बंदरों की बर्बादी से तंग आकर मंडी के बिंगा गांव के किसानों ने शुरू जैविक खेती, अरबी, हल्दी की उपज से कर रहे बेहतर कमाई, प्रदेश भर में यहां की अरबी की मांग

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बंदरों की बर्बादी से तंग आकर मंडी के बिंगा गांव के किसानों ने शुरू जैविक खेती, अरबी, हल्दी की उपज से कर रहे बेहतर कमाई, प्रदेश भर में यहां की अरबी की मांग

बंदरों की बर्बादी से तंग आकर मंडी जिले के बिंगा गांव के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ दी और सौ फीसदी जैविक खेती करना शुरू कर दी। इससे किसानों की आमदन 10 गुना बढ़ी और साथ ही फसलों के नुकसान से भी राहत मिली। किसानों ने रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज का उपयोग भी बंद कर दिया और बड़े पैमाने पर अरबी, अदरक, हल्दी जैसी हर्बल सब्जियों को गोबर और चीड़ के पत्तों से बनी खाद से उगाने लगे। आज यह किसान जैविक खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं।किसान पुश्तों से चले आ रहे देसी बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन हर्बल सब्जियों की एडवांस में बुकिंग हो रही है। पंचायत प्रधान अनिल कुमार का कहना है कि यहां के सभी 50 परिवार पिछले तीन-चार साल से जैविक खेती कर रहे हैं। पहले जिस खेत में एक क्विंटल धान या मक्की का उत्पादन होता था, अब वहां सात क्विंटल तक अरबी या हल्दी पैदा की जा रही है।

40 से 50 क्विंटल तक हो रही उपज
एक किसान की उपज 40 से 50 क्विंटल तक हो रही है। व्यापारी और शादी समारोहों के लिए लोग पहले ही सब्जियों की एडवांस बुकिंग कर रहे हैं। चावल और मक्की के दाम 10-15 रुपये तक मिलते हैं, जबकि अरबी-हल्दी के दाम 50-60 रुपये तक आसानी से मिल जाते हैं। जैविक खेती में लागत भी शून्य है। किसान ओम प्रकाश, विपिन कुमार, मोहनलाल, आसाराम, हेतराम, राजेश कुमार, जगतराम, परमदेव आदि का कहना है कि अरबी, अदरक और हल्दी को बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते। धान-मक्की अब सिर्फ अपने खाने के लिए ही बीज जाती है।

ज्यादा समय तक खराब नहीं होती अरबी
जैविक खेती से उपजी अरबी की मांग पूरे प्रदेश में है। ज्यादातर खरीदार थोक में अरबी ले जाते हैं। बिंगा गांव में प्रतिवर्ष सैकड़ों क्विंटल अरबी का उत्पादन होता है। सौ फीसदी हर्बल अरबी का उपयोग शादी-समारोहों में मदरा बनाने के लिए किया जाता है। जैविक अरबी लंबे समय तक खराब नहीं होती है। बिंगा गांव में सौ फीसदी जैविक खेती हो रही है। लोगों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग ने शिविर लगाए और जैविक खेती की तरफ उनका रुझान बढ़ा। अब किसानों की आमदन कई गुना बढ़ गई है।

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