*हिन्दुस्तान का तो भगवान ही मालिक है…लिखना नहीं चाह रहा था मजबूरी वश लिखना पड़ रहा है,,*

*मैं ईश्वर के सिवा किसी को भाग्य विधाता नही मानता सब अपना अपना कर्म कर रहे हैं

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*हिन्दुस्तान का तो भगवान ही मालिक है…लिखना नहीं चाह रहा था मजबूरी वश लिखना पड़ रहा है,,*

INDIA REPORTER TODAY.com
NARENDER SINGH PATHANIA
*किसान-किसान लगा रखा है.. किसान भगवान है क्या,,? किसान अन्न का उत्पादन लोगों का पेट भरने के लिए करता है या अपने घर वालों का पेट भर सके इसलिए करता है,,?*
*किसान किसका पेट भरता है,?अगर किसान पेट भरता है तो पिछले 9 महीने से फ़्री राशन सरकार क्यों बांट रही है,,? अन्नदाता तो किसान है ना,,?वो क्यों नहीं बांट रहा,,?*
*किसान होना एक पेशा है, कोई समाजसेवा नहीं है, किसान अन्नदाता है इसलिए उसका धन्यवाद करना चाहिए,,*
*मैं पूछता हूँ जिसने कपड़े बनाए उसका धन्यवाद क्यों नहीं करना चाहिए,,? अगर कपड़े ना होते तो सब लोग नंगे घूमते वनमानुष की तरह,,*
*जिसने वर्तन बनाए,बिजली बनाई,मोबाइल बनाया,सडकें बनाईं,पेन,पेन्सिल कागज बनाए उनका क्यों नहीं है,,?*
*जो पढकर किसी लायक बनाता है उसका क्यों नहीं,,?जो इलाज करता है उसका क्यों नहीं,,?जो बाल काटता है उसका क्यों नहीं? जो सफ़ाई कर्मचारी हैं उनका क्यों नहीं,,?*
*क्या सिर्फ़ पेट भरने से ज़िन्दगी चल जाती_है,,?,,,,,हो क्या,,?*
*ज़िन्दगी में हर काम का अपना महत्व है और हर काम करने वाला उतना ही महत्वपूर्ण,*
*जब धरती पर खेती-बाडी़ नहीं होती थी तब भी लोग थे, ज़िंदा थे शिकार करके खाते थे,पेट भरना भगवान का काम है,84 लाख योनियों का पेट कैसे भरना है ये ज़िम्मेदारी परमपिता परमेश्वर की है,,*
*हमारे देश में जिसे भगवान का दर्जा दे दो वही सिर पर से मूतने लगता है,पहले डॉक्टर,न्यायाधीश को भगवान बोलते थे आज के समय में सबसे भ्रष्ट,धंधे खोर यही हैं,,*
*मैं ईश्वर के सिवा किसी को भाग्य विधाता नही मानता सब अपना अपना कर्म कर रहे हैं। जिस काम के बदले हमें धन मिलता हो वो व्यापार है समाजसेवा नहीं,ये ढकोसले बन्द होने चाहिए,*
*MSP की गारंटी दो, मंडी की गारंटी दो अगर फ़िर भी ना मानें तो शाहीन बाग की शेरनी बना दो,भगाओ वहां से खदेड़कर, जीने का अधिकार सभी लोगों को है,हर महीने कोई ना कोई सड़कें बन्द करके बैठ जाता है,,*
*जमीन को अम्बानी ले जाएगा इस बात की कोई तुक नहीं है, किसी के बाप-दादा कहकर नहीं मर गए हैं कि किसी कम्पनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करना,, और मंडी से बेहतर भाव यदि खुले बाजार में मिल जाय, तो बाजार में मत बेचना।
*60-70 साल से किसानों के लिए जो कानून बना है सिर्फ सभी जगह सब्सिडी लेते आये,हालत क्यो नही सुधरी,हालत सुधारने नया कानून बन रहा तो भी तकलीफ,सिर्फ सब्सिडी खाते रहोगे,की खुद भी अपनी दशा सुधारने कुछ काम करोगे, दिमाग लगाओगे। और पहचानोगे की क्या सही है और क्या गलत।
फिर भी लगता है कि सरकार गलत कर रही है। तो आंदोलन जरूर करो।ये उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। पर रोड ब्लॉक करके कौनसा पुण्य का काम है ? इतने ही बीमारों को इस वजह से इलाज नहीं मिलता है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रुकती है। इत्यादि।
*आंदोलन में किसान हिंदुस्तान  जिंदाबाद क्यो नही बोल रहा,,,*??! कुछ भेड़िये यदि आंदोलन में घुस कर यदि देश विरोधी नारे लगा रहे है। तो किसान नेता इसका जोरदार खंडन क्यों नहीं कर रहे है। और उन देश विरोधियों को आंदोलन से बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखा रहे है?
यह विचारणीय प्रश्न है। और जब कथित नए काले कानूनों को पंजाब में एन्टोनिया सरकार लागू ही नहीं कर रही है। तो वहां के किसान सबसे ज्यादा विरोध क्यों कर रहे है? उन्हें तो एन्टोनिया/कांग्रेस से भी सवाल पूछने चाहिए कि आजादी के बाद 75% से ज्यादा समय देश मे कांग्रेस की सरकारे रही है। तो किसानों की हालत इतने खराब क्यों रहे है।
किसान संघठन के नेताओ को यह भी बताना चाहिए। कि किसानों के बीच मे भी अनेक अम्बानी, अडानी बन गए है। यानी कि अत्यधिक अमीर जबकि 80% से ज्यादा अत्यंत गरीब।
जब पुराने गोरे कानून शानदार थे, तो ऐसा क्यों हुआ?
और इन 20% अमीर किसानों को income टैक्स क्यों नहीं लगाया जाये। और इनकी सारी सब्सिडी घटाई जाय।

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