16 मार्च: धर्मशाला में जिला परिषद् व् पंचायत समिती सदस्यों से साथ एचआईवी /एड्स पर चर्चा
यूनाइटेड नेशन्स में इस वर्ष हाई लेवल समिट में 2030 तक एचआईवी /एड्स के उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
इस बार के विश्व एड्स अभियान का नारा है “असमानता को खत्म करें, महामारियों को खत्म करें।” आमदनी की असमानता , लैंगिक भेदभाव भी एचआईवी एड्स को प्रभावित करती है। कलंक और भेदभाव इसे और भी भयावह समस्या बना देते हैं। असमानता को दूर करना एचआईवी और कोविड-19 और भविष्य की महामारियो से लड़ने के लिए आवश्यक है। जब समाज में असमानता होती है – महामारी फैलती है। 40 वर्ष के एच आई वी के अनुभव से हमने बहुत कुछ सीखा है। जहां शुरू में इसे एक लाइलाज बीमारी व निश्चित मृत्यु माना था अब एआरटी दवाइयों से एचआइवी के साथ जी रहे व्यक्ति लंबा स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं।
धर्मशाला में जिला परिषद् व् पंचायत समिती सदस्यों से साथ एचआईवी /एड्स पर चर्चा आयोजित की गयी. इस अवसर पर डॉ. राजेश सूद, ज़िला एड्स कार्यक्रम अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अब एचआईवी संक्रमण में पहले से काफी कमी आई है पर यह कमी अभी भी 2030 तक एचआईवी उन्मूलन के लक्ष्य से काफी दूर है।
डॉ. सूद ने जानकारी दी कि यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष विश्व में 15 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए जबकि पूरी दुनिया में 3.77 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं वहीं ए.आर.टी दवाई के कारण एचआईवी से होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी आई है।
डॉ. सूद ने आगे बताया कि भारत में 23.50 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं और प्रतिवर्ष नए संक्रमण सामने आ रहे हैं । डॉ. सूद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 4752 व्यक्ति एचआईवी के साथ जी रहे हैं जिसमें से जिला कांगड़ा के 1249 लोग हैं। हर मिनट हम बहुमूल्य जीवन एच आई वी के कारण खो रहे हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2020 सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में केवल 41% पुरुषों व 36% महिलाओं को इस बीमारी के बारे में संपूर्ण जानकारी है जोकि राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। भारत न 31% पुरुष व 22% महिलाओं को एचआईवी एड्स के विषय में सम्पूर्ण जानकारी है। अभी भी काफी लोगों में गलत भ्रांतियां है जिन को दूर करने के लिए अभी भी प्रयास करने जरूरी हैं। एचआईवी पर जानकारी के लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्था द्वारा टोल फ्री नंबर 1097 की सुविधा भी उपलब्ध है वही नैको (नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन) मोबाइल ऐप पर विस्तृत जानकारी भी ली जा सकती है।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के लिए सुविधाएं, उपचार व एचआईवी की रोकथाम के लिए प्रयासरत है। एचआईवी से जुड़े भेदभाव की रोकथाम के लिए एचआईवी एड्स एक्ट के अंतर्गत प्रावधान किए गए हैं जिसमें गोपनीयता सुनिश्चित करना, एचआईवी की जानकारी उपलब्ध कराना, एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा प्रमुख है। डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी एच आई वी के साथ जी रहे व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध करवाती है।
जहाँ स्वास्थ्य विभाग अपने रेड रिबन क्लब कार्यक्रम के अंतर्गत युवाओं में जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है वही युवाओं में रिस्पांसिबल चॉइसेज को बढ़ावा देने के लिए पीयर एजुकेटर के लिए जीवन कौशल की कार्यशाला आयोजित की जाती हैं। एचआईवी के साथ जी रहे व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा मैं जोड़ना एचआईवी रोकथाम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकारी अस्पतालों में आईसीटीसी केंद्रों में मुफ्त व गोपनीय जांच की सुविधा राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला, सिविल अस्पताल पालमपुर, सिविल अस्पताल देहरा, सिविल अस्पताल नूरपुर, सिविल अस्पताल कांगड़ा, जोनल अस्पताल धर्मशाला व मेडिकल कॉलेज टांडा में उपलब्ध है।
ज़िला एड्स कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि सुई से नशा करने वालों में एचआईवी का खतरा 35 गुना होता है, ट्रांसजेंडर लोगों में 34 गुना एचआईवी संक्रमण का खतरा रहता है, वही कमर्शियल सेक्स वर्कर्स में यह ख़तरा 25 गुना अधिक रहता है । महामारी की रोकथाम के लिए कमजोर तबकों के बचाव के लिए हमें विशेष ध्यान देना पड़ेगा।
एचआईवी केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं बल्कि एक सामाजिक समस्या है । डॉ सूद ने कहा कि समुदाय की भागीदारी ने एचआईवी एड्स की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसी प्रकार कोविड-19 में समुदाय, विशेषत: कमजोर समुदाय की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम कमजोर व हाशिये पर चल रहे व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं वह महामारियो को रोकने में महत्वपूर्ण हैं। एचआईवी के साथ जी रहे व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा मैं जोड़ना एचआईवी रोकथाम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
बच्चों को सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता मिलती है जिससे उनके सुनहरे भविष्य को मदद मिलती है वहीं उन्होंने विभिन्न प्रकार की चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की।