हिमाचल प्रदेश में जर्जर इमारतों की भरमार सरकारी पैसों की बर्बादी और सोई पड़ी है सरकार

हिमाचल प्रदेश के कितने सरकारी भवन इस हालत में हैं...

0

 हिमाचल प्रदेश में जर्जर इमारतों की भरमार,

सरकारी पैसों की बर्बादी और सोई पड़ी है सरकार

हिमाचल प्रदेश के कितने सरकारी भवन इस हालत में हैं !

INDIA REPORTER NEWS
PALAMPUR : B.K. SOOD
SENIOR EXECUTIVE EDITOR
सरकार कोई भी हो, हिमाचल की हो ,पंजाब की हो ,हरियाणा की हो या कोई अन्य राज्य हो,सभी सरकारों में विभागों की लापरवाही के मामले  कमोबेश  एक जैसे ही होती है ।हालांकि सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सर्विस रूल्स में उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों का उल्लेख किया है परंतु सभी प्रदेशों के अधिकारी या कर्मचारी अपने अधिकार को तो भलीभांति जानते हैं उनका इस्तेमाल करते हैं परंतु अपनी जिम्मेवारी के प्रति वे आंखें मूंद कर बैठे रहते हैं। या जिम्मेवारी लेना ही नहीं चाहते। क्योंकि अगर जिम्मेवारी लेंगे तो उसके लिए जवाबदेही भी बनेगी इसलिए ना जिम्मेवारी लो ना जवाबदेह बनो उनके लिए यह फार्मूला सबसे कारगर सिद्ध होता है। सरकारी नौकरी में एक मशहूर कहावत है कि

 “बने रहो पगला काम करेगा अगला “

यानी आप अगर सरकारी क्षेत्र में काम करते हैं तो  आप काम करने के लिए बिल्कुल अनजान बने रहें और अपनी सैलरी से ही मतलब रखें ।ज्यादा खोजबीन करी ,अथवा रूल्स रेगुलेशन की व्याख्या की , या समझाने की कोशिश की ,तो आप परेशान हो जाओगे। इसलिए ऊपर से जो आदेश है उस पर आंखें मूंदकर कार्य करो। अगर उसमें कुछ नियम कायदे ढूंढने की कोशिश की तो आप ट्रांसफर के लिए तैयार रहिए या किसी इल्जाम के लिए खुद को तैयार रखें।
सरकारें की कुछ योजनायें  हो या इमारतें , उनमे कुछ ऐसी बना दी जाती हैं  जिनका कोई औचित्य या जनमानस के लिए कोई विशेष लाभ नहीं होता ।लेकिन उन्हें वह कार्य करना ही होता है चाहे उसमें कितना ही पैसा बर्बाद क्यों ना हो जाए।  उसका लाभ लाभार्थियों को मिले या ना मिले इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं होता ।
चित्र में प्रस्तुत इस इमारत को देखिए जो काफी जर्जर हालत में है और इसकी है ऐसी हालत किस लिए हुई  क्योंकि इस इमारत की शायद यहां पर कोई आवश्यकता  थी ही नही।  अगर इस इमारत के यहां पर कोई जरूरत होती तो इसमें जिस उद्देश्य लिए यह इमारत बनाई गई है यह उपयोग में हो रही होती।
 क्योंकि इस इमारत में कोई रहता नहीं है  इसको यहां बनाने की कोई आवश्यकता नहीं थी, और ना ही इसकी कोई उपयोगिता रही होगी तभी यह इतनी जर्जर हालत में पड़ी है ।आलम यह है कि इसकी छत पर पेड़ उगने शुरू हो गए हैं ,और अगर यह इसी तरह से इसी हालत में साल दो साल और पड़ी रही तो यह गिर कर धराशाई हो जाएगी। हां अगर इसे इस्तेमाल में लाना शुरू कर दिया जाए तो इसकी रखरखाव भी हो जाएगा और इसकी मेंटेनेंस भी हो जाएगी झाड़ियां भी कट जाएगी और साफ सफाई भी हो जाएगी । परंतु शायद इस इमारत की कोई आवश्यकता नहीं थी इसीलिए यह इस हालत में पड़ी है यह इमारत टैक्सपेयर्स के पैसों से लाखों रुपए में बनी होगी और इसका इस्तेमाल हजारों रुपए का भी नहीं हुआ होगा ।
इस तरह की इमारत हिमाचल में इकलौती  है ऐसा नही है, हिमाचल में ऐसी सैकड़ों ही इमारतें होंगी जो इस हालत में पड़ी हैं । जिनमें कोई रहता नहीं है ।कुछ ऐसे भी आवास हैं जो इतनी जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं कि वहां पर  कोई रहना ही नहीं चाहता ।
अब समय आ गया है कि सरकार को यह सोचना चाहिए कि क्या सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास बनाए जाने चाहिए या नहीं क्योंकि अब वह 25 -30 साल पहले वाला जमाना नहीं रहा कि कर्मचारियों के लिए आवास की कमी हो। ओपन मार्केट में हर जगह पर्याप्त मात्रा में निवास उपलब्ध है और कर्मचारी वहीं पर रहना पसंद करते हैं। सरकारी आवासों का लगभग हर जगह यही हाल है ।ना तो उनके मेंटेनेंस को पाती है और वह इतने पुराने डिजाइन और जर्जर हालत में है कि वहां पर रहना कोई भी कर्मचारी पसंद नहीं करता ।
अब सरकार को चाहिए कि वह इस तरह की इमारतों की एक लिस्ट बनाएं और उस पर उचित निर्णय लें ताकि सरकारी संपत्ति को या तो बचाया जा सके या फिर उसे गिराया जा सके ताकि एक नियमित लायबिलिटी जो सरकार पर है वह खत्म की जा सके

Leave A Reply

Your email address will not be published.