निःसंतान पति-पत्नी के लिए खुशखबरी व वरदान…औलाद का सुख भोगें, जगत जननि माता दुर्गा की कृपा से 25 बरसों बाद भी लौट रहीं खुशियां, हर तरफ़ से निराश पति-पत्नी कर सकते हैं मां का आशीर्वाद प्राप्त, बिना एक भी पैसा खर्च किये
भगत आर.सी जमवाल, Mobile Number :98051-31258












आश्चर्यजनक लेकिन अटल सत्य

कांगड़ा के समीप भंगवार नामक गाँव में दुर्गा मां की कृपा दृष्टि से बेऔलाद लोगों को शर्तिया औलाद का सुख मिल रहा है और वह भी बिना एक पैसा खर्च किये।
मां अपने अनन्य भगत बाबा रामानंद जमवाल के माध्यम से यह सौगात अपने श्रद्धालुओं पर पिछले लंबे समय से लुटा रही हैं।
जब माता की सिद्धि प्राप्त बाबा रामानंद की ख्याति हमारे चैनल तक पहुंची तो सच्चाई जानने हेतु हमारी टीम ने मां दुर्गा मंदिर का रुख किया।
कांगड़ा-ज्वालामुखी रोड पर गांव भंगवार में जब हम पहुंचे तो पाया कि लगभग एक किलोमीटर का एक पक्का लिंक रोड है जो बाईं ओर को बाबा के घर तक ही जाता है। वहां बाबा के घर के वाहर अपना प्रेस वाहन खड़ा करके हम जैसे ही बाहर निकले तो कुछ लोगों को वहां मां के मंदिर के बाहर खड़ा पाया जो कई बरसों बाद औलाद का सुख प्राप्त करने के बाद खुशी खुशी मां का आभार जताने हेतु विभिन्न उपहार लेकर आए हुए थे।
बड़सर के मदन शर्मा व उनकी पत्नी स्नेहा शर्मा ने वताया कि उनकी शादी 19 वर्ष पूर्व हुई थी लेकिन उनके घर कोई संतान नहीं हो रही थी। लाखों रुपया डॉक्टरों पर बर्बाद करके भी वे खाली हाथ थे। किसी व्यक्ति से पता चलने पर जब वह बाबा के पास पहुंचे तो उन्होंने मां दुर्गा के हुक्म से उन्हें तीन डोरियां एक एक करके, कमर पर बांधने के लिए दीं और उनके घर में एक बेटे ने जन्म लिया।
दूसरा जोड़ा था जिया गांव के त्रिलोक कपूर व शिवा कपूर का जिनके घर 25 साल बाद स्वस्थ लड़के ने जन्म लिया।
फिर बात हुई वंदना महाजन व राकेश महाजन से जो शादी के 10 साल बाद भी औलाद को तरस रहे थे। उनगें भी सुंदर बच्ची प्राप्त हुई।
जालंधर, लुधियाना, पानीपत, धर्मशाला, अमृतसर व होशियार पुर से भी दम्पत्ति आए थे जिनके चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी दिख रही थी और वे सब अपने नन्हे मुन्नों को गोद में उठाए मां दुर्गा का गुणगान कर रहे थे।
ऐसे न जाने कितने ही जोड़े हैं जो मां के दरबार से मनोकामना पूर्ण करके खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
डोरियों की करामात
अब आपको डोरियों के प्रभाव से भी अवगत करवा देते हैं। असर पहली डोरी बांधने के पहले ही महीने से दिखना आरम्भ हो जाता है। तीसरी डोरी के बाद बच्चे का जन्म हो जाता है। लेकिन यह बताने की सख्त मनाही है कि लड़की होगी या लड़का। माता रानी की कृपा से जो भी होगा वह सर्वमान्य होगा।
मां के संमुझ यह अरदास करना मना है कि लड़का ही हो।
हमारी टीम को मिली जानकारी के अनुसार बाबा को मां की बख्श प्राप्त है। किसी से औलाद के बदले कोई पैसा नहीं मांगा जाता है। श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर यदि अपनी श्रद्धा से माता के मंदिर में कुछ अर्पण करना चाहे तो वह कर सकता है।
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