NSUI अध्यक्ष सचिन सच्चू ने ABVP को दिया मशविरा – ” छात्र हितों में काम करो और राजनेताओं के पिछलग्गु बन कर प्रशासनिक कार्यों में अनुचित हस्तखेप करने से परहेज़ करो”… इस बात की चिंता मत करो कि वाईस चांसलर क्यों और कैसे लगाए जाते हैं…
कृषि विश्वविद्यालय NSUI इकाई अध्यक्ष सचिन सच्चू का कहना है कि छात्रों को इस बात से कोई सरोकार नहीं होना चाहिए कि वाईस चांसलर किस तरह लगते हैं और क्यों लगाये जाते हैं, छात्रों का काम है पढ़ाई करना, प्रशासनिक फैसले में हस्तक्षेप करना नहीं।
उन्होंने कहा कि ABVP के छात्र नेताओं को चाहिए कि वे NSUI से कुछ सबक सीखें क्योंकि जब पिछले कई सालों तक यूनिवर्सिटी में खुलेआम भाजपा से सम्बंधित छात्र संगठन एबीवीपी का प्रशासनिक कार्यों में सरेआम दखल रहता था। यूनिवर्सिटी प्रांगण में एबीवीपी का वर्चस्व होने के कारण पूरी मनमानी के कारण यूनिवर्सिटी कैंपस राजनीति का अखाड़ा बन कर रह गया था, तब भी एनएसयूआई ने अपनी हदें नहीं लांघी और छात्र हित के कार्यों में संगठन जीजान से लगा रहा। निजी स्वार्थों के लिए कभी अनुशासनहीनता नहीं बरती।
उस समय किसी ने नहीं कहा कि यूनिवर्सिटी को राजनीति का अखाड़ा क्यों बना दिया गया है। तब तो भाजपा के शीर्षस्थ नेतागण भी छात्र संगठन एबीवीपी को नज़बूत बनाने और उनका राजनीतिक इस्तेमाल करने में व्यस्त रहे लेकिन एनएसयूआई ने कभी भी अपना संयम नहीं खोया।
अब जबकि हिमाचल प्रदेश के दूरदर्शी, प्रगतिशील व यशस्वी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने अपनी सुझबुझ से विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए विश्वविद्यालय संशोधन बिल क्या पास करवा दिया कि विपक्ष की रातों की नींद और दिन का चयन भी गायब हो गया। भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से जब मुख्यमंत्री सूक्खू की सफलता और दिनोंदिन आसमान छूती लोकप्रियता पची नहीं तो लग पड़े भाजपा छात्र संगठन के छात्र नेताओं को उकसाने और आग भड़का कर उसमें घी डालने। भाजपा को बौखलाहट में छात्र संगठन एबीवीपी जा अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। यह छात्रों के हितों से खुल्लमखुल्ला खिलवाड़ है। मासूम छात्रों के कंधे पर रख कर बंदूक चलाने की ओछी हरकत की चौतरफा निंदा हो रही है।
इतना हंगामा होने के बाद भी एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने शांति, सौहार्द, अनुशासन और आत्मिक संयम का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह काबिलेतारीफ है। आज भी एनएसयूआई केवल और केवळ छात्रहित में ही कार्य करने में मशगूल है और छात्र संगठनों का मुख्य ध्येय भी यही है न कि राजनीतिज्ञों के हाथ का खिलौना बनकर खेलना। एनएसयूआई की हर जगह दिल खोलजर प्रशंसा हो रही है।
एनएसयूआई जे कैंपस अध्यक्ष सचिन सच्चू का मानना है कि जहां तक बात रही राज्य सरकारों द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति की तो मुख्यमंत्री का यह फैसला एक बहुत अच्छी शुरुआत है ।
विश्वविद्यालय की वित्तीय सहायता राज्य सरकार करती है और विश्वविद्यालय का विकास पूर्ण रूप से हो इसलिए विश्वविद्यालय के कुलपति और राज्य सरकार के बीच एक अच्छा संबंध होना बहुत आवश्यक है और यह तभी स्थापित हो सकता है जब राज्य सरकार कुलपतियों की नियुक्ति मैं भागीदार बने।
उन्होंने कहा कि जहां तक राजनीति की बात है सरदार पटेल विश्वविद्यालय और राज्य में अन्य विश्वविद्यालय में पिछले 5 सालों में किस तरीके की भर्तियां हुई है, किस तरीके से हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला में कुलपति के संबंधियों की एडमिशन हुई है यह किसी से छुपी बात नहीं है और किस तरीके से राजनीतिक कारण सामने आया है कि कुलपति के कार्यकाल पूरे होने के बाद उन्हें राज्यसभा का मेंबर बना दिया गया। किस तरीके से राजनीति विश्वविद्यालय में हुई है इसका निरर्थक विरोध करने वाले स्वयं आईने में देखें फिर बात करें । हम सरकार द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति हेतु लाए गए बिल का ज़ोरदार स्वागत करते हैं।
भाजपा नेताओं को शूरवीर तशास्वी और दृढ़संकल्पी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सूक्खू का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने एक ही झटके में काम कर दिखाया जो बाकी सरकारें 45 साल में नहीं कर सकीं। इसके लिये मुख्यमंत्री सूक्खू की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि एबीवीपी और एनएसयूआई जैसे संगठनों के बीच सामंजस्य और समझदारी की आवश्यकता है ताकि विश्वविद्यालयों में छात्रों का हित सबसे महत्वपूर्ण रहे।
राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोगी और सुदृढ़ संबंध होने चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सके और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
हम इस समय के छात्रों की धैर्य, शांति, और संयम की प्रशंसा कर सकते हैं, जो राजनीतिक विवादों में नहीं पड़कर छात्र हित में अपने संघठन के काम में जुटे हैं। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि छात्र संगठनों का मुख्य उद्देश्य हमेशा छात्रों के हित में होना चाहिए और वे राजनीतिज्ञों के हाथों का खिलौना नहीं बनने चाहिए।
एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने अपनी संघठन के माध्यम से छात्रों के अधिकारों की सच्ची रक्षा करने के लिए योगदान किया है, और इसके लिए हमें उन्हें प्रशंसा करनी चाहिए।