अमित शाह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट का शिलान्यास करने आए थे, लेकिन अमित शाह ने ‘फॉरेंसिक साइंस’ के बहाने प्रदेश की जनता और मौजूद लोगों को उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की पूरी ‘पॉलिटिकल साइंस’ ही पढ़ा गए। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के नजदीक होने के चलते गृहमंत्री अमित शाह का उत्तर प्रदेश का यह दौरा काफी अहम रहा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में योजनाओं के जरिए प्रदेश में चुनावी माहौल का आगाज किया था।
लखनऊ में फॉरेंसिक साइंस इंस्टिट्यूट की आधारशिला रखने के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह एक साथ कई संदेश दे गए। अमित शाह पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की और केंद्र सरकार की योजनाओं को अच्छी तरीके से लागू करने पर प्रदेश सरकार की पीठ थपथपाई वहीं, योगी आदित्यनाथ के काम और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगने की बात कही। इस कार्यक्रम के बहाने अमित शाह ने उत्तर प्रदेश से अपना नाता भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि वह जब यहां आते थे तो सिर्फ राजधानी तक ही नहीं, बल्कि जिले, तहसील और विधानसभा क्षेत्रों में भी लोगों से मिलते थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है अमित शाह का यह कहने का आशय बताता है कि केंद्र के ताकतवर मंत्रियों का उत्तर प्रदेश पर कितना ज्यादा ध्यान है।
कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए पुलिस से सबका वास्ता पड़ता है। पुलिस की छवि बेहतर बने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को आईपीएस अधिकारियों से बातचीत कर उनकों सहज और सरल होकर जनता के बीच जाने की अपील की। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह भी लखनऊ में रविवार को कुछ इसी तरीके के टिप्स दिए। शाह ने कहा कि पुलिस को लेकर जनमानस में जिस तरीके की एक छवि है उससे उबरने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने पुलिस से “नो एक्शन” और “एक्स्ट्रीम एक्शन” के बजाए “जस्ट एक्शन” यानी स्वाभाविक प्रतिक्रिया पर काम करने का आग्रह किया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है अगर इसको चुनावी नजरिए से देखा जाए तो कानून का राज स्थापित करने के लिए यह बहुत बड़ी बात गृहमंत्री ने उत्तर प्रदेश की जनता के लिए कही है।
योजनाओं के बहाने गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश की जनता को पूरी तरीके से चुनावी मोड में ढाल दिया। अमित शाह ने परिवारवाद समेत एक विशेष जाति को तवज्जो दिए जाने की बात कहकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। पुराने समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए दंगों और उसके बाद वहां से पलायन करने वाले लोगों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने लखनऊ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भी साधने का प्रयास किया। अमित शाह ने अपने संबोधन में न सिर्फ फॉरेंसिक इंस्टिट्यूट की बात की बल्कि केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में कोरोना के दौरान किए जाने वाले उपायों और वैक्सीनेशन का भी ज़िक्र किया और लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की कि केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों मिलकर बेहतर राज्य बनाने की दिशा में आगे चल रहे हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान आने वाले विधानसभा चुनाव में कमल की सरकार ही बनने की बात कहकर चुनावी आगाज किया।
उत्तर प्रदेश की राजनीति को काफी करीब से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक एसपी शुक्ला कहते हैं भारतीय जनता पार्टी एक ओर जहां अपने दो बड़े-बड़े नेताओं को उत्तर प्रदेश की राजनैतिक जमीन पर चुनावी माहौल बनाने के लिए लॉन्च कर चुकी है वहीं, दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां अभी बहुत पीछे दिख रही है। शुक्ला का कहना है भाजपा की यही खासियत है कि जब तक लोग संभलते हैं तब तक वह मैदान में अपनी सारी गोटियां बिछा चुके होते हैं। लंबे समय से राजनैतिक परिदृश्य को समझने वाले एसपी शुक्ला का कहना है कि अमित शाह का उत्तर प्रदेश का यह दौरा सिर्फ योजनाओं का शुभारंभ या उद्घाटन करने तक ही सीमित नहीं है। इस दौरान उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के रोड मैप भी बनाकर दिल्ली जाएंगे।