लोक निर्माण विभाग भवारना के अंतर्गत सड़कों के किनारे व सड़कों के ऊपर हो रहे अवैध कब्ज़े दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। यह सब किसकी मिलीभगत से हो रहा है, यह सर्वविदित है।
यह बात सभी को समझनी चाहिए कि अवैध कब्ज़े करना कितना सहज है और बाद में जब सरकार व कोर्ट का चाबुक चलता है तो उससे निपटना कितना पीड़ादायक सिद्ध होता है।
इस बेदर्द चाबुक की मार कुछ भवारना वासी झेल भी चुके हैं जिन्होनें कुहल पर अवैध कब्जे किये थे। उन्हें भारी मानसिक और आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी।
इसके बावजूद अवैध कब्जों का यह क्रम समाप्त नहीं हुआ, यथावत जारी है। कुछ प्रभावशाली लोग आज भी इस कार्य को अंजाम देने से संकुचा नहीं रहे।
अवैध कब्जाधारियों को यह मान कर चलना होगा कि अवैध कार्य अवैध ही होता है भले ही उसे कितनी भी होशियारी से अंजाम दिया जाए।
जनता प्रश्न उठा रही है कि के इन अवैध कब्जों के लिए वास्तव में कौन जिम्मेदार है। कोताही बरतने बाले अफसरों पर कौन करेगा कार्यवाई,,,?
ये प्रश्न सरकार व विभाग के लिए अलर्ट जारी कर रहे हैं। समय रहते चेत गए तो ठीक वार्ना कानून का पंजा कब चल जाये कोई नहीं जानता।
उचित कार्यवाही न होने की सूरत में जल्द एक पीआईएल (public interest litigation) फ़ाइल होने की संभावना है।