मैं सत्ता सुख भोगने नहीं बल्कि राजनीति का कड़वा ज़हर पीने आया हूँ और इसी अमृत से एक दिन बहेगी अमृत की धारा : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू
हिमाचल प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़े साहस और दृढ़ संकल्प के साथ अपने विजन को साझा किया। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में कड़वा जहर पीने के लिए आए हैं और उसी के बल पर अमृत की धारा बहा कर प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएंगे। समय तो लगेगा लेकिन यह कार्य अवश्य होकर रहेगा। भाजपा द्वारा रचित चक्रव्यूह को भेद कर परमात्मा ने उन्हें इसी उद्देश्य के लिए सुरक्षित बाहर निकाला है।
इरादे नेक हों तो सपने साकार होते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले समय में राजनीतिक सुधारों की कमी और नकारात्मक कदमों से पूरा तंत्र बिगड़ गया है, लेकिन वह धीरे-धीरे इसे सुधारने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें आती रहेंगी और जाती रहेंगी, लेकिन उन्होंने सुधार लाने का जिम्मा उठाया है और उसे पूरा करने के लिए वह कोई कीमत चुकाने को तैयार हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपने जीवन की सारी पूंजी प्रदेश हित में खर्च करने का साहस दिखाया है, जो एक अद्वितीय उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वह एक सामान्य परिवार से आए है।
कोई साथ न दे मेरा चलना मुझे आता है, हर आग से वाकिफ हैं, जलना मुझे आता है
सुक्खु कहते हैं कि नियत मेरी नेक है इसीलिए ईश्वर ने उन्हें हर अग्निपरीक्षा से सफलता पूर्वक बाहर निकाला है लेकिन सच्चाई और ईमानदारी की राहों में कांटे चुभेंगे भी लेकिन उन्हें बर्दाश्त करते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि सरकारें आती हैं और चली जाती हैं, मुख्यमंत्री आते हैं और चले जाते हैं। पहले भी कई मुख्यमंत्री आए और सत्ता सुख भोग कर चले गए लेकिन मैं सत्ता सुख भोगने नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर करने के लिए आया हूँ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया ऐतिहासिक कदम, अयोग्य विधायकों की पेंशन खत्म, अब बिकने से पहले 100 बार सोचना होगा
इसी बीच, हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एक नया विधेयक पारित किया है। इसके तहत दल बदलने वाले विधायकों को पेंशन नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विधेयक को पेश किया। यह विधेयक उन विधायकों पर लागू होगा जो संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं।
बिल में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, तो वह इस अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा। 10वीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। इससे पहले दल-बदल करने वाले विधायकों को भी पेंशन मिलती थी।
100 सुनार की,
एक लोहार की
इस विधेयक के पीछे का कारण यह है कि फरवरी में छह कांग्रेस विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। ये विधायक बजट और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन से अनुपस्थित रहे थे और पार्टी के निर्देशों का पालन नहीं किया था।
विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह कानून विधायकों के अधिकारों का हनन करता है। लेकिन सत्ताधारी दल का मानना है कि यह कानून राजनीति में भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करेगा और विधायक जनता के प्रति जवाबदेह बनेंगे।