , शुगर व अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं । जबकि 2008 में इन लोगो को नियमित नोकरी मिलनी थी क्योंकि उस समय पुराने आर एन्ड पी रुलज थे । परन्तु नेताओं ने एमओयू पर साइन कर नियमित होने वाली भर्तियां अनुबन्ध पर कर दी औऱ अब हाई कोर्ट के आदेशों को भी नही मानते जबकि एलपीए 54 के तहत शिमला हाई कोर्ट की अंतिम बेंच ने निर्णय दिया है कि इन पीड़ित लोगों को नियुक्ति तिथि से नियमित किया जाए ।

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