*Himachali Pravasi Global Association *
विदेशों में नौकरीपेशा, अप्रवासियों और अध्ययन के लिए जाने वाले हिमाचलियों को विदेशी रहन सहन समझने में मदद करेगी ‘हिमाचली प्रवासी ग्लोबल एसोसिएशन’
दुनिया भर में प्रवासी हिमाचलियों को जोड़ने और उनकी सहायता के उदेश्य से गठित ‘हिमाचली प्रवासी ग्लोबल एसोसिएशन’ अब विदेशों में नौकरीपेशा और अध्ययन के लिए जाने वाले हिमाचलियों को स्थापित करने में भी मदद करेगी।
हिमाचल प्रवासी ग्लोबल एसोसिएशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो कनाडा में उन हिमाचली लोगों की मदद करने के लिए काम कर रही है जो नौकरीपेशा हैं या अध्ययन के उद्देश्य से विदेश जाते हैं। संस्था अप्रवासियों और छात्रों को यहाँ बसने में भरपूर मदद कर रही है। संस्था यहां आने वाले लोगों को स्थानीय संस्कृति से परिचय करवाती है।कनाडा के आलावा संस्था अन्य देशों में भी विस्तार कर प्रवासी हिमाचलियों को जोड़कर वहां आने वाले हिमाचलियों को अपना सहयोग करेगी।
संस्था हिमाचल के सांस्कृतिक मूल्यों और अपनेपन को बढ़ावा देने के साथ प्रवासी भारतीयों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायता करती है। संस्था हिमाचल के विकास में सामाजिक और आर्थिक रूप से योगदान देगी और स्वास्थ्य, पर्यटन के प्रति जागरूकता अभियान चलाएगी। संस्था विदेशों में हिमाचली समुदाय की आवाज बुलंद करेगी। विदेशों में आने वाले नए लोगों के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों को चलाएगी।
संस्था से जुड़े कनाडा के प्रवासी हिमाचली भाग्या चन्द्र ने कहा कि इसके लिए उन्होंने कनाडा और हिमाचल के शीर्ष संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया है ताकि नौकरीपेशा और अध्ययन के उद्देश्य से विदेश आने वाले हिमाचलियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न उठानी पड़े। उन्होंने हिमाचल के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), परोपकारी संगठन, सरकारी अधिकारी, मीडिया ग्रुप और सभी हिमाचली प्रवासियों को नौकरी और अध्ययन के उद्देश्य से विदेश आने वालों हिमाचलियों की मदद करने और इस मुहिम में शामिल होने का निवेदन किया है ।
भाग्या चन्द्र का कहना है कि हर साल, विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेशी देशो की ओर आकर्षित होने का मुख्य कारण पाठ्यक्रमों और करियर विकल्पों की उपलब्धता है ।
उनका कहना है कि ग्लोबलाइज़ेशन के इस दौर में कामयाबी के लिए इससे वो अलग भाषा और संस्कृति वाले लोगों से तालमेल बिठाना सीखेंगे। मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करना उनके लिए आसान होगा। इससे हमें गलोबल सिटिज़न बनने में आसानी होगी।